आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने के लिए वर्तमान वित्त वर्ष में बजट में 40 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है और जोगिन्द्रनगर स्थित उत्कृष्ट केन्द्र प्रत्येक जिले के किसानों को प्रशिक्षित करेगा। प्रदेश में 27 आयुर्वेदिक अस्पतालों व 300 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्रों के निर्माण पर 46.20 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं।
यह जानकारी मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने आज मण्डी जिले के जोगिन्द्रनगर में 5 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होेने वाले ‘द्रव्यगुण’ अनुशीलन के विकास एवं भारतीय चिकित्सा पद्धति में औषधीय पौध शोध संस्थान के उत्कृष्ट केन्द्र के शिलान्यास के उपरांत जनसभा को संबोधित करते हुए दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए उच्च प्राथमिकता दे रही है, जिसके लिए बजट में 40 प्रतिशत की बढ़ौतरी की गयी है, ताकि आयुर्वेदिक पद्धति सही अर्थों में प्रचलित हो सके। औषधीय जड़ी-बूटियों की कृषि तकनीक की जानकारी के लिए चारों उत्तरी राज्यों के किसानों के साथ-साथ शोधकर्ता इस केंद्र का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को न केवल औषधीय जड़ी-बूटियों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा बल्कि इनसे अर्क तैयार करने की वैज्ञानिक विधियांे की जानकारी भी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मण्डी जिला में 25 फरवरी, 2011 को अटल स्वास्थ्य सेवा के अंतर्गत 10 ऐम्बुलैंस शामिल की जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि किसान पारंपरिक कृषि पद्धति को त्याग रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को मृदा स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा प्रदान की जा रही है अब तक 3.62 लाख किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं। इसके अलावा किसानों को यह जानकारी भी दी जा रही है कि मिट्टी की गुणवत्ता के हिसाब से कौन सी फसलें उगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सभी किसानों को आगामी दो वर्षों में मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करवा दिए जाएंगे, जिससे कृषि क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने किसानों से कृषि क्षेत्र में शोध व विकास का लाभ उठाने का आग्रह करते हुए उपजाऊ भूमि पर भवन निर्माण न करने की सलाह दी।
प्रो. धूमल ने कहा कि राज्य में शीघ्र ही ‘जाइका’ की सहायता से 350 करोड़ रुपये की जैविक खाद परियोजना आरंभ की जाएगी। जबकि 353 रुपये की पंडित दीनदयाल किसान बागवान समृद्धि योजना, 300 करोड़ रुपये की दूध गंगा योजना लोगों में लोकप्रिय हुई हैं और ग्रामीण आर्थिकी सुदृढ़ हो रही है। उन्होंने कहा कि
जैविक उत्पाद लोकप्रिय हो रहे हैं जिनका बाजार में अच्छे मूल्य मिल रहे हैं जिसका लाभा किसान रोजगार व स्वरोजगार अपनाने में कर सकते हैं।
प्रो. धूमल ने कहा कि आज प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं व उपचार पद्धति के नवीकरण की आवश्यकता है, जो पश्चिमी जीवनशैली के कारण प्रभावित हुई हैं। आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों मेंएक है, जो संत महात्माओं के शोध के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आई। ऐलोपैथिक दवाइयों के अनेक दुष्प्रभाव हैं, जबकि आयुर्वेद दवाओं के कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है और इस पद्धति से उपचार विश्वसनीय है।
मुख्यमंत्री ने वैज्ञानिक शोध को किसानों तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया। उनहोंने कहा कि किसानों को नकदी फसलों, विशेषकर औषधीय पौधों की खेती के लाभों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने विज्ञानियों को समर्पण व कर्तव्यनिष्ठा से अपनी सेवाएं प्रदान करने की सलाह दी, ताकि हिमाचल प्रदेश को सही अर्थों में हर्बल स्टेट बनाया जा सके।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने जोगिन्द्रनगर में 3 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले प्रदेश के पहले बी. फार्मेसी काॅलेज की आधारशिला रखी।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर सिनमोमाॅम जेलरीकाॅम, लोक निर्माण मंत्री ठाकुर गुलाब ंिसंह ने सिनामाॅम तमाला और स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव बिंदल ने माइरिका वजिल के पौधे रोपित किये।
लोक निर्माण एवं राजस्व मंत्री ठाकुर गुलाब ंिसंह ने अपने गृह विधानसभा क्षेत्र पधारने पर मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुएए कहा कि यह गर्व का विषय है कि शहर में राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध व विकास केन्द्र स्थापित होंगे। उन्होंने कहा कि जोगिन्द्रनगर स्थित हर्बेरियम में में औषधीय जड़ी-बूटियों की करीब 200 दुर्लभ प्रजातियां हैं, जो बाजार में महंगी कीमत पर बिकते हैं। यह हर्बल गार्डन शैक्षणिक केंद्र तथा पर्यटकों के पसंदीदा केन्द्र के रूप में भी उभर रहा है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में औषधीय पर्यटन को बढ़ावा देने का आग्रह किया ताकि किसान लाभान्वित हो सकें, जिसके लिए औषधी वैज्ञानिकों को मुख्य भूमिका निभाने की आवश्यकता है। उन्होंने बी. फार्मेसी काॅलेज स्वीकृत करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया तथा क्षेत्र की विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों से उन्हें अवगत करवाया तथा क्षेत्र के लिए उदार सहायता प्रदान करने पर उनका धन्यवाद किया।
स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री डाॅ. राजीव बिन्दल ने विभाग की ओर से मुख्यमंत्री का स्वागत किया तथा महत्वाकांक्षी हर्बल परियोजना की आधारशिला रखने के
लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार आम आदमी और मातृ-शिशु को स्वास्थ्य छत्र प्रदान करने और गुणात्मक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रही है। बीपीएल परिवारों को 38 दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध करवायी जा रही हैं तथा महिलाओं को संस्थागत प्रसव सुविधा सुनिश्चित बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि जड़ी-बूटियों के शोध एवं विकास के पीछे प्रमुख उद्देश्य किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करना और इर्बल औषधियों के लिए कच्चा माल उपलब्ध करवाना है। उन्होंने कहा कि हर्बल उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध है और पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के साथ समझौता किया गया है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक कौलजे के चिकित्सक, किसानों और छात्रों को जोगिन्द्रनगर हर्बल गार्डन में प्रशिक्षण और शोध सुविधाएं उपलब्ध होंगी तथा यह केन्द्र उत्तरी राज्यों की औषधीय आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
आयुर्वेद विभाग के निदेशक श्री पी.एस ड्रैक ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को सुदृढ़ करने में नए मील पत्थर स्थापित किए गए हैं।
हर्बल गार्डन के प्रभारी डा. सुभाष राणा ने इस परियोजना के माध्यम से हर्बल क्षमता के दोहन की योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस केेंद्र के स्तरोन्नत होने से आयुर्वेद के व्यवसायी लाभान्वित होंगे।
सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंत्री श्री रविंद्र रवि, उद्योग मंत्री श्री किशन कपूर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्रीमती सरवीन चैधरी, विधायक एवं मंडी जिला भाजपा अध्यक्ष श्री दिले राम, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के उपाध्यक्ष श्री राम स्वरूप शर्मा, हिमफैड के अध्यक्ष श्री जी.आर जमवाल, मिल्कफैड के अध्यक्ष श्री मोहन जोशी, प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष श्री अजय राणा, जोगेंद्रनगर भाजपा मंडल अध्यक्ष श्री सूरत सिंह, भारत सरकार के आयुर्वेद सलाहकार डा. एस.के शर्मा, उपायुक्त श्री अमनदीप गर्ग, वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।