बडे बेआबरू होकर रूखसत हुये गुलपफाम
किस्सा षिमला के एक पत्रकार है जो इन दिनों षिमला की वादियों में खूब
गूंज रहा है; यह महोदय कुछ महीने पहले एक अखबार में संपादक बनकर गये
संपादक महोदय की नितियां व कार्यक्रम अखबार को ही ले डूबे; दरअसल अब वह
अखबार ही बंद हो गया काबिलेगौर है कि संपादक महोदय ने अपनी सेलरी के
जुगाड में दूसरों के लिये एम ओ यू का पफंडा तैयार करवा दिया जो गलत साबित
हुआ; मान्यवर अब सडक पर आ गये हैं; इस बीच इनकी हिमाचल प्रदेष सरकार ने
भी मान्यता खत्म कर दी है; अब यह साहब दिल्ली से छपने वाली ऐ अखबार
देशबंधु के नाम पर मान्यता लेने का जुगाड कर रहे हैं; लेकिन शिमला में
देषबंधु अखबार का सर्कुलेषन नहीं है; लिहाजा इसका विरोध हो रहा है; चार
महीने पहले असित्व में आई इस अखबार की नींव ही झूठ छल फरेब के बल पर ही
रखी गई थी; संपादक का छल कपट किसी से छिपा नहीं है; पत्रकारों से पैसा
लेकर उन्हें यह लोग अपने आई डी कार्ड बेच रहे थे;यहां संपादक महोदय ने
हालांकि अंदरखाते सितंबर महीने से ज्वाईन कर किया; इससे पहले वह शिमला
में एक अखबार के ब्यूरो चीफ थे; लेकिन बीच में उन्होंने छुटटी ले ली;
जाहिर है; उन्होंने पुरानी नौकरी नहीं छोडी ; यानि दोहरा वेतन लेने का
जुगाड; लेकिन यह सब चला नहीं ; इस अखबार का मालिक भी धोखेबाज है; संस्थान
में असंतोष के चलते वहां काम कर रहे लोगों को वेतन नहीं मिल पाया;
स्ंापादक जी ने अपनी सेलरी बचाने के लिये तरह तरह के रोज फार्मूले चलाये
लेकिन सब फेल डेस्क के लोगों को तीन महीने की पगार नहीं मिली यह इसी
दौरान शिमला ब्यूरो आफिस को ताला लग गया, ताला किसी ओर ने नहीं बल्कि
वहां तैनात स्टाफ ने मेनेेजमेंट के रवैये से तंग आकर लगा दिया; बताया जा
रहा है कि मेनेजमेंट की ओर से तीन महीने का वेतन स्टाफ को नहीं मिला तो
सब का सब्र का बांध टूट गया; यह लोग कह रहे हैं कि उन्हें वेतन नहीं मिला
तो वह लोग प्रबंधन के खिलाफ अदालत में जायेगे;
शिमला में सूरज ठाकुर को तीन महीने पहले तैनाती मिली थी;लेकिन न तो
उन्हें न ही उनके साथ काम करने वाले दूसरे लोगों को आज तक वेतन मिल पाया
है; लेकिन अब तालाबंदी से मेनेजमेंट की ख्ूाब जगहंसाई हो रही है;इस मामले
पर तरह तरह की चर्चायें चलती रहीं ; हालांकि मान मन्नोवल की कोशिश भी
जारी है; दरअसल अंखड हिमाचल के संपादक सुशील कुमार ने एक नई निति अमल में
लाई है; जिसके तहत अब किसी भी ब्यूरो प्रभारी व संवाददाता को कोई वेतन
नहीं मिलेगा; बल्कि उन्हें अपना गुजारा प्रबंधन के लिये विग्यापन को
जुगाड करके करना होगा; विग्यापन से चालीस फीसदी पत्रकार को मिलेगा तो साठ
प्रतिसत मेनेजमेंट लेकिन यह फार्मूला किसी को भी रास नहीं आया जिससे
विवाद बढा है; डेस्क से भी कई लोग नौकरी छोड चुके हैं;अब तंग आकर
मेनेजमेंट ने संपादक महोदय की छुटृी कर दी;
