आॅस्ट्रेलियाई मेंढ़ों का आयात सरकार के विचारधीनः


प्रदेश सरकार आॅस्ट्रेलिया से मैरिनो मेंढ़ों के आयात की संभावनाएं तलाश करेगी ताकि नस्ल सुधार के लिए एक फार्म विकसित किया जा सके। मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने आज धर्मशाला में डीआरडीए हाॅल में आयोजित 12वीं गद्दी कल्याण बोर्ड की बैठक को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य ने प्रजनन सुधार के दृष्टिगत पिछले दो वर्षों मंे 2644 मेंढ़े आयात किए हैं तथा आॅस्टेªलियन मैरिनो मेंढ़ों के आयात के लिए विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए विचार किया जाएगा।

प्रो. धूमल ने कहा कि राज्य के लौंग लाचा दर्रा के भेड़पालकों के चरान अधिकारों को बहाल करने के लिए प्रदेश सरकार जम्मू-कश्मीर सरकार से मामला उठाएगी। इससे भेड़पालकों को गर्मियों के दौरान इन दर्रों में परंपरागत चरान के अधिकार प्राप्त होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इस समुदाय को राजनीति व सम्बद्ध क्षेत्रों में उचित प्रतिनिधित्व दिया है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष, उद्योग मंत्री और ऊन संघ के अध्यक्ष गद्दी समुदाय से हंैैं। इस समुदाय के लोगों के लिए अन्य क्षेत्रों में मार्ग प्रशस्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रो. धूमल ने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री आरोग्य पशुधन योजना कार्यान्वित की जा रही है जिसके अंतर्गत ग्राम पंचायतों में चरणबद्ध तरीके से पशु चिकित्सालय उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया गया है। आवासहीन गरीब परिवारों को आवास उपलब्ध करवाने के लिए अटल आवास योजना और इंदिरा आवास योजना आरंभ की गयी है, जिसके तहत घर बनाने के लिए 48,500 रुपये की सहायता दी जा रही हैं। उन्होंने इस समुदाय के लोगों को इन योजनाओं से लाभ उठाने की सलाह दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार भेड़ पालकों को समर्थन मूल्य प्रदान कर रही है। गर्मी के मौसम में ऊन का मूल्य 35 रुपये प्रति किलोग्राम और सर्दियों में 25.50 रुपये प्रति किलोग्राम जबकि बसंत के मौसम में 55 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है। ऊन की मौके पर खरीद की जाने वाली अदायगी के लिए ऊन संघ को 30 लाख रुपये की सचल निधि उपलब्ध करवायी गयी है। इसके अतिरिक्त बाजार विकास सहायता कार्यक्रम के अंतर्गत ऊन संघ को 15 प्रतिशत हैंडलिंग चार्जिज भी दिए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं को हथकरघा व हस्तशिल्प में प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से एक वर्ष के लिए एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जिसके तहत 950 रुपये प्रतिमाह वजीफा दिया जा रहा है। प्रशिक्षार्थी को करघा व अन्य संबंधित उपकरण निःशुल्क प्रदान किए जा रहे हैं, ताकि वे हथकरघा में स्वरोजगार आरंभ कर सकें। समुदाय के विद्यार्थियों को स्कूल, आई.टी.आई, कालेज व विश्वविद्यालय स्तर पर छात्रवृत्तियां भी प्रदान की जा रही हैं। कुल्लू के भंुतर, मण्डी के रिवालसर, शिमला के ढ़ली और चम्बा में इस समुदाय की सुविधा के लिए जनजातीय भवनों का निर्माण किया गया है।

उद्योग मंत्री श्री किशन कपूर ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए गद्दी समुदाय के लोगों के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं आरंभ करने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि भेड़पालक समृद्धि योजना प्रदेश के भेड़पालकों के लिए वरदान साबित हुई है जिसके अंतर्गत उन्हें उदार उपदान की सुविधा दी जा रही है। इस समुदाय के लोगों मेें इन कार्यक्रमों के प्रचार की आवश्यकता है, ताकि अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें।

ऊन संघ के अध्यक्ष श्री त्रिलोक कपूर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने समुदाय की ओर से गद्दी कल्याण बोर्ड के गठन के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने भेड़पालकों के पारंपरिक व्यवसाय को सुदृढ़ करने के लिए भेड़पालक समृद्धि योजना आरंभ करने पर मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया।

मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री भीमसेन, जिनके पास जनजातीय विकास का कार्यभार भी है, ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया तथा बैठक की अध्यक्षता के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया तथा गैर सरकारी सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए।

बोर्ड के गैर-सरकारी सदस्यों ने भी गद्दी कल्याण बोर्ड के गठन के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।

मुख्य सचिव श्रीमती राजवंत संधू, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती सरोजनी. जी. ठाकुर, प्रधान सचिव, सचिव, प्रधान मुख्य वन अरण्यपाल, विभागाध्यक्ष, उपायुक्त तथा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी एवं बोर्ड के गैर-सरकारी सदस्य भी बैठक में उपस्थित थे।

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