स्वास्थ्य तथा निवेश क्षेत्र में हिमाचल सर्वश्रेष्ठ राज्य




स्वास्थ्य तथा निवेश क्षेत्र में हिमाचल सर्वश्रेष्ठ राज्य
शिमला  , 20 दिसम्बर (विजयेन्दर शर्मा) ।  हिमाचल प्रदेश को देश में बड़े राज्यों की श्रेणी में स्वास्थ्य एवं निवेश क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ राज्य आंका गया है।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश ने मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह को आज नई दिल्ली में आयोजित 'स्टेट ऑफ स्टेटस कन्कलेव 2013' समारोह में सर्वश्रेष्ठ राज्य के पुरस्कार प्रदान किए।
इण्डिया टूडे पत्रिका द्वारा आज जारी अपने नवीनतम प्रकाशन में समाहित अद्यतन रिपोर्टों के अनुसार गत एक वर्ष में स्वास्थ्य तथा निवेश क्षेत्रों में देश के बड़े राज्यों में हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है।
मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने 'स्टेट ऑफ स्टेटस कन्कलेव 2013' को सम्बोधित करते हुए इन पुरस्कारों को प्रदेश की जनता को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि इन पुरस्कारों की स्थापना के समय से ही हिमाचल प्रदेश को छोटे तथा बड़े दोनों राज्यों की श्रेणियों में पुरस्कार प्राप्त हुए हैैं।
उन्होंने कहा कि 'विभिन्न सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्रों में प्रदेश का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है और इस पुरस्कार से प्रदेश द्वारा किए गए कार्य को पहचान मिली है'।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार दो किलोमीटर के दायरे में स्कूल सुनिश्चित बना रही है। प्राथमिक स्तर पर एनरोलमेंट दर लगभग 100 प्रतिशत है। प्रदेश में शिक्षण संस्थानों की संख्या वर्ष 2013 में 15,292 हो गई है जबकि वर्ष 1948 में केवल 331 शिक्षण संस्थान थे। उन्होंने कहा कि सतत् प्रयासों से विशेषकर अनुसूचित जाति छात्राओं की ड्रॉप आउट दर में काफी कमी लाई गई है। वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की साक्षरता दर 82.80 प्रतिशत है जबकि वर्ष 1948 में यह 4.8 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 74.04 प्रतिशत है और प्रदेश की साक्षरता दर राष्ट्रीय दर से कहीं अधिक है। महिला साक्षरता दर दो प्रतिशत से बढक़र 75.93 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1995 में प्रदेश सरकार ने सभी स्तरों पर लड़कियों की शिक्षा को नि:शुल्क कर दिया था। प्रदेश में 12वीं कक्षा तक के स्कूली बच्चों को राज्य पथ परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा सुविधा प्रदान की जा रही है।
श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि वर्ष 1948 में राज्य में कुल 88 स्वास्थ्य संस्थान थे, आज प्रदेश में 3841 शिक्षण संस्थान हैं। 80 प्रतिशत स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताऐं सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा पूरी की जा रही हैं। प्रदेश में लिंग अनुपात 915 से बढक़र 972 हो गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्ष 1988 में ही शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया गया था। सभी 20690 गांवों और 14.83 लाख आवासों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सडक़ों की कुल लम्बाई 34647 किलोमीटर है जबकि वर्ष 1948 में प्रदेश में मात्र 288
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किलोमीटर सडक़ें थी। प्रदेश के सभी जनगणना गांवों को सुरक्षित पेयजल सुविधा उपलब्ध करवा दी गई है। उन्होंने कहा कि कुल योजना परिव्यय का 9 प्रतिशत जनजातीय उप-योजना के लिए निर्धारित किया गया है जोकि प्रदेश की 5.71 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या के मुकाबले कहीं अधिक है। इसका उद्देश्य प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों का राज्य के अन्य क्षेत्रों के बराबर विकास सुनिश्चित बनाना है।
श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने कौशल विकास भत्ता योजना- 2013 आरम्भ की है। इस योजना के तहत सभी पात्र पंजीकृत बेरोजगार युवाओं को प्रतिमाह एक हजार रुपये दिए जा रहे हैं। 50 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांगता वाले युवाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जा रहे हैं ताकि उन्हें दक्षता प्रशिक्षण प्रदान कर विभिनन क्षेत्रों में उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्ष 1986 में हरे पेड़ों के कटान पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया था, जिससे लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये की वन सम्पदा को सुरक्षित रखने में सहायता मिली है। उन्होंने कहा कि देश के बहुमूल्य पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हिमाचल प्रदेश को समुचित मुआवजा मिलना चाहिए।
