नवम्बर में कूटनीतिक गतिविधियों में व्यस्त रहेंगे मनमोहन
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नवम्बर में गहन कूटनीतिक गतिविधियों में व्यस्त रहेंगे। वह तीन बहुपक्षीय शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेंगे। इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट का समाधान, पूर्वी एशिया के ढांचे का विकास और दक्षिण एशियाई एकता में नई ऊर्जा डालना उनके एजेंडे में शीर्ष पर होगा।
ऐसे समय में जब विकसित देश अभी भी मंदी से जूझ रहे हैं, उस समय आठ प्रतिशत विकास दर की सम्भावना से उत्साहित मनमोहन सिंह दो नवम्बर को विकसित एवं विकासील अर्थव्यवस्थाओं के जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कान्स के फ्रेंच रिविएरा शहर के लिए प्रस्थान करेंगे।
वैश्विक अर्थव्यवस्था के अस्थिर हालात बातचीत की मेज पर सबसे ऊपर होंगे। वैश्विक अर्थव्यस्था इस हालात से उबरने के लिए उभर रहे बाजारों में वृद्धि की आकांक्षा रखती है। चूंकि यह माना जा रहा है कि मनमोहन सिंह ने हाल में यूरोजोन को संकट से उबारने की प्रक्रिया को प्रभावित किया है, लिहाजा वैश्विक संकट से उबरने में उनके कौशल की काफी मांग रहेगी।
चार नवम्बर के जी-20 शिखर सम्मेलन के दस्तावेज में भारत द्वारा लम्बे समय से की जा रही वह मांग शामिल हो सकती है, जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के सुधार और ब्रेटन वूड्स संस्थानों में उभरती अर्थव्यवस्थाओं को अधिक महत्व दिए जाने की मांग की गई है।
जी-20 से नई दिल्ली लौटने के चंद दिनों बाद ही मनमोहन सिंह नौ नवम्बर को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के 17वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने मालदीव के एड्ड एटोल जाएंगे।
वह मालदीव से 12 नवम्बर को वापस लौटेंगे। इसके लगभग एक सप्ताह बाद 18 देशों के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में तथा भारत-आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वह बाली के लिए प्रस्थान करेंगे। यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में होने जा रहा है, जब दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन के आक्रामक रूख के कारण क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है।