'रॉकेट महिला' कर रही है प्रक्षेपास्त्र अभियान की अगुआई

नई दिल्ली, | टेसी थॉमस किसी भारतीय प्रक्षेपास्त्र परियोजना की पहली
महिला निदेशक हैं। उनके निर्देशन में फरवरी 2012 में अग्नि
प्रक्षेपास्त्र के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत अंतरमहाद्वीपीय
बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र का विकास करने में सक्षम अमेरिका, रूस और चीन
जैसे देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।थॉमस भारतीय सेना में महिलाओं
को युद्ध की भूमिका दिए जाने का भी समर्थन करती हैं।थॉमस ने एक बातचीत
में कहा, "क्यों नहीं? यदि वह इतनी तत्परता से सेना में भूमिका निभा रही
है, तो वह युद्ध क्षेत्र में भी भूमिका निभा सकती हैं।"48 वर्षीय थॉमस को
1988 से अग्नि प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम से जुड़ने के बाद से ही 'अग्नि
पुत्री' के नाम से भी जाना जाता है। पिछले दिनों अग्नि-4 प्रक्षेपास्त्र
के सफल प्रक्षेपण के बाद थॉमस रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ)
के सहकर्मी वैज्ञानिकों के साथ दिल्ली आई थीं।

अग्नि-4 विषुवत रेखा के पार सफलता पूर्वक निशाने को भेदने वाला पहला
भारतीय प्रक्षेपास्त्र था।

प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी में उनके योगदानों के चलते समाचार माध्यम
थॉमस को मिसाइल महिला के नाम से भी पुकारता है।

यह पूछने पर कि वह पुरुष प्रधान क्षेत्र में कैसे आ गईं, उन्होंने कहा,
"विज्ञान लिंग आधारित क्षेत्र नहीं है। रक्षा अनुसंधान और विकास एक ज्ञान
आधारित क्षेत्र है।"

थॉमस इंजीनियरिंग स्नातक हैं। डीआरडीओ से जुड़ने के बाद भारतीय
प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने
थॉमस को अग्नि प्रक्षेपास्त्र परियोजना से जोड़ दिया था।

थॉमस ने निर्देशित प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी में परास्नतक की डिग्री
भी हासिल की है।

कोझीकोड के त्रिशूर इंजीनियरिंग कॉलज से शिक्षा लेने के बाद उन्होंने
पुणे में डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्न ोलॉजी से एम.टेक किया।
इसके बाद उनका डीआरडीओ के निर्देशित हथियार पाठ्यक्रम के लिए चुनाव हुआ।
इसके बाद से ही वह भारतीय प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम से जुड़ गईं। वह 1988
से अग्नि श्रृंखला के प्रक्षेपास्त्रों से जुड़ी हैं और अग्नि-2 और
अग्नि-3 की मुख्य टीम का हिस्सा थीं।उन्होंन कलाम को अपना प्रेरणा स्रोत
बताया।उन्होंने कहा, "जब मैंने यहां प्रवेश किया था, तब कलाम सर
प्रयोगशाला के निदेशक थे। उन्होंने ही मुझे अग्नि परियोजना दी थी।"अब
थॉमस अग्नि-5 परियोजना की अगुआई कर रही हैं और उनके साथ पांच अन्य महिला
वैज्ञानिक भी काम कर रही हैं।डीआरडीओ में प्रक्षेपास्त्र परियोजना से
जुड़े 250 वैज्ञानिकों में 20 महिला वैज्ञानिक हैं।थॉमस 2008 में अग्नि
प्रणाली की परियोजना निदेशक बनीं। उसी समय उन्हें अग्नि-2 का नेतृत्व
करने की जिम्मेदारी दी गई थी।वर्ष 2009 में उन्हें अग्नि-4 की परियोजना
निदेशक बनाया गया।आगे की योजना के बारे में उन्होंने कहा, "दिल थाम कर
अग्नि-5 की प्रतीक्षा कीजिए।"

BIJENDER SHARMA

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