जे पी नड्डा ने 68वीं विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य सभा के अध्‍यक्ष का पदभार संभाला

जे पी नड्डा ने 68वीं विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य सभा के अध्‍यक्ष का पदभार संभाला

योग की खास अहमियत पर विशेष जोर दिया

केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री श्री जे पी नड्डा ने आज जिनेवा में 68वीं विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य सभा के अध्‍यक्ष का पदभार संभाल लिया। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य सभा के अध्‍यक्ष के तौर पर स्‍वास्‍थ्‍य सभा के पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि मानवता के समक्ष मौजूद स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी चुनौतियों का जायजा लेने और इसके साथ ही हमारे संयुक्‍त प्रयासों की प्राथमिकता तय करने व रणनीति बनाने के लिहाज से यह अधिवेशन सदस्‍य देशों के लिए एक महत्‍वपूर्ण अवसर है।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य पर समग्र रूप से विचार करना आवश्‍यक है, जिसमें प्रकृति, स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी जीवन शैली अपनाना और स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल असर डालने वाली आदतों से बचना शामिल हैं। उन्‍होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने पिछले साल सितंबर में संयुक्‍त राष्‍ट्र की महासभा में योग को स्‍वास्‍थ्‍य एवं खुशहाली का उपयुक्‍त मार्ग मानने का आह्वान किया था। उन्‍होंने कहा कि हमें यह सूचित करते हुए खुशी हो रही है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र की महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्‍ताव स्‍वीकार कर लिया है, जिसे 177 देशों का अनुमोदन शामिल है।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य की तेजी से बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे प्रयासों को दोगुना करने की जरूरत है, जिनमें संक्रामक रोग, गैर संक्रामक रोग, स्‍वास्‍थ्‍य पर जलवायु परिवर्तन का असर, सार्वभौमिक स्‍वास्‍थ्‍य कवरेज, देशों के बीच स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी पूछताछ कम हो जाना, हर देश में स्‍वास्‍थ्‍य के लिए पर्याप्‍त मानव संसाधन मुहैया कराना, किफायती दवाओं एवं इलाज तक पहुंच सुनिश्चित करना और स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी जीवन शैली को बढ़ावा देकर बीमारियों से बचना शामिल हैं।

उन्‍होंने कहा कि 'सभी में स्‍वास्‍थ्‍य' नीतियों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर संस्‍थागत ढांचे के तहत बहु-क्षेत्रीय रुख अपनाने की जरूरत है। राष्‍ट्रीय एवं अंतर्राष्‍ट्रीय दोनों ही स्‍तरों पर अंतर-निर्भरता की अहमियत को समझना और विभिन्‍न क्षेत्रों के बीच सहयोग आवश्‍यक है। मंत्री ने कहा कि जब तक हम सिविल सोसायटी और गैर-सरकारी संगठनों की भी क्षमताओं का लाभ नहीं उठायेंगे, तब तक अंतर-क्षेत्रीय सहयोग का कोई औचित्‍य नहीं रह जाएगा। उन्‍होंने कहा कि दरअसल अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर अंतर-निर्भरता को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नियमों में भी समाहित किया गया है।
BIJENDER SHARMA

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