हिमाचल प्रदेश के सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों में संस्कृत अधिकारी व संस्कृत शिक्षक तैनात करने की तैयारी
धर्मशाला 29 दिसम्बर (विजयेन्दर शर्मा) । । प्रदेश के सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों में जल्दी ही पूजा पाठ व कर्मकांड का मूहौल सुधारने के लिये संस्कृत अधिकारी व संस्कृत शिक्षक तैनात होंगे। सरकार इस कवायद को अमली जामा पहनाने के लिये तैयारियों में जुटी हे।
हाल ही में शिक्षा भाषा संस्कृति मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में संस्कृत भारती व द्वितीय राजभाषा संस्कृत क्रियान्वयन समिति की बैठक में सदस्यों की ओर आये सुझाव के बाद सरकार ने इस मामले पर मंथन शुरू कर दिया है। इसके लिए बाकायदा विभिन्न जिलों के उपायुक्तों से भी सुझाव मांगे गये थे।
दलील दी जा रही है कि हिमाचल प्रदेश के मंदिरों खासकर सरकारी नियंत्रण वाले धार्मिक संस्थानों में वैदिक विधि से कर्मकांड व पूजा अर्चना करवाने में अनुभवी कर्मकांडी विद्धान या पुरोहित ही नहीं हैं। जिससे मंदिरों में सही तरीके से हिन्दू रीति रिवाज के तहत पूजा अर्चना नहीं हो पाती है।
हा ही में कुछ मंदिरों में आरती को सरकार ने लाईव किया है। लेकिन वहां भी देखा जा रहा है कि पुजारी कर्मकांड के दौरान न तो सही तरीके से लय बद्ध होकर आरती गा पा रहे हैं। न ही सही तरीके मंत्र उच्चारण कर पा रहे है।
यही नहीं उस समय स्थिती तो और गंभीर हो जाती है। जब कोई विशिष्ट अतिथि इन मंदिरों में दर्शनों को आता है। व पूजा कर्मकांड से वह संतुष्ट नहीं हो पाता।
यही वजह है कि अब इसमें सुधार लाने के लिये कवायद शुरू हो गई है। इस बैठक के दौरान सदस्यों ने बताया कि प्रदेश कुछ बडे मंदिरों में मंदिरों के द्धारा ही संस्कृत कालेज चलाये जा रहे हैं। लेकिन इन संस्कृत महाविद्यालयों का सही उपयोग मंदिर नहीं कर पाये हैं। यहां से संस्कृत के संस्कार, वैदिक रिति रिवाज , पूजा का विधान, कथा प्रवचन और कर्मकांड में सुधार लाने का प्रयास हो सकता है। मंदिर संस्कार के केन्द्र हैं। यहां से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
लिहाजा मौजूदा हालात को देखते हुये सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों में संस्कृत अधिकारी व संस्कृत शिक्षक नियुक्त कर सकती है। यह लोग इन मंदिरों में अपना पुशतैनी काम कर रहे पुरोहित, बारीदार व कर्मकांड करवाने वाले पुजारियों को वैदिक विधि विधान के साथ कर्मकांड का प्रशिक्षण दे सकते हैं। ताकि यह लोग निपुण होकर यह लोग मंदिर परिसर में पूजा पाठ कर्मकांड मंत्र उच्चारण व स्त्रोत पाठ बेहतर तरीके से कर माहौल को हर समय भक्तिमय बना सकें। यही नहीं मंदिर में तैनात सभी कर्मचारियों के लिये संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण भी यही संस्कृत कालेज दें। इसके लिये सरकार को कोई पैसा भी खर्च नहीं होगा। मंदिरों के पास पैसा है। व मंदिर न्यास संस्कृत अधिकारी व संस्कृत शिक्षक का आसानी से वेतन दे सकते हैं। इससे वैदिक भाषा का प्रचार प्रसार होगा। व मंदिरों में माहौल भी भक्तिमय बनेगा। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही ज्वालामुखी ,कांगडा, चामुंडा ,नैना देवी , बाबा बालक नाथ दियोट सिद्ध, चिंतपूर्णी सहित दूसरे बड़े मंदिरों में ऐसी नियुक्ति करेगी। सरकार के निर्णय को बड़े पैमाने पर सराहा जा रहा है।
