पहली जुलाई से खुलेंगे मंदिर कोविड प्रोटोकाल में होंगे दर्शन
धर्मशाला, 29 जून (विजयेन्दर शर्मा) । कोरोना महामारी के चलते लंबे समय से बंद पडे जिला कांगडा के ब्रजेषवरी देवी कांगडा चामुंडा नंदींकेषवर धाम व ज्वालामुखी और बगलामुखी मंदिर पहली जुलाई से खुल जायेंगे सरकारी निर्णय से पंजाब हरियाणा दिल्ली जम्म काषमीर से आने श्रद्धालुओं को राहत मिली है ।
स्रकार की ओर से जारी एसओपी के मुताबिक मंदिर सात बजे से सायं आठ बजे तक दर्शनों के लिए खुला रहेंगे। जबकि हवन, यज्ञ, भजन मंडली, भंडारा, लंगर मंदिर परिसर, धर्मशाला व सडक़ के किनारे लगाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके अतिरिक्त हालात के अनुसार मंदिर अधिकारी समय सीमा में परिवर्तन कर सकते हैं।
मंदिर परिसर में भजन, कीर्तन, सतसंग, भागवत या अन्य धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाई गई है। वहीं श्रद्धालुओं को मंदिर में बैठने, खडे होने तथा इंतजार करने की अनुमति नहीं होगी। चिकित्सीय परीक्षण के बाद केवल एसिम्टोमैटिक श्रद्धालु ही मंदिर परिसर में जा सकेंगे, जबकि फ्लू जैसे लक्षणों वाले श्रद्धालुओं को अस्पताल में आइसोलेट किया जाएगा और उनकी कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही मंदिर के अंदर जाने की अनुमति होगी। इसके अलावा भी श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकॉल को मानना होगा तथा सामाजिक दूरी, मास्क का प्रयोग एवं हाथों को सेनिटाइज करना आवश्यक होगा।
एसओपी कु मुताबिक श्रद्धालुओं को दर्शनार्थ जाते समय पंक्ति में हर समय 6 फीट की सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी। आंगतुकों को मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पूर्व हाथ और पैर साबुन से धोने होंगे।
मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं का मूर्तियों, धार्मिक किताबों, घंटियों इत्यादि को छूना वर्जित रहेगा। भीड़ का इकठा होना पूर्व की भांति वर्जित रहेगा। ढोल नगाड़ों युक्त गायन दलों के आने पर भी मनाही रहेगी। मंदिर में प्रसाद व पवित्र जल का वितरण भी नहीं होगा। दिशा-निर्देशों के मुताबिक 60 साल से अधिक आयु के व्यक्तियों, गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और दस वर्ष से कम आयु के बच्चों को अपने घरों में रहने की सलाह दी जाती है।
पुजारी श्रद्धालुओं को न तो प्रसाद वितरित करेंगे और न ही मौली बांधेंगे। उनके द्वारा किसी एक श्रद्धालु या श्रद्धालुओं के समूह के लिए पूजा अर्चना भी नहीं की जाएगी। कन्या पूजन और हवन आयोजन पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। पुजारियों को भी कोरोना संक्रमण के लिए निर्धारित हिदायतों की अनुपालना सुनिश्चित करनी होगी। गर्भगृह में एक समय पर केवल दो पुजारियों को ही बैठने की अनुमति रहेगी।
धर्मशाला, 29 जून (विजयेन्दर शर्मा) । कोरोना महामारी के चलते लंबे समय से बंद पडे जिला कांगडा के ब्रजेषवरी देवी कांगडा चामुंडा नंदींकेषवर धाम व ज्वालामुखी और बगलामुखी मंदिर पहली जुलाई से खुल जायेंगे सरकारी निर्णय से पंजाब हरियाणा दिल्ली जम्म काषमीर से आने श्रद्धालुओं को राहत मिली है ।
स्रकार की ओर से जारी एसओपी के मुताबिक मंदिर सात बजे से सायं आठ बजे तक दर्शनों के लिए खुला रहेंगे। जबकि हवन, यज्ञ, भजन मंडली, भंडारा, लंगर मंदिर परिसर, धर्मशाला व सडक़ के किनारे लगाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके अतिरिक्त हालात के अनुसार मंदिर अधिकारी समय सीमा में परिवर्तन कर सकते हैं।
मंदिर परिसर में भजन, कीर्तन, सतसंग, भागवत या अन्य धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाई गई है। वहीं श्रद्धालुओं को मंदिर में बैठने, खडे होने तथा इंतजार करने की अनुमति नहीं होगी। चिकित्सीय परीक्षण के बाद केवल एसिम्टोमैटिक श्रद्धालु ही मंदिर परिसर में जा सकेंगे, जबकि फ्लू जैसे लक्षणों वाले श्रद्धालुओं को अस्पताल में आइसोलेट किया जाएगा और उनकी कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही मंदिर के अंदर जाने की अनुमति होगी। इसके अलावा भी श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकॉल को मानना होगा तथा सामाजिक दूरी, मास्क का प्रयोग एवं हाथों को सेनिटाइज करना आवश्यक होगा।
एसओपी कु मुताबिक श्रद्धालुओं को दर्शनार्थ जाते समय पंक्ति में हर समय 6 फीट की सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी। आंगतुकों को मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पूर्व हाथ और पैर साबुन से धोने होंगे।
मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं का मूर्तियों, धार्मिक किताबों, घंटियों इत्यादि को छूना वर्जित रहेगा। भीड़ का इकठा होना पूर्व की भांति वर्जित रहेगा। ढोल नगाड़ों युक्त गायन दलों के आने पर भी मनाही रहेगी। मंदिर में प्रसाद व पवित्र जल का वितरण भी नहीं होगा। दिशा-निर्देशों के मुताबिक 60 साल से अधिक आयु के व्यक्तियों, गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और दस वर्ष से कम आयु के बच्चों को अपने घरों में रहने की सलाह दी जाती है।
पुजारी श्रद्धालुओं को न तो प्रसाद वितरित करेंगे और न ही मौली बांधेंगे। उनके द्वारा किसी एक श्रद्धालु या श्रद्धालुओं के समूह के लिए पूजा अर्चना भी नहीं की जाएगी। कन्या पूजन और हवन आयोजन पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। पुजारियों को भी कोरोना संक्रमण के लिए निर्धारित हिदायतों की अनुपालना सुनिश्चित करनी होगी। गर्भगृह में एक समय पर केवल दो पुजारियों को ही बैठने की अनुमति रहेगी।