इंडिया गेट पहुंची बरखा को जनविरोध के कारण भागना पड़ा : नारेबाजी की शुरुआत करने वाले आईआईएमसी छात्र को डर है कि एनडीटीवी उस पर झूठा केस कर सकता है :
योगेश कुमार शीतल इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मास क्म्युनिकेशन के छात्र हैं. पत्रकारिता में सरोकार और आदर्श को जिंदा रखने और आगे बढ़ाने के लिए तत्पर रहते हैं. तभी तो इंडिया गेट पर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को सपोर्ट देने के लिए उमड़े जनसैलाब के बीच जब बरखा दत्त नजर आईं तो वे खुद को रोक न सके. उन्होंने नारेबाजी शुरुआत की तो देखते ही देखते सैकड़ों लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि जो बरखा दत्त खुद भ्रष्टाचार की आरोपी हैं, वे यहां कैसे रिपोर्टिंग कर सकती हैं. और, जनता ने मीडिया के भ्रष्टों के बारे में बातचीत शुरू कर दी. खुद के खिलाफ नारेबाजी होते देख बरखा ने पुलिस प्रोटेक्शन की डिमांड की. बाद में वे असहज हालात देख वहां से चली गईं. उधर, आईआईएमसी छात्र शीतल को डर है कि पुलिस उन्हें फंसा सकती है.
इंडिया गेट पर बरखा दत्त के लाइव प्रागाम में मेरे कुछ साथियों को शामिल होने के लिए बुलाया गया था। कार्यक्रम में बरखा को देख मैं अपने पर नियंत्रण कर पाने में असफल हो गया और आपस में ये निर्णय करके कि बरखा को इस मौके पर रिर्पोटिंग का नैतिक अधिकार नहीं है हमलोगों ने चप्पल चलानी चाही, लेकिन एक साथी के कहने पर ठहर गए।
थोड़ी देर बाद मैंने 'बरखा दत्त वापस जाओ, नीरा की दलाल वापस जाओ' जैसे नारे लगाने शुरू किए, जिसपर एनडीटीवी वालों ने मुझे वहां से धकेल दिया। वहीं दूर खड़े कुछ लोग नारे को सुनकर पास आ गए और वो मेरा समर्थन करने लगे। करीब दस मिनट में वहां भीड़ जुट गई और बरखा को वहां से भागना पड़ा।
इस दौरान मुझसे एनडीटीवी वालों ने बदतमीजी की और ऊपर के जेब में रखी मेरी डायरी और कुछ पैसे वहां गिर गए। करीब आधे घंटे के बाद जब मैं अपनी डायरी ढूंढने घटनास्थल पर आया तो मुझे कुछ पुलिसवालों ने पकड़ लिया और एक लड़की के पास ले गए। उस लड़की के साथ करीब दस लड़के थे। उस लड़की ने मुझसे कहा कि मैंने उसे चाटा मारा है।
मैं स्तब्ध रह गया। क्यूंकि मैं उन्हें नहीं जानता था और ना ही मैं कभी उनसे मिला था। मैं कुछ कहता इससे पहले उसके साथ खड़े लड़कों ने भी मुझे पहचानने का अभिनय किया। ये वही लड़के थे जो नारेबाजी करते वक्त मुझसे उलझ रहे थे। मुझे समझते देर नहीं लगी और मैंने वहीं चिल्लाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में वहां भीड़ जुट गई और मेरे कुछ साथी भी वहां पहुंच गए।
भीड़ होने पर पुलिस वालों से मुझे छोड़ दिया लेकिन जाते-जाते उनलोगों ने मुझे धमका दिया है कि वो मुझपर केस करेंगे। वहां से निकलकर मैंने तुरंत बीबीसी के एक पत्रकार को पूरा वाक्या बताया और उनके दिशानिर्देश पर कल नजदीक के थाने में पूरी जानकारी दे रहा हूं। मुझे डर है कि एनडीटीवी के लोग मुझपर झूठा मुकदमा कर सकते हैं। मैंने पूरी घटना की जानकारी भारतीय जनसंचार संस्थान के शिक्षकों को दे दी है।
योगेश कुमार शीतल
साभार ..