बिजेंदर शर्मा शिमला-- हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में प्लास्टिक के कप, प्लेट और गिलास पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करेगी, ताकि प्रदेश में अनाशी उत्पादों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को न्यून कर पर्यावरण संरक्षण अभियान को और सुदृढ़ किया जा सके। यह जानकारी मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने उनसे मिलने आए केन्द्रीय दल को आज यहां दी। यह दल आजकल प्रदेश के दौरे पर है। दल में श्री सतीश कुमार, निदेशक प्रशासनिक सुधार मंत्रालय और डाॅ. ए. कस्तूरीरंगन, विशेषज्ञ शहरी योजना, प्रशासनिक स्टाफ काॅलेज भारत, हैदराबाद शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। हरे पेड़ों के कटान पर पूर्ण प्रतिबंध, पुनचक्रित एवं प्लास्टिक के कैरी बैग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य है। राज्य में सार्वजनिक स्थानों से प्लास्टिक कचरे को हटाने का अभियान सफलतापूर्वक चलाया गया, जिसमें राज्य की जागरुक जनता का महत्वपूर्ण योगदान रहा। प्रदेश में बड़ी संख्या में स्वयंसेवी संस्थाओं का गठन भी किया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों को बल प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पुनचक्रित तथा प्लास्टिक के कैरी बैग पर लगाए गए प्रतिबंध को लोगों ने स्वेच्छा से अपनाया और इसी कारण यह कार्यक्रम सफल हुआ है। प्लास्टिक के कप, प्लेट और गिलास पर प्रतिबंध लगाने के साथ उपभोक्ताओं को पेपर से बने वैकल्पिक उत्पाद उपलब्ध करवाए जाएंगे।
प्रो. धूमल ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के एवज में एकत्र किए गए जुर्माने को पर्यावरण निधि में स्थानांतरित करने पर विचार कर रही है, जिसे उपायुक्तों को हस्तांतरित किया जाएगा, ताकि जिलों में पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों को और प्रभावी तरीके से कार्यान्वित किया जा सके। इस तरह के प्रयासों से पर्यावरण संरक्षण अभियान को और सुदृढ़ किया जा सकेगा। उन्होंने दल को बताया कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई कार्यक्रम चलाए गए हैं, जिनमें 9 सूत्रीय पर्यावरण शपथ शामिल है, जो छात्रों को स्कूलों में दिलवाई जाती है। प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में इको-क्लब गठित किए गए हैं तथा विभिन्न विभागों में वेस्ट पेपर पुनचक्रण इकाइयां स्थापित की गयी हैं, ताकि वेस्ट पेपर का समुचित उपयोग सुनिश्चित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग शीघ्र ही पर्यटकों के लिए राज्य में पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित बनाकर भ्रमण करने के विषय में पैम्फलेट जारी करेगा। राज्य में एकत्र किए गए प्लास्टिक कचरे के एवज़ में लोगों को 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान किया गया है और प्लास्टिक कचरे का उपयोग
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राज्य में सड़कों को पक्का करने में किया जा रहा है। इस प्रकार प्लास्टिक कचरे से निपटने में भी सहायता मिली है और पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने कहा कि सीमेंट उद्योगों को भी यह परामर्श दिया गया है कि वे विद्युत उत्पादन के लिए प्लास्टिक कचरे का उपयोग करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी को पर्यावरण पर प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के संबंध में जागरुक बनाने के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। राज्य में प्लास्टिक कचरे के प्रबन्धन के लिए ठोस नीति अपनाई गयी है। पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम का नियमित अनुश्रवण एवं कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाया जा रहा है तथा इको-अनुश्रवण योजना और पर्यावरण लेखा योजना के माध्यम से इसे और मजबूत बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र की इकोलाॅजी सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
दल ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इनके प्रभाव सभी के सामने हैं और दल ने राज्य में कहीं पर भी प्लास्टिक का कचरा नहीं देखा। उन्होंने कहा कि दैनिक जीवन में प्लास्टिक के उपयोग के विरुद्ध राज्य सरकार ने पूरे देश को रास्ता दिखाया है। उन्होंने प्रदेश की उपलब्धियों पर संतोष व्यक्त करते हुए आग्रह किया कि इस हिमालयी राज्य में पर्यावरण को पूर्ण रूप से सुरक्षित रखने के लिए और प्रभावी उपाय अपनाए जाने चाहिए।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती सरोजनी गंजू ठाकुर ने केन्द्रीय दल के साथ हुई बैठकों और निरीक्षण का विस्तृत ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि दल बरमाणा स्थित एसीसी प्लांट का दौरा कर मंडी और कांगड़ा जिलों में जाएगा। दल स्कूली बच्चों के साथ भी बातचीत करेगा। यह दल मंडी के आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा भी करेगा, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में अपनाई जा रही समग्र पाॅलीथीन कचरा प्रबन्धन नीति की जानकारी प्राप्त की जा सके। उन्होंने कहा कि केंद्रीय दल के कांगड़ा जिला के बीड़ में स्वयंसेवी संस्था के साथ विचार-विमर्श करने की भी संभावना है।
