अगले चुनावों के लिये धवाला के हल्के में रवि व परमार अपनी पिच तैयार करने में जुटे।
ज्वालामुखी 09 जनवरी (बिजेन्दर शर्मा) । ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला को अगले चुनावों से पहले ही घेरने की राजनिति अभी से शुरू हो गयी है। रमेश धवाला अगला चुनाव कहां से लडते हैं यह अभी तय नहीं हो पाया है लेकिन धवाला के हल्के में रविन्द्र सिंह रवि बढता दखल व किरपाल परमार की सक्रियता कुछ ओर ही कह रही है। प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रमेश धवाला डिलिमिटेशन के बाद से अपने आपको असहज महसूस कर रहे हैं। उन्हें हालांकि अभी तय करना है कि वह अगला चुनाव ज्वालामुखी से लडेंगे या नये बने हल्के देहरा से। ज्वालामुखी का आधा हिस्सा देहरा में चला गया है। व ज्वालामुखी में राजपूत मतदाता अधिक हो गये हैं तो देहरा में ओ बी सी। जिस तरीके से पिछले दिनों से प्रदेश के सिंचाई मंत्री रविन्द्र सिंह रवि का दखल ज्वालामुखी के चंगर क्षेत्र की राजपूत बैल्ट में बढ रहा है। व खुंिडयां से लेकर मझीण तक उनके दौरे हो रहे हैं। उससे लगने लगा है कि रवि ज्वालामुखी से चुनाव लडने की तैयारियों में जुटे हैं। रविन्द्र सिंह रवि मौजूदा हल्का थुरल डिलिमिटेशन के बाद खत्म हो गया है। व थुरल का आधा हिस्सा ज्वालामुखी में आ गया है। अब रमेश धवाला के लिये दूसरी दिक्कत किरपाल परमार के रूप में सामने आने लगी है। किरपाल ने गुपचुप तरीके से देहरा से अगले चुनाव लडने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। परमार राज्य सभा के एम पी रह चुके हैं। व वह देहरा से ही ताल्लुक रखते हैं। परमार को प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का खास करीबी माना जाता है। व धूमल कैंप की ओर से उन्हें पिछले दिनों देहरा नगर पंचायत का चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। जिसमें किरपाल सफल हो गये। देहरा में उन्हीं के राजनैतिक कौशल की वजह से भाजपा ने अपना परचम फहराया। ठीक इसके विपरीत ज्वालामुखी में धवाला की मौजूदगी के बावजूद भाजपा को नगर पंचायत के चुनाव में मुंह की खानी पडी। धूमल खेमे के लोग तो अब आरोप लगा रहे हैं कि ज्वालामुखी में हार धवाला की वजह से मिली। व धवाला के लोगों ने ही पार्टी प्रत्याशी हरवाये। पार्टी में इस मामले पर खूब बहसबाजी हो रही है। जिससे धवाला की परेशानी भी बढी है। रमेश धवाला ने इस बीच स्पष्टï किया कि उन्होंने अभी तय नहीं किया है कि वह कहां से चुनाव लडेंगे इस मामले पर पार्टी आलाकमान उन्हें जो आदेश देगी वह उनके लिये मान्य होंगे।
ज्वालामुखी 09 जनवरी (बिजेन्दर शर्मा) । ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला को अगले चुनावों से पहले ही घेरने की राजनिति अभी से शुरू हो गयी है। रमेश धवाला अगला चुनाव कहां से लडते हैं यह अभी तय नहीं हो पाया है लेकिन धवाला के हल्के में रविन्द्र सिंह रवि बढता दखल व किरपाल परमार की सक्रियता कुछ ओर ही कह रही है। प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रमेश धवाला डिलिमिटेशन के बाद से अपने आपको असहज महसूस कर रहे हैं। उन्हें हालांकि अभी तय करना है कि वह अगला चुनाव ज्वालामुखी से लडेंगे या नये बने हल्के देहरा से। ज्वालामुखी का आधा हिस्सा देहरा में चला गया है। व ज्वालामुखी में राजपूत मतदाता अधिक हो गये हैं तो देहरा में ओ बी सी। जिस तरीके से पिछले दिनों से प्रदेश के सिंचाई मंत्री रविन्द्र सिंह रवि का दखल ज्वालामुखी के चंगर क्षेत्र की राजपूत बैल्ट में बढ रहा है। व खुंिडयां से लेकर मझीण तक उनके दौरे हो रहे हैं। उससे लगने लगा है कि रवि ज्वालामुखी से चुनाव लडने की तैयारियों में जुटे हैं। रविन्द्र सिंह रवि मौजूदा हल्का थुरल डिलिमिटेशन के बाद खत्म हो गया है। व थुरल का आधा हिस्सा ज्वालामुखी में आ गया है। अब रमेश धवाला के लिये दूसरी दिक्कत किरपाल परमार के रूप में सामने आने लगी है। किरपाल ने गुपचुप तरीके से देहरा से अगले चुनाव लडने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। परमार राज्य सभा के एम पी रह चुके हैं। व वह देहरा से ही ताल्लुक रखते हैं। परमार को प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का खास करीबी माना जाता है। व धूमल कैंप की ओर से उन्हें पिछले दिनों देहरा नगर पंचायत का चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। जिसमें किरपाल सफल हो गये। देहरा में उन्हीं के राजनैतिक कौशल की वजह से भाजपा ने अपना परचम फहराया। ठीक इसके विपरीत ज्वालामुखी में धवाला की मौजूदगी के बावजूद भाजपा को नगर पंचायत के चुनाव में मुंह की खानी पडी। धूमल खेमे के लोग तो अब आरोप लगा रहे हैं कि ज्वालामुखी में हार धवाला की वजह से मिली। व धवाला के लोगों ने ही पार्टी प्रत्याशी हरवाये। पार्टी में इस मामले पर खूब बहसबाजी हो रही है। जिससे धवाला की परेशानी भी बढी है। रमेश धवाला ने इस बीच स्पष्टï किया कि उन्होंने अभी तय नहीं किया है कि वह कहां से चुनाव लडेंगे इस मामले पर पार्टी आलाकमान उन्हें जो आदेश देगी वह उनके लिये मान्य होंगे।