जागरण वालों ने अन्ना के नाम पर माल

भ्रष्टाचार मिटे या न मिटे, लेकिन दैनिक जागरण वालों ने अपने खजाने में कुछ माल बढ़ा लिया है भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना के अभियान से. आप अचरज में पड़ जाएंगे कि आखिर कैसे. बताते हैं आपको. ये तो आप जानते ही हैं कि धंधा करने में जागरण वाले बहुत तेज हैं. तन बेच देंगे, मन बेच देंगे, मुर्दे का कफन बेच देंगे और जरूरी हुआ तो वतन भी बेच देंगे. इसी टाइप की सोच से प्रेरित जागरण समूह से आप भी धंधा करना सीख सकते हैं. धंधा करने का इनके हिसाब से मतलब यही होता है कि कोई भी मौका मत छोड़िए.

अन्ना हजारे के आंदोलन के ज्वार में तप रहे देशवासियों से कैसे पैसे निकलवाए जाएं, यह आइडिया जागरण वालों ने इजाद कर लिया. लगे फटाफट विज्ञापन बुक करने. उन्होंने लोगों को पकड़ा और कहा कि अगर आप अन्ना के साथ हैं और भ्रष्टाचार का विरोध करते हैं तो अपना विज्ञापन छपवाइए. और देखते ही देखते कई लोग तैयार हो गए. इस देश में वैसे भी मूर्खों की कमी तो है नहीं. लोगों को लगा कि जागरण वाले जब कह रहे हैं तो ठीक ही कह रहे होंगे और लोगों ने अन्ना हजारे जिंदाबाद लिखवाकर उसके नीचे अपनी तस्वीर छपवा दी और बदले में जागरण को पैसे दे डाले. प्रमाण नीचे दे रहे हैं. ये कुछ विज्ञापन सुबूत हैं अन्ना को भुनाने के जागरणी अभियान के. जागरण के अलावा किसी और अखबार ने इस मौके को भुनाया या नहीं, यह नहीं पता चल पाया है.

उपरोक्त विज्ञापन को ठीक से देखने के लिए तस्वीर पर ही क्लिक करें.

ये भी विज्ञापन जागरण का है.



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2 टिप्पणियाँ

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  1. इसका सकारात्मक पहलू यह है कि जागरण वालों ने अन्ना के आन्दोलन का समर्थन किया; जनता को इससे जुड़ने के लिये प्रेरित किया। यह बहुत ही अच्छा काम था।

    इसके विपरीत कुछ चोट्टे और बिके हुए पत्रकार इस आन्दोलन की धार को भोथरा करने के लिये तरह-तरह के कुतर्गढ़ रहे थे, जैसे-
    * देश में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये पहले ही कम कानून हैं क्या?
    * हम सभी भ्रष्ट हैं। पूरा देश भ्रष्ट है। केवल राजनेताओं का दोष नहीं है।
    * इस आन्दोलन को भाजपा और आरएसएस का समर्थन हासिल है।
    * कानून बनाना सरकार का काम है किसी एनजीओ का नहीं।
    * अन्ना हजारे और बाबा रामदेव को राजनीति से दूर रहना चाहिये।

    आदि

    भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनता जागृत हो; चोट्टों को सजा हो; उनका चुराया हुआ सारा माल राजसात कर लिया जाय।

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  2. इसका सकारात्मक पहलू यह है कि जागरण वालों ने अन्ना के आन्दोलन का समर्थन किया; जनता को इससे जुड़ने के लिये प्रेरित किया। यह बहुत ही अच्छा काम था।

    इसके विपरीत कुछ चोट्टे और बिके हुए पत्रकार इस आन्दोलन की धार को भोथरा करने के लिये तरह-तरह के कुतर्गढ़ रहे थे, जैसे-
    * देश में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये पहले ही कम कानून हैं क्या?
    * हम सभी भ्रष्ट हैं। पूरा देश भ्रष्ट है। केवल राजनेताओं का दोष नहीं है।
    * इस आन्दोलन को भाजपा और आरएसएस का समर्थन हासिल है।
    * कानून बनाना सरकार का काम है किसी एनजीओ का नहीं।
    * अन्ना हजारे और बाबा रामदेव को राजनीति से दूर रहना चाहिये।

    आदि

    भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनता जागृत हो; चोट्टों को सजा हो; उनका चुराया हुआ सारा माल राजसात कर लिया जाय।

    जवाब देंहटाएं
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