इण्डिया टूडे पत्रिका द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के वित्त वर्ष 2013-14 के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए वर्ष 2012-13 के मुकाबले 24 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए राज्य सरकार यह सुनिश्चित बना रही है कि दूरदराज, पिछड़े और जनजातीय क्षेत्रों में लोगों को श्रेष्ठ चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हों। इसी के दृष्टिगत प्रदेश के जनजातीय और दूरदराज क्षेत्रों में कार्यरत चिकित्सकों को विशेष प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज राज्य में प्रति 2800 लोगों को एक उप-स्वास्थ्य केन्द्र सेवाएं प्रदान कर रहा है जबकि देश के अन्य पहाड़ी राज्यों में प्रति 3000 व्यक्तियों को एक उप-स्वास्थ्य केन्द्र सेवाएं दे रहा है। प्रदेश में प्रति 13000 व्यक्तियों को एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र उपलब्ध है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह मानक प्रति 20000 व्यक्ति है।
हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत चिकित्सकों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि देश के अन्य राज्यों में यह वृद्धि 10 प्रतिशत है। प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या की दर पिछले एक वर्ष में 47 प्रति एक हजार से घट कर 39 प्रति एक हजार हो गई है।
नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार सभी स्वास्थ्य मानकों में हिमाचल प्रदेश ने देश के सभी बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। प्रदेश में जन्म दर 16.2 है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 21.8 है। राज्य में मृत्यु दर राष्ट्रीय स्तर पर 7.1 के मुकाबले 6.7 है। शिशु मृत्यु दर 25 है जबकि शेष भारत में यह दर 44 है। हिमाचल वासी औसतन     70 वर्ष का जीवनकाल व्यतीत करते हैं जबकि शेष भारत में यह दर औसतन 66 वर्ष है।  प्रदेश में मलेरिया का समूल नाश कर दिया गया है जबकि कुष्ठ रोगियों की संख्या घटकर एक प्रति हजार से भी कम हो गई है। 
प्रदेश सरकार के सतत् प्रयासों से राज्य में औद्योगिक निवेश के लिए बेहतर वातावरण उपलब्ध हुआ है। राज्य सरकार उद्यमियों को दक्ष प्रशासन, निर्बाधित विद्युत आपूर्ति, बेहतर कानून-व्यवस्था तथा बेहतर सडक़ों सहित उच्च गुणवत्तायुक्त अधोसंरचना उपलब्ध करवा रही है।
प्रदेश में 42 औद्योगिक क्षेत्र तथा 17 औद्योगिक एस्टेट स्थापित किए गए हैं जबकि कांगड़ा जिले के कन्दरौड़ी, ऊना जिले के पंडोगा और सोलन जिले के धबोटा में तीन नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना है। नए उद्योग स्थापित करने के लिए सरकारी तथा निजी भूमि पर आठ हजार बीघा भूमि का भूमि बैंक भी स्थापित किया गया है।
गत एक वर्ष में प्रदेश की सकल पूंजी संरचना 70 प्रतिशत बढ़ी है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 29 प्रतिशत है। औद्योगिक श्रम शक्ति में प्रदेश में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि देश के अन्य बड़े राज्यों में यह 10 प्रतिशत से कम है।  प्रदेश ने सकल घरेलू उत्पाद में 9 प्रतिशत की संलग्न वृद्धि के साथ 15 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर को प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2022 तक प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में उत्पादन क्षेत्र द्वारा लगभग 25 प्रतिशत योगदान देने की संभावना है।
नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद भी हिमाचल प्रदेश में पर्यटन, पुष्पोत्पादन, बागवानी, औषधीय तथा जल विद्युत क्षेत्र के साथ-साथ फार्मास्यूटीकल, औटोमोटिव कम्पोनेंट, सीमेंट, फास्ट मूविंग कन्जयूमर गुड्स, कैमीकलस, कपड़ा, इलैक्ट्रॉनिक, हार्डवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे उच्च तकनीक क्षेत्रों में भी निवेश को बढ़ावा मिला है। 





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