एक ही दिन दो शादियों की बुकिंग से विवाद के चलते संस्कृत कालेज बन गया मैरिज पैलेस
ज्वालामुखी 24 अप्रैल :(विजयेन्दर शर्मा ) । कांगडा जिला के प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी में इन दिनों सब कुछ राम भरोसे ही चल रहा है। अभी मंदिर अधिकारी की नियुक्ति का मामला सुलझा ही नहीं था, कि अब एक नये मामले के सामने आने से मंदिर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, मंदिर प्रशासन की ओर से संस्कृत कालेज में शादी करवाने की अनुमति देने के मामले में नया विवाद खड़ा हो गया है। मामला उस समय उलझ गया , जब मंदिर न्यास की ओर से चलाये जा रहे यात्री निवास में एक ही दिन के लिये दो शादियों की बुकिंग कर ली गई। लेकिन जब दोनों ही परिवार एक ही दिन यहां पहुंच गये तो बखेडा खडा हो गया। दोनों ही परिवार यात्रि निवास में ही शादी करने के लिये अड गये। विवाद बढ़ता देख मंदिर प्रशासन एक शादी को साथ लगते संस्कृत कालेज में कराने की अनुमति दे दी। नियमों के विपरीत जाकर दी गई अनुमति से कालेज के कमरे व परिसर विवाह समारोह में तबदील हो गया। इस दौरान कालेज के सभी कमरे खुले थे तथा कक्षाओं में विद्यार्थियों के डेस्क पर बराती आराम करते देखे गये। शिक्षण संस्थान में ऐसा आयोजन गलत है।
पिछले अरसे से विवादों में रहे मंदिर न्यास की ओर से चलाये जा रहे संस्कृत कालेज का विवादों गहरा नाता रहा है। संस्कृत कालेज में विद्यार्थियों की न के बराबर संख्या व शून्य परिणाम से आहत मंदिर न्यास व ज्वालामुखी के विधायक इसे बंद करवाकर नर्सिंग कालेज खोलने के पक्षधर हैं। दस किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान परागपुर के बलाहर में चल रहा है। कारणवश इस महाविद्यालय में विद्यार्थियों की कम संख्या भी न्यास को ठेस पहुंचा रही है। न्यास का तर्क है कि 17 साल में महाविद्यालय से मात्र 51 विद्यार्थी शास्त्री की पढ़ाई पूरी कर सके हैं जबकि खर्चा 10 करोड़ से भी अधिक हो चुका है।
प्रदेश योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष , विधायक रमेश धवाला ने कहा कि महाविद्यालय में कोई भी समारोह नहीं हो सकता। किसने इसकी अनुमति दी है, पूछताछ की जाएगी। प्रशासन से जवाब मांगा जाएगा।
मंदिर अधिकारी , विचित्र सिंह ने कहा कि लिपिकीय गलती के कारण मातृ सदन में एक ही तिथि की दो बुकिंग कर ली गईं। दोनों पक्ष मातृ सदन में शादी को अड़ गए। कारणवश एक शादी की संस्कृत महाविद्यालय में व्यवस्था करवानी पड़ी। प्रिसिपल को विश्वास में लिया गया था। 25 अप्रैल से विद्यार्थियों की परीक्षा है और छात्रों को छुट्टियां दे दी गई हैं। इसके बाद ही एक पक्ष को संस्कृत कालेज में विवाह की अनुमति दी गई।
पिछले अरसे से विवादों में रहे मंदिर न्यास की ओर से चलाये जा रहे संस्कृत कालेज का विवादों गहरा नाता रहा है। संस्कृत कालेज में विद्यार्थियों की न के बराबर संख्या व शून्य परिणाम से आहत मंदिर न्यास व ज्वालामुखी के विधायक इसे बंद करवाकर नर्सिंग कालेज खोलने के पक्षधर हैं। दस किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान परागपुर के बलाहर में चल रहा है। कारणवश इस महाविद्यालय में विद्यार्थियों की कम संख्या भी न्यास को ठेस पहुंचा रही है। न्यास का तर्क है कि 17 साल में महाविद्यालय से मात्र 51 विद्यार्थी शास्त्री की पढ़ाई पूरी कर सके हैं जबकि खर्चा 10 करोड़ से भी अधिक हो चुका है।
प्रदेश योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष , विधायक रमेश धवाला ने कहा कि महाविद्यालय में कोई भी समारोह नहीं हो सकता। किसने इसकी अनुमति दी है, पूछताछ की जाएगी। प्रशासन से जवाब मांगा जाएगा।
मंदिर अधिकारी , विचित्र सिंह ने कहा कि लिपिकीय गलती के कारण मातृ सदन में एक ही तिथि की दो बुकिंग कर ली गईं। दोनों पक्ष मातृ सदन में शादी को अड़ गए। कारणवश एक शादी की संस्कृत महाविद्यालय में व्यवस्था करवानी पड़ी। प्रिसिपल को विश्वास में लिया गया था। 25 अप्रैल से विद्यार्थियों की परीक्षा है और छात्रों को छुट्टियां दे दी गई हैं। इसके बाद ही एक पक्ष को संस्कृत कालेज में विवाह की अनुमति दी गई।