बिना समय सीमा आबंटित विद्युत परियोजनाओं को वापस लेने के लिए लेंगे कानूनी राय- मुख्यमंत्री

बिना समय सीमा आबंटित विद्युत परियोजनाओं को वापस लेने के लिए लेंगे कानूनी राय- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने की अन्तरराष्ट्रीय बांध सुरक्षा सम्मेलन की अध्यक्षता
हिमाचल के लोग अभी भी झेल रहे विस्थापन का दंश- मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां अन्तरराष्ट्रीय बांध सुरक्षा सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि नदियों के जल के पर्याप्त दोहन से जल विद्युत उत्पादन की अपार क्षमताओं को देखते हुए हिमाचल प्रदेश पूरे विश्व में नवीकरणीय ऊर्जा दोहन का एक केन्द्र बिन्दु बनता जा रहा है। यह सम्मेलन 22 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के पास पानी ही एक मुख्य संसाधन है जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के प्रयास किए जाने चाहिए थे, लेकिन उसमें भी कहीं न कहीं हमारे साथ न्याय नहीं हुआ और हम पीछे रह गए। उन्होंने कहा कि विश्व में जल संसाधनों के दोहन का लाइसेंस सामान्यतः 35 से 40 वर्ष तक की अवधि के लिए दिया जाता है, लेकिन शुरू-शुरू में हमारे जल संसाधनों को जल विद्युत परियोजनाएं लगाने के लिए हमेशा के लिए बिना समय सीमा दे दिया गया। ऐसी बहुत सारी परियोजनाएं हैं जिन्हें हिमाचल प्रदेश को वापिस सौंपने की कोई समय सीमा तय नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि ऐसी सभी परियोजनाओं को हिमाचल को वापिस दिलाने के लिए कानूनी राय ली जा रही है।

श्री सुक्खू ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार प्रदेश के हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी ताकि आने वाली पीढ़ियों को इस विषय पर हमारी तरह संघर्ष ना करना पड़े। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ेगी तो ऐसी सभी परियोजनाएं जहां हमारे हितों का ध्यान नहीं रखा गया, राज्य सरकार उनका निर्माण स्वयं करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे से राज्य ने विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए राष्ट्र हित में बहुत बड़ा योगदान दिया परन्तु इन पर बने बांधों से प्रदेश में काफी लोगों को विस्थापित भी होना पड़ा। भाखड़ा बांध तथा पौंग बांध के कारण विस्थापित हुए लोग अभी भी समुचित हक से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार इनके अधिकारों को वापस दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

श्री सुक्खू ने कहा कि यह दुख की बात है कि हिमाचल सरकार को अपने हिस्से की बिजली लेने के लिए भी सर्वोच्च न्यायालय में जाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि बांधों के जलाशय में पानी के भराव से प्रदेश में जहां खुशहाली भी आती है, बरसात में बाढ़ के दौरान अगर कहीं ज्यादा पानी छोड़ना पड़ गया तो बांध के नीचे की ओर रहने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए हमें बांधों की सुरक्षा पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें भविष्य की प्राकृतिक आपदाओं के लिए पहले ही सचेत और पूर्ण रूप से तैयार रहना है क्योंकि हम वर्ष 2023 में भी हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा का दर्द झेल चुके हैं। उन्होंने कहा कि बांध बनने के बाद हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने बांध प्राधिकरण को निर्देश दिए कि बांध से पानी छोड़ने से पहले इसके नीचे के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अलर्ट किया जाए।

श्री सुक्खू ने बांधों के निर्माण में गुणवत्ता के साथ-साथ इनकी आयु बढ़ाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रखरखाव और सरंचनात्मक अखंडता की आवश्यकता पर बल दिया। जलवायु परिवर्तन और अन्य कारण हिमालय क्षेत्र में बांध सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां पेश करते हैं तथा इस पर हमें बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने अभियन्ताओं से कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी बांध सुरक्षा प्रावधानों को लागू किया गया है। राज्य में बने बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने बांध सुरक्षा समिति का गठन किया है जो सभी बांधो के रखरखाव व सुरक्षा का अनुश्रवण करती हैं।

इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष डी.के. शर्मा तथा डैम सेफ्टी सोसयटी के पदाधिकारी सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।


Bijender Sharma*, Press Correspondent Bohan Dehra Road  JAWALAMUKHI-176031, Kangra HP(INDIA)*
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