भूमि सीमांकित करने में ड्रोन तकनीक का किया उपयोग: डीसी

भूमि सीमांकित करने में ड्रोन तकनीक का किया उपयोग: डीसी
          कांगड़ा जिला की कोपरा पंचायत में हुआ डेमो सर्वे
 धर्मशाला, 07 फरवरी ( विजयेन्दर शर्मा) । । राज्य में आबादी क्षेत्रों के भूमि की सीमांकित करने तथा दस्तावेज तैयार करने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस बाबत कांगड़ा जिला के नुरपुर तहसील के कोपरा पंचायत में 5 से 7 फरवरी तक डेमो सर्वेक्षण भी किया गया।
    यह जानकारी देते हुए उपायुक्त डा निपुण जिंदल ने बताया कि भारत सरकार की स्वामित्व योजना के तहत आबादी क्षेत्रों की जमीन को नापने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाएगा इसमें केंद्र तथा राज्य सरकारें आपसी समन्वय के साथ कार्य करेंगी। इस योजना के तहत आबादी क्षेत्रों के लोगों के संपत्ति कार्ड बनाने में भी मदद मिलेगी।
     उपायुक्त ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर राज्य के कांगड़ा तथा हमीरपुर जिला में डेमो सर्वे आरंभ हुआ है। उन्होंने बताया कि कांगड़ा जिला के छह राजस्व गांवों संगलोट, सनेरा, उपरीहार, भारमल, बासा, थंडियां तथा महेती में राजस्व अधिकारियों ने आबादी लाल लकीरों का सीमांकन किया गया। सर्वे आफ इंडिया के माध्यम इन क्षेत्रों के सीमांकित नक्शों के आधार पर चूना पत्थर पाउडर लगाने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग किया गया।
उन्होंने कहा कि ड्रोन के प्रयोग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे न केवल लागत में कमी आती है, बल्कि समय की भी काफी बचत होती है। उन्होंने कहा कि ड्रोन आधुनिक युग की तकनीक का एक नया आयाम है जिसे आसानी से किसी भी व्यक्ति द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है एवं दैनिक कार्यों के लिये भी प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ड्रोन तकनीक आने वाले समय में युवाओं के लिए काफी उपयोगी साबित होगी तथा इसमें युवाओं को प्रशिक्षित करने की दिशा में अहम कदम उठाए जाएंगे। उपायुक्त डा निपुण जिंदल ने बताया कि पहला ड्रोन पायलट स्कूल आईटीआई शाहपुर में स्थापित होगा इस के लिए भारत सरकार से स्वीकृति भी मिल गई है।
BIJENDER SHARMA

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