“न्याय करो अन्ना” की मांग के साथ जंतर मंतर पहुंचिए

25 अप्रैल को "न्याय करो अन्ना" की मांग के साथ जंतर मंतर पहुंचिए : भूषण पिता-पुत्र पर लगे आरोपों की जांच करवाएं अन्ना : तीसरा स्वाधीनता आंदोलन, भड़ास4मीडिया, इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डोक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (आईआरडीएस),  नेशनल आरटीआई फोरम तथा अन्य सहयोगी संगठनों द्वारा "न्याय करो अन्ना" की मांग के साथ एक प्रदर्शन का आयोजन 25 अप्रैल 2011 को 10 बजे से 1.30 बज तक जंतर मंतर पर किया जा रहा है.

प्रदर्शन उसी जंतर मंतर पर होगा जहां अन्ना हजारे ने अपने तमाम सहयोगियों के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूँका था और देश को साफ़-सुथरी व्यवस्था दिए जाने का नारा देते हुए आम आदमी में यह विश्वास बढ़ाया था कि लोकपाल बिल के जरिये देश में भ्रष्टाचार का खात्मा किया जा सकेगा. अन्ना की इस मांग का पूरे देश में स्वागत हुआ था और खुद भारत सरकार ने भी सभी कयासों को धता बताते हुए अन्ना हजारे की मांग मान ली थी.

लोकपाल एक्ट के लिए ड्राफ्टिंग कमिटी बनाने की बात हुई और उसके बाद से अब तक केवल विवाद ही विवाद चल रहा है जिसके बीच मुख्य मुद्दा दब के रह गया है. इसका एकमात्र कारण है इस ड्राफ्टिंग कमिटी से जुड़े तमाम लोगों का व्यवहार और आचरण. यह सारा मूवमेंट ही भ्रष्टाचार के खिलाफ बताया गया, इसको जन-स्वीकृति भी इसी आधार पर मिली पर जब जनता के भारी समर्थन के बाद ड्राफ्टिंग कमिटी बन गयी तो उसमे दो नाम ऐसे आये जिन पर लगातार गंभीर आरोप लगने शुरू हो गए. आरोप सही होंगे, आरोप गलत भी हो सकते हैं और यह भी हो सकता है कि कतिपय स्वार्थी ताकतें इन आरोपों को सामने ला रही हों जो सच्ची भी हो सकती हैं और झूठी भी, पर इतना तो है कि आज के समय तक शन्ति भूषण और प्रशांत भूषण पर टैक्स चोरी से लेकर पीआईएल के लिए पैसे मांगे जाने और नोयडा में भूमि से उपकृत होने के वे सभी आरोप लग रहे हैं जिनके लिए आम तौर पर नेता लोग बदनाम होते हैं.

भूषण पिता-पुत्र ने इन आरोपों को गलत ठहराया, यह बात तो समझ में आती है, पर बाकी के सहयोगी लोग भी इन आरोपों को बिना जांच के कैसे गलत ठहरा दे रहे हैं, यह बात समझ के परे है. अरविन्द केजरीवाल क्या किसी जांच दल के सदस्य हैं जो दावे से कह सकते हैं कि सारे आरोप गलत हैं? किरण बेदी, संतोष हेगड़े और ये दूसरे सारे लोग आरोप लगते ही कहना शुरू कर दे रहे हैं कि आरोप सत्य नहीं हैं. यह कैसे भला?

यह हो सकता है कि आरोप सुनियोजित हों, जानबूझ कर लगाए जा रहे हों पर यदि आरोप हैं तो उनकी जांच होनी चाहिए. साथ ही चूँकि सारा मामला ही भ्रष्टाचार के विरोध में है, अतः इस तरह के आरोप से प्रभावित व्यक्ति को ड्राफ्टिंग कमिटी से स्वयं ही अलग हो जाना चाहिए था. आखिर लोकपाल बनेगा तो वह भी तो यही करेगा कि आरोप आये तो जांच हो, या वह अरविन्द केजरीवाल की तरह कहने लगेगा कि यह तो सुनियोजित है. क्या इस देश में अधिवक्ताओं या विधि-विशेषज्ञों का इतना भीषण अभाव है कि भूषण पिता-पुत्र के बिना कोई क़ानून ही नहीं बन पायेगा? जिस क़ानून की नीव ही ऐसे गंभीर आरोपों पर टिकी होगी उसका जनता के मष्तिष्क पर क्या प्रभाव बन पायेगा?

