भाषा एवं संस्कृति विभाग कांगड़ा द्वारा लोहड़ी पर्व पर आनलाईन कवि संगोष्ठी का आयोजन
धर्मशाला 12 जनवरी: (विजयेन्दर शर्मा) । जिला भाषा अधिकारी सुरेश राणा ने जानकारी देते हुए बताया कि भाषा एवं संस्कृति विभाग कांगड़ा द्वारा आज लोहड़ी पर्व तथा मकर संक्राति की पूर्व संध्या के पावन असवर पर आज़ादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत ''लोहड़ी उत्सव का लोक एवं शास्त्रीय पक्ष'' विषय पर परिचर्चा एवं कवि संगोष्ठी का ऑनलाईन आयोजन करवाया गया।
इस अवसर पर लगभग 24 कवियों/साहित्यकारों ने पहाड़ी व हिन्दी भाषा में लोहड़ी व मकर संक्रान्ति पर अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम के आंरभ में डॉ.गौतम व्यथित शर्मा द्वारा उपरोक्त विषयक पर प्रस्तावना व्क्तव्य प्रस्तुत किया गया। इस पर डॉ.पवनेंद्र पवन तथा डॉ. प्रत्यूष गुलेरी द्वारा संक्षिप्त रूप से चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त कवियों ने अपनी मौलिक कविताएं प्रस्तुत कीं। द्विजेन्द्र द्विज द्वारा पहाड़ी गजल-कालियां मणसां वाले लोक ता सोच्चा दे। होर नी किछ तां तम्बू इफाडा धूपा दा, प्रस्तुत की। अदिति गुलेरी द्वारा प्रस्तुत कविता ''सूरज बदले जो चाल है। हवाएं बजाती सुरमयी ताल है ठन्डी भौंर-ठडीं शाम तीखी सलोनी धूप लाई लोहड़ी आई-लोहड़ी आई। युवा कवि शिवा पंचकरण द्वारा फोणां ता निकलेगे, तां कुथी कोई कारज मनागें, अज कलां दे जवान क्या ही कमागें। डॉ. विजयपुरी द्वारा हरण मंगे तिल चौली दे लाल गुडडे दी रियोडी दे। दिदें हैं धुहाई है कोठे हथ पूवांदी है आदि कविताएं प्रस्तुत कर सभी को मंत्रगुग्ध कर दिया। इसके उपरांत कुनाल किशोर, शिवांगी गर्ग, मिनी भारद्वाज, काजल जन्नत, डॉ.रमेश मस्ताना, प्रभात शर्मा, युगल डोगरा, कुशल कटोच, प्रिया शर्मा, पूजा कपूर निवोदित व अन्य कवियों ने अपनी-अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं।
कवि संगोष्ठी के अंत में जिला भाषा अधिकारी सुरेश राणा ने सभी कवियों का ऑनलाईन कवि गोष्ठी में जुड़ने के लिए धन्यावाद किया।
धर्मशाला 12 जनवरी: (विजयेन्दर शर्मा) । जिला भाषा अधिकारी सुरेश राणा ने जानकारी देते हुए बताया कि भाषा एवं संस्कृति विभाग कांगड़ा द्वारा आज लोहड़ी पर्व तथा मकर संक्राति की पूर्व संध्या के पावन असवर पर आज़ादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत ''लोहड़ी उत्सव का लोक एवं शास्त्रीय पक्ष'' विषय पर परिचर्चा एवं कवि संगोष्ठी का ऑनलाईन आयोजन करवाया गया।
इस अवसर पर लगभग 24 कवियों/साहित्यकारों ने पहाड़ी व हिन्दी भाषा में लोहड़ी व मकर संक्रान्ति पर अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम के आंरभ में डॉ.गौतम व्यथित शर्मा द्वारा उपरोक्त विषयक पर प्रस्तावना व्क्तव्य प्रस्तुत किया गया। इस पर डॉ.पवनेंद्र पवन तथा डॉ. प्रत्यूष गुलेरी द्वारा संक्षिप्त रूप से चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त कवियों ने अपनी मौलिक कविताएं प्रस्तुत कीं। द्विजेन्द्र द्विज द्वारा पहाड़ी गजल-कालियां मणसां वाले लोक ता सोच्चा दे। होर नी किछ तां तम्बू इफाडा धूपा दा, प्रस्तुत की। अदिति गुलेरी द्वारा प्रस्तुत कविता ''सूरज बदले जो चाल है। हवाएं बजाती सुरमयी ताल है ठन्डी भौंर-ठडीं शाम तीखी सलोनी धूप लाई लोहड़ी आई-लोहड़ी आई। युवा कवि शिवा पंचकरण द्वारा फोणां ता निकलेगे, तां कुथी कोई कारज मनागें, अज कलां दे जवान क्या ही कमागें। डॉ. विजयपुरी द्वारा हरण मंगे तिल चौली दे लाल गुडडे दी रियोडी दे। दिदें हैं धुहाई है कोठे हथ पूवांदी है आदि कविताएं प्रस्तुत कर सभी को मंत्रगुग्ध कर दिया। इसके उपरांत कुनाल किशोर, शिवांगी गर्ग, मिनी भारद्वाज, काजल जन्नत, डॉ.रमेश मस्ताना, प्रभात शर्मा, युगल डोगरा, कुशल कटोच, प्रिया शर्मा, पूजा कपूर निवोदित व अन्य कवियों ने अपनी-अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं।
कवि संगोष्ठी के अंत में जिला भाषा अधिकारी सुरेश राणा ने सभी कवियों का ऑनलाईन कवि गोष्ठी में जुड़ने के लिए धन्यावाद किया।