राज्य के अनछुए पर्यटक स्थलों को लोकप्रिय बनाने के दृष्टिगत प्रदेश के पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग ने पर्यटन कैलेण्डर-2011 प्रकाशित किया है, जिसमें सभी प्रमुख पर्यटन उत्पादों को स्थान दिया गया है। टेबल एवं वाॅल कैलेण्डर में 24 सुन्दर चित्र प्रकाशित हैं, जिनमें राज्य के जनजातीय एवं विशेष स्थल, धार्मिक, साहसिक, धरोहर, लोक संस्कृति एवं ग्रामीण पर्यटन को उजागर किया गया है।
निदेशक पर्यटन डाॅ. अरुण कुमार शर्मा ने कहा कि कैलेण्डर प्रचार का एक सशक्त माध्यम है, जिसका वर्ष भर व्यापक प्रभाव रहता है तथा इसके माध्यम से अनछुए पर्यटक स्थलों को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल एक सुंदर प्रदेश है तथा राज्य के अंदरुनी हिस्सों का भ्रमण करने से पर्यटकों को अधिक सौंदर्य एवं समृद्ध संस्कृति के दर्शन होंगे। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कैलेण्डर को पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार को भी दिया जाएगा, ताकि इसे विदेशांे में स्थित विपणन कार्यालयों तथा नयी दिल्ली स्थित दूतावासों को प्रचार के लिए वितरित किया जा सके। इसके अलावा विभाग प्रिंट एवं इलैक्ट्राॅनिक मीडिया के माध्यम से निरंतर प्रचारित कर रहा है।
वाॅल एवं टेबल कैलेण्डर में लाहौल-स्पिति घाटी के पर्यटक स्थलों, धार्मिक स्थलों एवं संस्कृति, हामटा घाटी (कुल्लू), नाको (किन्नौर), कांगड़ा जिले के थामसर पास, महाराणा प्रताप सागर, धर्मशाला स्थित क्रिकेट स्टेडियम, पांगी घाटी, डोडरा क्वार, पव्बर वैली, चैपाल, रानीताल (सिरमौर) इत्यादि की सुंदर तस्वीरें दर्शायी गई हैं। कैलेण्डर में जनजातीय क्षेत्रों, ग्रामीण क्षेत्रों के बर्फ से