अत्यंत कष्ट का विषय है कि भ्रष्टाचार पर इतना मुखर हो कर बोलने वाले अन्ना हजारे भी आज ना जाने क्यों चुप हैं? पता नहीं उनकी क्या सीमाएं और बंदिशें हैं जो वे इतनी सी बात भी नहीं बोल पाते कि आरोप हैं तो जांच हो? इन लोगों के आचरण से आम लोगों में दो ही प्रकार के सन्देश जा रहे हैं- या तो ये लोग अपने इन छोटे से ड्राफ्टिंग कमिटी सदस्य के पदों का लोभ नहीं संवरण कर पा रहे हैं या फिर इन तमाम लोगों की देश की विधिक व्यवस्था में आस्था नहीं है और ये लोग अपने आप को इससे ऊपर साम्झते हैं. दोनों ही सन्देश अच्छे नहीं है. साथ ही यह भय दिखाना कि इनके बिना लोकपाल बिल नहीं बन पायेगा पूर्णतया बेमानी है क्योंकि इन लोगों के अलावा भी इस देश में एक पर एक कर्तव्यनिष्ठ और जानकार लोग हैं.

इन सारी स्थितियों के मद्देनज़र कुछ लोग उसी जंतर मंतर पर 25 अप्रैल 2011 को दस बजे से करीब डेढ़ बजे तक "न्याय करो अन्ना" की मांग के साथ प्रदर्शन करेंगे. दो प्रमुख मांगे हैं-

1. शांति भूषण और उनके पुत्र प्रशांत भूषण पर लगे आरोपों को दबाने की जगह उनके विषय में तत्काल उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच हो
2. जब तक जांच के परिणाम नहीं आ जाते तब तक शांति भूषण और प्रशांत भूषण को इस ड्राफ्टिंग कमिटी से अलग रखा जाए और यदि बहुत जरूरत हो तो उनकी जगह निर्विवाद छवि के व्यक्ति को लाया जाए

अतः सभी साथियों और पत्रकार बंधुओं से मेरी बात से सहमत होने की दशा में कार्यक्रम में शिरकत करने और उपस्थित होने का नम्र निवेदन  इस प्रदर्शन का विशेष सांकेतिक महत्व है क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी युद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की तरफदारी कर के नहीं जीता जा सकता है. ऐसा सोचना भी बेमानी होगा. इसीलिए  एक बार पुनः निवेदन है- "न्याय करो अन्ना".

निवेदक
अमिताभ ठाकुर, आईआरडीएस
गोपाल राय, तीसरा स्वाधीनता आंदोलन
नूतन ठाकुर, नेशनल आरटीआई फोरम 
यशवंत सिंह, भड़ास4मीडिया

अनुरोध : कृपया इस आलेख को कापी करके अपने मेल बाक्स में डालें और अपने कांटेक्ट लिस्ट के सभी सहयोगियों के पास भेज दें ताकि करप्ट लोगों को संरक्षण दे रहे अन्ना पर दबाव बन सके. इस प्रदर्शन का मकसद सिर्फ इतना भर है कि अन्ना हजारे अपने उन साथियों की जांच करवा लें जिन पर करप्शन के गंभीर चार्जेज लग रहे हैं. अगर अन्ना ऐसा नहीं करते हैं तो उनमें और सरकारों में कोई फर्क नहीं रह जाएगा क्योंकि दोनों ही करप्ट लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि आंदोलन में शरीक होने वाले सभी संगठन व सभी लोग अन्ना के प्रति पूरी तरह निष्ठावान हैं और उनके करप्शन विरोधी मुहिम का समर्थन करते हैं लेकिन भूषण पिता पुत्र को लेकर अन्ना के रुख का समर्थन नहीं करते हैं. और, अपने इसी मतभेद, इसी असहमति को प्रदर्शित करने व अन्ना पर दबाव बनाने के मकसद प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है. आप सभी से शरीक है कि आप इस पोस्ट को फेसबुक, मेल, ट्विट आदि के जरिए ज्यादा से ज्यादा प्रचारित व प्रसारित कराएं. -यशवंत


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1 टिप्पणियाँ

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  1. भैया ये भ्रष्टाचारियों के साथ कैसे हो लिये? समझो दलालों को, मीरजाफरों को, जयचंदों को। यह देश आज भी गुलाम है। क्वीन एलिजाबेथ के समय में इस देश को नहीं लूटा जा सका वह कमी 'नयी क्वीन' (विदेशी बाई) पूरा कर रही है। एक नहीं दो-दो 'कठपुतलियाँ' देश के सर्वोच्च आसन पर बैठा कर लूट जारी है।

    जागो भारत, जागो ।

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