दलाई लामा ने पीएम नरेन्दर मोदी से मिलने की इच्छा जताई
धर्मशाला 19 जुलाई (विजयेन्दर शर्मा) । आने वाले दिनों में दलाई लामा व भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्दर मोदी बातचीत के टेबल पर आमने सामने हो सकते हैं इसको लेकर तिब्बत की निर्वासित सरकार ने पहल की है व भारत सरकार के समक्ष अपनी पेशकश रखी है ।
दरअसल पिछले दिनों दलाई लामा के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेन्दर मोदी की ओर से दलाई लामा को किये बधाई फोन से निर्वासित सरकार खासी उत्साहित है हालांकि इस फोन काल को भारत की चीन के प्रति नीति में आये बदलाव के तौर पर भी देखा जा रहा है डोकलाम विवाद के बाद भारत चीन संबंधों में कड़वाहट आई है बदले हालातों में अमेरिका का दबाव भी चीन पर है भले ही भारत सरकार अभी तक दलाई लामा को लेकर चीन के दबाव की वजह से हिचकिचाहट दिखाती रही है लेकिन अब पीएम मोदी व दलाई लामा के बीच हुई पहल से चीन पर भारत सरकार कूटनीतिक दबाव बनाने में कामयाब हुई है उससे तिब्बती भी खासे उत्साहित हैं व चाहते हैं कि जल्द ही मोदी व दलाई लामा के बीच बातचीत हो ।
तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग ने माना कि तिब्बतियों के अध्यात्मिक नेता दलाई लामा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहते हैं, अगर कोविड -19 की स्थिति बेहतर हो जाती है। तो यह जल्द ही संभव है। इसको लेकर भारत सरकार को पहल करनी है ।
उन्होंने कहा कि 'भारत सरकार और भारत के लोग तिब्बतियों के प्रति बहुत दयालु हैं। हम बहुत खुश हैं कि प्रधानमंत्री ने ऐसा किया यह हमारे लिए काफी उत्साहजनक है। पेंपा सेरिंग ने कहा कि 'शायद यह पहली बार है कि प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट को सार्वजनिक किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी के कारण संचार में बदलाव और बहुत सारे नए अनुप्रयोग आ रहे हैं। आपके ट्वीट को सार्वजनिक करना या बनाना सामान्य होता जा रहा है आपकी आधिकारिक स्थिति स्पष्ट है, आप इसे स्पष्ट करते हैं, लेकिन अन्यथा परम पावन दलाई लामा और भारत सरकार के बीच संबंध या केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और भारत सरकार के बीच संबंध स्थिर हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के 86वें जन्मदिन पर उनके साथ टेलीफोन पर बातचीत की और उनके "लंबे और स्वस्थ जीवन" की कामना भी की। यह बेहतर संकेत है ।
आपको बता दें कि दलाई लामा तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु हैं। उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तर पूर्वी तिब्बत के आमदो के तक्सेर में स्थित एक छोटे से गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। दो साल की उम्र में, ल्हामो धोंडुप नाम के बच्चे को पिछले 13वें दलाई लामा, थुबटेन ग्यात्सो के पुनर्जन्म के रूप में मान्यता दी गई था। 1950 में, तिब्बत पर चीन के आक्रमण के बाद, उन्हें पूर्ण राजनीतिक सत्ता संभालने के लिए बुलाया गया था। 1959 में, उन्हें निर्वासन में भागने के लिए मजबूर किया गया था। तब से वह धर्मशाला में रह रहे हैं।
धर्मशाला 19 जुलाई (विजयेन्दर शर्मा) । आने वाले दिनों में दलाई लामा व भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्दर मोदी बातचीत के टेबल पर आमने सामने हो सकते हैं इसको लेकर तिब्बत की निर्वासित सरकार ने पहल की है व भारत सरकार के समक्ष अपनी पेशकश रखी है ।
दरअसल पिछले दिनों दलाई लामा के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेन्दर मोदी की ओर से दलाई लामा को किये बधाई फोन से निर्वासित सरकार खासी उत्साहित है हालांकि इस फोन काल को भारत की चीन के प्रति नीति में आये बदलाव के तौर पर भी देखा जा रहा है डोकलाम विवाद के बाद भारत चीन संबंधों में कड़वाहट आई है बदले हालातों में अमेरिका का दबाव भी चीन पर है भले ही भारत सरकार अभी तक दलाई लामा को लेकर चीन के दबाव की वजह से हिचकिचाहट दिखाती रही है लेकिन अब पीएम मोदी व दलाई लामा के बीच हुई पहल से चीन पर भारत सरकार कूटनीतिक दबाव बनाने में कामयाब हुई है उससे तिब्बती भी खासे उत्साहित हैं व चाहते हैं कि जल्द ही मोदी व दलाई लामा के बीच बातचीत हो ।
तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग ने माना कि तिब्बतियों के अध्यात्मिक नेता दलाई लामा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहते हैं, अगर कोविड -19 की स्थिति बेहतर हो जाती है। तो यह जल्द ही संभव है। इसको लेकर भारत सरकार को पहल करनी है ।
उन्होंने कहा कि 'भारत सरकार और भारत के लोग तिब्बतियों के प्रति बहुत दयालु हैं। हम बहुत खुश हैं कि प्रधानमंत्री ने ऐसा किया यह हमारे लिए काफी उत्साहजनक है। पेंपा सेरिंग ने कहा कि 'शायद यह पहली बार है कि प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट को सार्वजनिक किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी के कारण संचार में बदलाव और बहुत सारे नए अनुप्रयोग आ रहे हैं। आपके ट्वीट को सार्वजनिक करना या बनाना सामान्य होता जा रहा है आपकी आधिकारिक स्थिति स्पष्ट है, आप इसे स्पष्ट करते हैं, लेकिन अन्यथा परम पावन दलाई लामा और भारत सरकार के बीच संबंध या केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और भारत सरकार के बीच संबंध स्थिर हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के 86वें जन्मदिन पर उनके साथ टेलीफोन पर बातचीत की और उनके "लंबे और स्वस्थ जीवन" की कामना भी की। यह बेहतर संकेत है ।
आपको बता दें कि दलाई लामा तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु हैं। उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तर पूर्वी तिब्बत के आमदो के तक्सेर में स्थित एक छोटे से गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। दो साल की उम्र में, ल्हामो धोंडुप नाम के बच्चे को पिछले 13वें दलाई लामा, थुबटेन ग्यात्सो के पुनर्जन्म के रूप में मान्यता दी गई था। 1950 में, तिब्बत पर चीन के आक्रमण के बाद, उन्हें पूर्ण राजनीतिक सत्ता संभालने के लिए बुलाया गया था। 1959 में, उन्हें निर्वासन में भागने के लिए मजबूर किया गया था। तब से वह धर्मशाला में रह रहे हैं।