एनआईटी के विद्यार्थी ने ईजाद की सेमी-आॅटोमेटेड ट्राॅली

एनआईटी के विद्यार्थी ने ईजाद की सेमी-आॅटोमेटेड ट्राॅली
आॅक्सीजन सिलेंडर बदलने की समस्या से दिला सकती है निजात
जिलाधीश की प्रेरणा से 'आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है' की कहावत को किया चरितार्थ
हमीरपुर 18 जुलाई  (विजयेन्दर शर्मा)   । । विपरीत परिस्थितियां और विकट समस्याएं अक्सर हमारी क्षमता, योग्यता और धैर्य की ही परीक्षा नहीं लेती हैं, बल्कि कुछ नया सोचने एवं करने तथा समस्याओं का समाधान निकालने के लिए भी प्रेरित करती हैं। पिछले डेढ़ वर्ष से अधिक समय से जारी कोरोना संकट ने भी जहां हमें कई सबक दिए हैं, वहीं इन परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए नवाचार यानि इनोवेशन को भी बढ़ावा दिया है। इसकी एक मिसाल हिमाचल प्रदेश के छोटे से जिला हमीरपुर में भी देखने को मिल रही है। हमीरपुर की युवा जिलाधीश देबश्वेता बनिक की प्रेरणा और प्रोत्साहन से यहां के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के एक विद्यार्थी रजत अनंत ने आॅक्सीजन गैस सिलेंडरों को बदलने तथा अस्पताल के भीतर इन्हें आसानी से लाने और ले जाने के लिए एक सेमी-आॅटोमेटेड ट्राॅली तैयार की है। 'आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है' की कहावत को चरितार्थ करते हुए बनाई गई यह ट्राॅली आने वाले समय में बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है। विशेषकर, कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर एनआईटी के विद्यार्थी की इस इनोवेशन में कई संभावनाएं नजर आ रही हैं।
जिलाधीश देबश्वेता बनिक ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी और आॅक्सीजन सिलेंडरों को बार-बार बदलने तथा इन्हें अस्पताल की एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक ले जाने में स्वास्थ्य कर्मचारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी। एक सिलेंडर को बदलने में ही काफी ज्यादा वक्त लग रहा था तथा इस कार्य में 5-6 लोगों की सेवाएं लेनी पड़ रही थी। अस्पताल प्र्रबंधन के लिए यह अपने आपमें एक बड़ी समस्या थी।
देबश्वेता बनिक ने बताया कि बाजार में भी इस काम के लिए कोई सेमी-आॅटोमेटेड ट्राॅली उपलब्ध नहीं थी। ऐसी परिस्थितियों में उन्होंने एनआईटी के इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डाॅ. आरके जरयाल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डाॅ. राजेश कुमार के साथ उक्त समस्या के समाधान को लेकर चर्चा की तथा इंजीनियरिंग एक्सपट्र्स की मदद से सेमी-आॅटोमेटेड ट्राॅली विकसित करने का आग्रह किया।
इसके बाद एनआईटी के निदेशक डाॅ. ललित अवस्थी की अनुमति से दोनों विभागों ने इस दिशा में तेजी से कार्य आरंभ किया। इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के विद्यार्थी रजत अनंत ने इस प्रोजेक्ट पर कार्य आरंभ किया। आखिर रजत अनंत की मेहनत रंग लाई और दो माह के भीतर ही उन्होंने अपने छोटे भाई मोहित अनंत की मदद से एक ऐसी सेमी-आॅटोमेटेड ट्राॅली का माॅडल तैयार करने में कामयाबी हासिल की, जिसके माध्यम से केवल एक व्यक्ति ही आॅक्सीजन गैस सिलेंडरों को अस्पताल की एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक बड़ी आसानी से ले जा सकता है तथा खाली सिलेंडरों को बहुत ही कम समय में बदल सकता है। पिछले महीने ही अपनी बीटैक की डिग्री पूरी करने वाला रजत अनंत बहुत ही प्रतिभाशाली विद्यार्थी है। पिछले वर्ष भी उसने इलैक्ट्रिकली चाज्र्ड वाहन से संबंधित एक प्रोटोटाइप तैयार किया था, जिसकी काफी सराहना हुई थी।
जिलाधीश ने बताया कि रजत अनंत के नए अविष्कार को मुख्यमंत्री स्टार्ट-अप योजना में शामिल करवाने के लिए भी उद्योग विभाग के माध्यम से आवेदन कर दिया गया है। एनआईटी प्रबंधन भी इसके पेटेंट से संबंधित सभी औपचारिकताएं पूरी कर रहा है। इस प्रोजेक्ट में एडीएम जितेंद्र सांजटा और डीएसपी रोहिन डोगरा ने भी रिसर्च टीम के साथ समन्वय स्थापित करके सराहनीय योगदान दिया।
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फोटो कैप्शन: एनआईटी हमीरपुर के विद्यार्थी रजत अनंत द्वारा विकसित की गई सेमी-आॅटोमेटेड ट्राॅली का अवलोकन करतीं जिलाधीश देबश्वेता बनिक।

BIJENDER SHARMA

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