जवाब दें प्रधानमंत्री – अनुराग ठाकुर




कश्‍मीर के मौजूदा हालात से बेफिक्र होकर कुंभकरणी नींद में सो रही केन्द्र सरकार को जगाने के लिए निकली राष्ट्रीय एकता यात्रा अपनी सार्थकता साबित कर रही है। शहर के जागरूक समुदाय के साथ ग्रामीण अंचलों में भी जिस तरह से इस यात्रा को समर्थन मिल रहा है, उससे स्पष्ट हो जाता है कि कश्‍मीर की समस्या से भारत का हर नागरिक चिंतित है। भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनुराग ठाकुर ने इस चिंता की तरफ केन्द्र सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह से सीधा सवाल किया कि वह कश्‍मीर मुद्दे पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करें। उन्होंने प्रधानमंत्री से चुप्पी तोड़ने की अपील करते हुए कहा कि देष जानना चाहता है कि कांग्रेस नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार कश्‍मीर समस्या को हल करने के लिए क्या कर रही है।
पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश होते हुए यात्रा आठवें दिन फिर उत्तर प्रदेश पहुंची। आगरा में राष्ट्रीय एकता यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। वहां से सुबह रवाना होकर यात्रा राजस्थान के भरतपुर पहुंची। वहां आयोजित जनसभा में श्री ठाकुर ने कांग्रेस को यह कहते हुए कठघरे में खड़ा किया कि यदि उसकी नीयत साफ होती तो कश्‍मीर को इन हालातों से नहीं जूझना पड़ता। कश्‍मीर समस्या कांग्रेस की देन है और इसे इतना उलझाने के लिए भी वही जिम्मेदार है। भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इतने साल तक केन्द्र की सत्ता में रही कांग्रेस ने कश्‍मीर पर सदैव दोहरे मापदण्ड अपनाए। भाजयुमो अध्यक्ष ने केन्द्र सरकार से पूछा कि अमरनाथ में मारे गए श्रद्धालुओं को मुआवजा नहीं देना और अलगाववादियों के घर पांच-पांच लाख के चैक भेजना, क्या भेदभाव की नीति नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवादियों को भत्ता देने की योजना बना रही है, जबकि आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाले विशेष पुलिस दस्ते को भत्ता देने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं। उन्होंने आर्म्स फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट में बदलाव लाने की कोशिश को सुरक्षाबलों का मनोबल गिराने का षड्यंत्र निरूपित किया।
श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारतीय संसद में खड़े होकर जो उमर अब्दुल्ला भारत की अखण्डता की बात किया करते थे, मुख्यमंत्री बनते ही उन्हें घाटी में कर्फ्यू के हालात देखने का सपना कैसे आना लगा। उमर अब्दुल्ला की यह सोच और केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकारों की अलगाववाद भाषा से क्या कश्‍मीर समस्या हल होगी?
कश्मीरी पंडितों की पीड़ा उजागर करते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि दो दशक हो गए उन्हें घर से बेदखल किए हुए लेकिन केन्द्र और राज्य सरकार को उनकी घर वापसी की कोई फिक्र नहीं है। श्री ठाकुर ने केन्द्र सरकार से विस्थापित कश्‍मीरी पंडितों का पुर्नवास करने की मांग करते हुए कहा कि आतंकियों की वजाय सरकार को कश्‍मीर पीड़ितों का दर्द महसूस कर उनकी घर वापसी का प्रबंध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इन सारे सवालों का जवाब दें और बताएं कि केन्द्र सरकार का कश्‍मीर पर क्या रुख है।
प्रधानमंत्री से सवाल :-
• कांग्रेस नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार कश्‍मीर पर अपनी नीति का खुलासा क्यों नहीं कर रही?
• पाक अधिकृत कश्‍मीर से आतंकियों को लाकर घाटी में बसाना क्या उचित फैसला होगा?
• कश्‍मीरी पंडितों का पुर्नवास क्यों नहीं हो रहा?
• शस्त्र सेना विशेषाधिकार में बदलाव की जरूरत क्यों है?
• भारत-पाक के बीच राजनायिक वार्ता पर जम्मू-कश्‍मीर के मामले में क्या ठोस निर्णय लिया गया, उसका खुलासा किया जाए?

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