निदेशक पर्यावरण एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी डाॅ. नगीन नन्दा ने केंद्रीय दल को राज्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। हरे पेड़ों के कटान पर पूर्ण प्रतिबंध, पुनचक्रित एवं प्लास्टिक के कैरी बैग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य है। राज्य में सार्वजनिक स्थानों से प्लास्टिक कचरे को हटाने का अभियान सफलतापूर्वक चलाया गया, जिसमें राज्य की जागरुक जनता का महत्वपूर्ण योगदान रहा। प्रदेश में बड़ी संख्या में स्वयंसेवी संस्थाओं का गठन भी किया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों को बल प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पुनचक्रित तथा प्लास्टिक के कैरी बैग पर लगाए गए प्रतिबंध को लोगों ने स्वेच्छा से अपनाया और इसी कारण यह कार्यक्रम सफल हुआ है। प्लास्टिक के कप, प्लेट और गिलास पर प्रतिबंध लगाने के साथ उपभोक्ताओं को पेपर से बने वैकल्पिक उत्पाद उपलब्ध करवाए जाएंगे।
प्रो. धूमल ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के एवज में एकत्र किए गए जुर्माने को पर्यावरण निधि में स्थानांतरित करने पर विचार कर रही है, जिसे उपायुक्तों को हस्तांतरित किया जाएगा, ताकि जिलों में पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों को और प्रभावी तरीके से कार्यान्वित किया जा सके। इस तरह के प्रयासों से पर्यावरण संरक्षण अभियान को और सुदृढ़ किया जा सकेगा। उन्होंने दल को बताया कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई कार्यक्रम चलाए गए हैं, जिनमें 9 सूत्रीय पर्यावरण शपथ शामिल है, जो छात्रों को स्कूलों में दिलवाई जाती है। प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में इको-क्लब गठित किए गए हैं तथा विभिन्न विभागों में वेस्ट पेपर पुनचक्रण इकाइयां स्थापित की गयी हैं, ताकि वेस्ट पेपर का समुचित उपयोग सुनिश्चित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग शीघ्र ही पर्यटकों के लिए राज्य में पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित बनाकर भ्रमण करने के विषय में पैम्फलेट जारी करेगा। राज्य में एकत्र किए गए प्लास्टिक कचरे के एवज़ में लोगों को 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान किया गया है और प्लास्टिक कचरे का उपयोग
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राज्य में सड़कों को पक्का करने में किया जा रहा है। इस प्रकार प्लास्टिक कचरे से निपटने में भी सहायता मिली है और पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने कहा कि सीमेंट उद्योगों को भी यह परामर्श दिया गया है कि वे विद्युत उत्पादन के लिए प्लास्टिक कचरे का उपयोग करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी को पर्यावरण पर प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के संबंध में जागरुक बनाने के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। राज्य में प्लास्टिक कचरे के प्रबन्धन के लिए ठोस नीति अपनाई गयी है। पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम का नियमित अनुश्रवण एवं कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाया जा रहा है तथा इको-अनुश्रवण योजना और पर्यावरण लेखा योजना के माध्यम से इसे और मजबूत बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र की इकोलाॅजी सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
दल ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इनके प्रभाव सभी के सामने हैं और दल ने राज्य में कहीं पर भी प्लास्टिक का कचरा नहीं देखा। उन्होंने कहा कि दैनिक जीवन में प्लास्टिक के उपयोग के विरुद्ध राज्य सरकार ने पूरे देश को रास्ता दिखाया है। उन्होंने प्रदेश की उपलब्धियों पर संतोष व्यक्त करते हुए आग्रह किया कि इस हिमालयी राज्य में पर्यावरण को पूर्ण रूप से सुरक्षित रखने के लिए और प्रभावी उपाय अपनाए जाने चाहिए।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती सरोजनी गंजू ठाकुर ने केन्द्रीय दल के साथ हुई बैठकों और निरीक्षण का विस्तृत ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि दल बरमाणा स्थित एसीसी प्लांट का दौरा कर मंडी और कांगड़ा जिलों में जाएगा। दल स्कूली बच्चों के साथ भी बातचीत करेगा। यह दल मंडी के आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा भी करेगा, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में अपनाई जा रही समग्र पाॅलीथीन कचरा प्रबन्धन नीति की जानकारी प्राप्त की जा सके। उन्होंने कहा कि केंद्रीय दल के कांगड़ा जिला के बीड़ में स्वयंसेवी संस्था के साथ विचार-विमर्श करने की भी संभावना है।
निदेशक पर्यावरण एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी डाॅ. नगीन नन्दा ने केंद्रीय दल को राज्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी।