दलबदल कानून के मुताबिक निर्दलीय विधायक की सदस्यता तत्काल प्रभाव से खारिज होनी चाहिए

धर्मशाला, 09  जून -( विजयेन्दर शर्मा ) ।    नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने  देहरा के विधायक होशियार सिंह और जोगिंद्रनगर के विधायक प्रकाश राणा की सदस्यता को लेकर मुखरता के साथ सवाल खड़े किए हैं । उन्होंने कहा कि एंटी डिफंक्शन एक्ट 1985 के तहत दलबदल कानून के मुताबिक ऐसे निर्दलीय विधायक की सदस्यता तत्काल प्रभाव से खारिज होनी चाहिए जो अपनी टर्म पूरी किए बगैर ही किसी पार्टी का दामन थाम लेते हैं।

उन्होंने कहा कि देहरा और जोगिंद्रनगर के विधायक ने ऐसा करके संविधान की धज्जियां उड़ाई हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे ही प्रकार का आचरण रखने वाले विधायकों को मद्देनजर रखते हुए वर्ष 2002 में बाकायदा इस एक्ट में संसोधन किया गया था, जिसमें हवाला दिया गया है कि अगर कोई आजाद विधायक ऐसा काम करता है तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द होनी चाहिए। इतना ही नहीं, इस पूरे प्रकरण में खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मिले हुए हैं क्योंकि भाजपा की सदस्यता ग्रहण करते वक्त वो खुद मौके पर मौजूद थे, ऐसे में ये कार्रवाई उन पर भी बनती है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विपक्ष इस पूरे प्रकरण की भतर्सना करता है और संविधान की धज्जियां उड़ाने वाले ऐसे विधायकों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने के लिए विधानसभा के अध्यक्ष से भी मांग करता है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो विपक्ष इस मुद्दे को सदन में भी जोरशोर से उठाएगा। काबिलेगौर है कि देहरा से आजाद विधायक होशियार सिंह और जागिंद्रनगर से निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की अगुवाई में शिमला में बीते कल भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी, जिसे विपक्ष ने अब आड़े हाथों ले लिया है।नियमों के मुताबिक कोई भी विधायक चुनाव जीतने के बाद दूसरे दल में नहीं जा सकता। संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुसार शिकायत मिलने पर कार्रवाई संभव है। विधानसभा का सचिवालय या अध्यक्ष अपने स्तर पर कार्रवाई के लिए संज्ञान नहीं ले सकते हैं। इसलिए विपक्ष की ओर से शिकायत आने के बाद ही इस मामले में आगामी कार्रवाई होती है। कार्रवाई विधानसभा अध्यक्ष की ओर से की जाती है। पूर्व सरकार के समय में भी ऐसा हुआ था। उस दौरान भी विपक्ष की शिकायत पर ही तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के पास काफी समय तक सुनवाई चलती रही। हालांकि कार्रवाई के नाम पर ज्यादा कुछ नहीं हो पाया था। अब क्योंकि चुनाव में छह माह से भी कम समय रह गया है, इसलिए जमा-घटाव के बाद ही यह निर्णय लिया है।

BIJENDER SHARMA

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