धर्मशाला 29 दिसम्बर (विजयेन्दर शर्मा) । । प्रदेश के सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों में जल्दी ही पूजा पाठ व कर्मकांड का मूहौल सुधारने के लिये संस्कृत अधिकारी व संस्कृत शिक्षक तैनात होंगे। सरकार इस कवायद को अमली जामा पहनाने के लिये तैयारियों में जुटी हे।
हाल ही में शिक्षा भाषा संस्कृति मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में संस्कृत भारती व द्वितीय राजभाषा संस्कृत क्रियान्वयन समिति की बैठक में सदस्यों की ओर आये सुझाव के बाद सरकार ने इस मामले पर मंथन शुरू कर दिया है। इसके लिए बाकायदा विभिन्न जिलों के उपायुक्तों से भी सुझाव मांगे गये थे।
दलील दी जा रही है कि हिमाचल प्रदेश के मंदिरों खासकर सरकारी नियंत्रण वाले धार्मिक संस्थानों में वैदिक विधि से कर्मकांड व पूजा अर्चना करवाने में अनुभवी कर्मकांडी विद्धान या पुरोहित ही नहीं हैं। जिससे मंदिरों में सही तरीके से हिन्दू रीति रिवाज के तहत पूजा अर्चना नहीं हो पाती है।
हा ही में कुछ मंदिरों में आरती को सरकार ने लाईव किया है। लेकिन वहां भी देखा जा रहा है कि पुजारी कर्मकांड के दौरान न तो सही तरीके से लय बद्ध होकर आरती गा पा रहे हैं। न ही सही तरीके मंत्र उच्चारण कर पा रहे है।
यही नहीं उस समय स्थिती तो और गंभीर हो जाती है। जब कोई विशिष्ट अतिथि इन मंदिरों में दर्शनों को आता है। व पूजा कर्मकांड से वह संतुष्ट नहीं हो पाता।
यही वजह है कि अब इसमें सुधार लाने के लिये कवायद शुरू हो गई है। इस बैठक के दौरान सदस्यों ने बताया कि प्रदेश कुछ बडे मंदिरों में मंदिरों के द्धारा ही संस्कृत कालेज चलाये जा रहे हैं। लेकिन इन संस्कृत महाविद्यालयों का सही उपयोग मंदिर नहीं कर पाये हैं। यहां से संस्कृत के संस्कार, वैदिक रिति रिवाज , पूजा का विधान, कथा प्रवचन और कर्मकांड में सुधार लाने का प्रयास हो सकता है। मंदिर संस्कार के केन्द्र हैं। यहां से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
लिहाजा मौजूदा हालात को देखते हुये सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों में संस्कृत अधिकारी व संस्कृत शिक्षक नियुक्त कर सकती है। यह लोग इन मंदिरों में अपना पुशतैनी काम कर रहे पुरोहित, बारीदार व कर्मकांड करवाने वाले पुजारियों को वैदिक विधि विधान के साथ कर्मकांड का प्रशिक्षण दे सकते हैं। ताकि यह लोग निपुण होकर यह लोग मंदिर परिसर में पूजा पाठ कर्मकांड मंत्र उच्चारण व स्त्रोत पाठ बेहतर तरीके से कर माहौल को हर समय भक्तिमय बना सकें। यही नहीं मंदिर में तैनात सभी कर्मचारियों के लिये संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण भी यही संस्कृत कालेज दें। इसके लिये सरकार को कोई पैसा भी खर्च नहीं होगा। मंदिरों के पास पैसा है। व मंदिर न्यास संस्कृत अधिकारी व संस्कृत शिक्षक का आसानी से वेतन दे सकते हैं। इससे वैदिक भाषा का प्रचार प्रसार होगा। व मंदिरों में माहौल भी भक्तिमय बनेगा। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही ज्वालामुखी ,कांगडा, चामुंडा ,नैना देवी , बाबा बालक नाथ दियोट सिद्ध, चिंतपूर्णी सहित दूसरे बड़े मंदिरों में ऐसी नियुक्ति करेगी। सरकार के निर्णय को बड़े पैमाने पर सराहा जा रहा है।