शिमला, 8 नवंबर । असम में वर्ष 2002 में हुए एक मिग-21 हादसे के
पीड़ित स्क्वाड्रन लीडर टी. जे. ए खान की पत्नी फराह खान को आज भी उनके
सुरक्षित लौटने की उम्मीद है वहीं उनकी तालाशी के लिए लम्बे समय तक
अभियान चलाने के बाद वायु सेना इस मामले में लगभग हार मान चुकी है। खान
ने कहा, "अभी भी मेरे मन में आशा है कि वह लौट आएंगे। मुझे पक्का विश्वास
है कि मेरे पति और उनके सह चालक सुरक्षित हैं।" हाल ही में हिमाचल प्रदेश
के लाहौल घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हुए मिग-29 विमान के चालक के बारे में
कुछ पता नहीं मिलने से उनके परिवार वाले एक तरफ जहां निराश हैं वहीं
दूसरी ओर फराह खान पति का अवशेष देखना नहीं चाहती। फराह ने बताया, "मैं
अभी भी किसी चमत्कार की उम्मीद कर रही हूं। मैं उनका अवशेष नहीं पाना
चाहती क्योंकि वह मेरे लिए और अधिक कष्टदायक होगा।" दो बच्चों की मां
फराह ने कहा कि उनके साथ सह-चालक फ्लाइंग आफिसर दीपक दहिया भी थे, जो एक
अभ्यास उड़ान पर थे। वह विमान असम और भूटान की सीमा से सटे तेजपुर के घने
जंगलों में लापता हो गया था। इस हादसे के बाद हालांकि दोनों की खोज के
लिए गहन तलाशी अभियान चलाया गया लेकिन उनका तथा विमान के मलबे का कुछ
सुराग नहीं मिला। कई सप्ताह तक तलाशी अभियान चलाने के बाद वायु सेना के
पूर्वोत्तय वायु कमांड ने भी उम्मीदें छोड़ दी हैं। इसी तरह लाहौल घाटी
में 18 अक्टूबर को दुर्घटनाग्रस्त हुए मिग-29 विमान के मलबे की तलाश में
अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। फराह अब अपने बच्चों के साथ उत्तराखण्ड
के नैनीताल में रह रही हैं। वहां से भी वह तलाशी अभियान के बारे में
जानकारी हासिल करती रहती हैं। उल्लेखनीय है कि 40 वर्षीय फराह खान के पति
को विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था। वह कहती हैं, "यह कैसे
सम्भव हो सकता है कि कई बार तलाशी अभियान चलाने के बावजूद विमान के मलबे
का भी पता नहीं लग पाया। हमें तलाशी अभियानों के बारे में ज्यादा सूचित
नहीं किया गया। हमें सिर्फ इतना बताया गया था कि मूसलाधार बारिश की वजह
से मलबे की खोज नहीं हो पायी है।"
पीड़ित स्क्वाड्रन लीडर टी. जे. ए खान की पत्नी फराह खान को आज भी उनके
सुरक्षित लौटने की उम्मीद है वहीं उनकी तालाशी के लिए लम्बे समय तक
अभियान चलाने के बाद वायु सेना इस मामले में लगभग हार मान चुकी है। खान
ने कहा, "अभी भी मेरे मन में आशा है कि वह लौट आएंगे। मुझे पक्का विश्वास
है कि मेरे पति और उनके सह चालक सुरक्षित हैं।" हाल ही में हिमाचल प्रदेश
के लाहौल घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हुए मिग-29 विमान के चालक के बारे में
कुछ पता नहीं मिलने से उनके परिवार वाले एक तरफ जहां निराश हैं वहीं
दूसरी ओर फराह खान पति का अवशेष देखना नहीं चाहती। फराह ने बताया, "मैं
अभी भी किसी चमत्कार की उम्मीद कर रही हूं। मैं उनका अवशेष नहीं पाना
चाहती क्योंकि वह मेरे लिए और अधिक कष्टदायक होगा।" दो बच्चों की मां
फराह ने कहा कि उनके साथ सह-चालक फ्लाइंग आफिसर दीपक दहिया भी थे, जो एक
अभ्यास उड़ान पर थे। वह विमान असम और भूटान की सीमा से सटे तेजपुर के घने
जंगलों में लापता हो गया था। इस हादसे के बाद हालांकि दोनों की खोज के
लिए गहन तलाशी अभियान चलाया गया लेकिन उनका तथा विमान के मलबे का कुछ
सुराग नहीं मिला। कई सप्ताह तक तलाशी अभियान चलाने के बाद वायु सेना के
पूर्वोत्तय वायु कमांड ने भी उम्मीदें छोड़ दी हैं। इसी तरह लाहौल घाटी
में 18 अक्टूबर को दुर्घटनाग्रस्त हुए मिग-29 विमान के मलबे की तलाश में
अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। फराह अब अपने बच्चों के साथ उत्तराखण्ड
के नैनीताल में रह रही हैं। वहां से भी वह तलाशी अभियान के बारे में
जानकारी हासिल करती रहती हैं। उल्लेखनीय है कि 40 वर्षीय फराह खान के पति
को विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था। वह कहती हैं, "यह कैसे
सम्भव हो सकता है कि कई बार तलाशी अभियान चलाने के बावजूद विमान के मलबे
का भी पता नहीं लग पाया। हमें तलाशी अभियानों के बारे में ज्यादा सूचित
नहीं किया गया। हमें सिर्फ इतना बताया गया था कि मूसलाधार बारिश की वजह
से मलबे की खोज नहीं हो पायी है।"