हिमाचल प्रदेश की ई-टैक्सी योजना: स्वरोजगार और हरित विकास की ओर एक कदम

हिमाचल प्रदेश की ई-टैक्सी योजना: स्वरोजगार और हरित विकास की ओर एक कदम

हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने और पर्यावरण को स्वच्छ-हरित बनाने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना के अंतर्गत शुरू की गई ई-टैक्सी योजना न केवल युवाओं के लिए स्वरोजगार का नया मार्ग खोल रही है, बल्कि यह राज्य को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में भी आगे बढ़ा रही है।
इस योजना का उद्देश्य युवाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना, प्रदूषण को कम करना और आधुनिक तकनीक को अपनाकर सतत विकास की दिशा में अग्रसर होना है। राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना के अंतर्गत ई-टैक्सी पहल हिमाचल प्रदेश के लिए एक मील का पत्थर है। इससे बेरोजगार युवाओं को रोजगार और स्थिर आय का अवसर मिला है, साथ ही राज्य इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और हरित विकास की दिशा में आगे बढ़ा है। ई-टैक्सी योजना न केवल रोजगार का साधन है बल्कि यह आर्थिक सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास का प्रतीक भी बन चुकी है।

क्षेत्रीय रोजगार अधिकारी अक्षय कुमार बताते हैं कि ई-टैक्सी योजना का ढांचा युवाओं को आसान वित्तीय सहयोग और निश्चित आय उपलब्ध कराने पर आधारित है। सरकार टैक्सी खरीदने के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान (सब्सिडी) देती है। शेष राशि में लगभग 40 प्रतिशत बैंक ऋण के रूप में उपलब्ध कराया जाता है और केवल 10 प्रतिशत हिस्सा लाभार्थी को स्वयं लगाना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि ई-टैक्सी को सरकारी विभागों के साथ अटैच किया जाता है, जिससे लाभार्थियों को प्रतिमाह औसतन  50 हजार से 60 हजार रुपये तक की आय निश्चित हो जाती है। योजना का लाभ केवल हिमाचल प्रदेश के स्थायी निवासी, वैध ड्राइविंग लाइसेंस धारक और पात्र आयु सीमा वाले युवाओं को ही मिलता है। इस योजना से बेरोजगार युवाओं को एक स्थायी और सम्मानजनक स्वरोजगार उपलब्ध हुआ है।

अक्षय कुमार बताते हैं कि निश्चित आय होने से परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। कम परिचालन लागत के कारण ई-वाहनों का ईंधन और रख-रखाव का खर्च कम है, जिससे मुनाफा अधिक मिलता है और साथ ही में यह वाहन पर्यावरण-हितकारी भी हैं इनसे प्रदूषण में कमी और हरित विकास को प्रोत्साहन मिला है। इस प्रकार प्रदेश में आधुनिक तकनीक के इन वाहनों से राज्य में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर तेजी से कदम बढ़े हंै।

उन्होंने बताया कि अब तक जिला में 6 पात्र युवाओं को ई-टैक्सी मिल चुकी हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत युवाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं और उनको सरकारी कार्यालयों से जोड़कर पांच वर्ष की अवधि के लिए सुनिश्चित आय का साधन मिल रहा है। उन्होंने कहा राज्य सरकार की यह योजना बेरोजगार युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। साथ ही हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। सरकार ने यह भी व्यवस्था की है कि इन टैक्सियों को सरकारी विभागों के साथ चार से पांच वर्ष के लिए अटैच किया जा रहा है

लाभार्थियों की कहानियाँ
अमन कुमार (गांव देहरा)
''राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना के तहत ई-टैक्सी खरीदने के बाद अब मेरी गाड़ी खंड विकास अधिकारी कार्यालय बडोह से अटैच है। 11 लाख 50 हजार रुपये के वाहन पर मुझे 5 लाख 57 हजार रुपये का सब्सिडी मिली। हर महीने मुझे लगभग 50 हजार रुपये की निश्चित आय हो जाती है। इस योजना के कारण मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई है, मैं हिमाचल सरकार और माननीय मुख्यमंत्री महोदय का बहुत आभारी हूं''

राकेश कुमार (नूरपुर)
''ई-टैक्सी योजना के तहत मैंने 13.50 लाख रुपये की टैक्सी ली है जिस पर मुझे सरकार से 6.50 लाख रुपये सब्सिडी मिली। आज मेरी टैक्सी नूरपुर के जल शक्ति विभाग के साथ जुड़ी है और इससे मुझे 50 हजार रुपये आमदनी प्रतिमाह हो रही है। मैं माननीय मुख्यमंत्री और हिमाचल सरकार का धन्यवाद करता हूं

इसी प्रकार पालमपुर के सुमित कुमार भी सरकार का धन्यवाद करते हुए कहते हैं कि उनकी ई-टैक्सी पालमपुर एक्साइज कार्यालय के साथ अटैच है और प्रतिमाह उन्हें 50 हजार रुपये की आय हो रही हैै।


Bijender Sharma*, Press Correspondent Bohan Dehra Road  JAWALAMUKHI-176031, Kangra HP(INDIA)*
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