किस्सा षिमला के एक पत्रकार है जो इन दिनों षिमला की वादियों में खूब
गूंज रहा है; यह महोदय कुछ महीने पहले एक अखबार में संपादक बनकर गये
संपादक महोदय की नितियां व कार्यक्रम अखबार को ही ले डूबे; दरअसल अब वह
अखबार ही बंद हो गया काबिलेगौर है कि संपादक महोदय ने अपनी सेलरी के
जुगाड में दूसरों के लिये एम ओ यू का पफंडा तैयार करवा दिया जो गलत साबित
हुआ; मान्यवर अब सडक पर आ गये हैं; इस बीच इनकी हिमाचल प्रदेष सरकार ने
भी मान्यता खत्म कर दी है; अब यह साहब दिल्ली से छपने वाली ऐ अखबार
देशबंधु के नाम पर मान्यता लेने का जुगाड कर रहे हैं; लेकिन शिमला में
देषबंधु अखबार का सर्कुलेषन नहीं है; लिहाजा इसका विरोध हो रहा है; चार
महीने पहले असित्व में आई इस अखबार की नींव ही झूठ छल फरेब के बल पर ही
रखी गई थी; संपादक का छल कपट किसी से छिपा नहीं है; पत्रकारों से पैसा
लेकर उन्हें यह लोग अपने आई डी कार्ड बेच रहे थे;यहां संपादक महोदय ने
हालांकि अंदरखाते सितंबर महीने से ज्वाईन कर किया; इससे पहले वह शिमला
में एक अखबार के ब्यूरो चीफ थे; लेकिन बीच में उन्होंने छुटटी ले ली;
जाहिर है; उन्होंने पुरानी नौकरी नहीं छोडी ; यानि दोहरा वेतन लेने का
जुगाड; लेकिन यह सब चला नहीं ; इस अखबार का मालिक भी धोखेबाज है; संस्थान
में असंतोष के चलते वहां काम कर रहे लोगों को वेतन नहीं मिल पाया;
स्ंापादक जी ने अपनी सेलरी बचाने के लिये तरह तरह के रोज फार्मूले चलाये
लेकिन सब फेल डेस्क के लोगों को तीन महीने की पगार नहीं मिली यह इसी
दौरान शिमला ब्यूरो आफिस को ताला लग गया, ताला किसी ओर ने नहीं बल्कि
वहां तैनात स्टाफ ने मेनेेजमेंट के रवैये से तंग आकर लगा दिया; बताया जा
रहा है कि मेनेजमेंट की ओर से तीन महीने का वेतन स्टाफ को नहीं मिला तो
सब का सब्र का बांध टूट गया; यह लोग कह रहे हैं कि उन्हें वेतन नहीं मिला
तो वह लोग प्रबंधन के खिलाफ अदालत में जायेगे;
शिमला में सूरज ठाकुर को तीन महीने पहले तैनाती मिली थी;लेकिन न तो
उन्हें न ही उनके साथ काम करने वाले दूसरे लोगों को आज तक वेतन मिल पाया
है; लेकिन अब तालाबंदी से मेनेजमेंट की ख्ूाब जगहंसाई हो रही है;इस मामले
पर तरह तरह की चर्चायें चलती रहीं ; हालांकि मान मन्नोवल की कोशिश भी
जारी है; दरअसल अंखड हिमाचल के संपादक सुशील कुमार ने एक नई निति अमल में
लाई है; जिसके तहत अब किसी भी ब्यूरो प्रभारी व संवाददाता को कोई वेतन
नहीं मिलेगा; बल्कि उन्हें अपना गुजारा प्रबंधन के लिये विग्यापन को
जुगाड करके करना होगा; विग्यापन से चालीस फीसदी पत्रकार को मिलेगा तो साठ
प्रतिसत मेनेजमेंट लेकिन यह फार्मूला किसी को भी रास नहीं आया जिससे
विवाद बढा है; डेस्क से भी कई लोग नौकरी छोड चुके हैं;अब तंग आकर
मेनेजमेंट ने संपादक महोदय की छुटृी कर दी;