पालमपुर 25 मई(विजयेन्दर शर्मा ) । - हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि भारत के लिए चीन बहुत बड़ा संकट बनता जा रहा है। अब अफगानिस्तान में तालिबान और उनके साथ चीन और पाकिस्तान से वह संकट और भी बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि श्री नेहरू जी के समय चीन से दोस्ती करने का बड़ा प्रयत्न हुआ। भारत पंचशील और हिन्दी-चीनी भाई-भाई के नारे लगाता रहा और चीन चुपचाप भारत की धरती अक्साई चिन में सड़क बनाता रहा। भारत को पता तब लगा जब चीन ने उस सड़क का उदघाटन किया। भारत के सारे प्रयत्नों के बाद भी 1962 में चीन ने आक्रमण करके बहुत बड़ा विष्वास घात किया। भारत की नई सरकार ने कुछ वर्षो से चीन के साथ सम्बंध सुधारने की कोशिश की परन्तु चीन धीरे धीरे लददाख में अपना अधिकार बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। पैंगाग झील पर दूसरा पुल बना रहा है।
शांता कुमार ने कहा कि चीन के सम्बंध में भारत अपनी नीति को पूरी तरह बदले। भारत के लिए सबसे बड़ा संकट चीन है। विष्व के बहुत से देश तिब्बत की सहायता करना चाहते है और इस विषय पर चीन को घेरना चाहते है। भारत उनका सहयोग करे। तिब्बत में मानवीय अधिकारों का हनन हो रहा है, धार्मिक स्वायतता नही है। अब भारत को पहल करके इन प्रशनों को राश्ट्र संघ में उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि महामहिम दलाई लामा इस समय विष्व में सबसे अधिक सम्मानीय धार्मिक नेता है। विष्व का सबसे बड़ा सम्मान नोवल पुरस्कार उन्हें मिला है। मैं लोकसभा सर्वदलीय तिब्बत मंच का कई वर्ष तक अध्यक्ष रहा। मंच ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके महामहिम दलााई लामा जी को भारत रत्न पुरस्कार देने की मांग की थी। उस प्रस्ताव पर देश की सभी पार्टियों के 265 सांसदों ने हस्ताक्षर किये थे। एक प्रतिनिधि मण्डल के रूप में हमने हस्ताक्षरों से भारत सरकार के सामने मांग रखी थी। आज की परिस्थिति में यह आवष्यक है कि भारत महामहिम दलाई लामा जी को भारत रत्न से पुरस्कृत करें।
शांता कुमार ने कहा कि चीन इतिहास से विस्तारवादी रहा है। 1962 से लेकर भारत की धरती को हथिया है। अधिकारियों की लम्बी बातचीत के बाद भी लददाख में अपना अवैध निर्माण करता जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में भारत सरकार को भी चीन के प्रति अपनी नीति में बदलाव करना चाहिए। इस दृश्टि से जापान में रहा कवैड सम्मेलन महत्वपूर्ण प्रयास है।