जय राम सरकार के तीन मंत्रियों के चुनाव क्षेत्र बदल जायेंगे इस बार
सत्ता विरोधी लहर से डरी भाजपा बड़े बदलाव लाने की तैयारी में
धर्मशाला, 10 सितंबर ( विजयेन्दर शर्मा ) । दो माह बाद होने वाले चुनावों के लिये हिमाचल भाजपा का इस बार टिकट पाना आसान काम नहीं रहा है। कल तक जो पार्टी टिकट देने के लिये लाबिंग करते थे, मौजूदा दौर में वह असुरक्षित हो गये हैं। शिमला से लेकर धर्मशाला तक एक ही चर्चा इन दिनों सत्ता के गलियारों में सुनाई देती है कि किसका पत्ता कटा या किसे इस बार भाजपा चुनाव में उतारने जा रही हैं। पूरी भाजपा इन दिनों चुनावी मोड में आ गई है। और टिकटों को लेकर मापदंड तय किये जा रहे हैं। जिससे नेताओं में बेचैनी बढ़ती जा रही हैं।
भाजपा हर सूरत में चुनाव जीतने के लिए हर वो कोशिश कर रही है। जिससे उसे कामयाबी हासिल हो। सत्तारूढ दल को सत्ता विरोधी लहर का डर सता रहा है। जिससे अब तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तर्ज पर इस बार नये चेहरों को मौका दिया जाये। इसी के चलते पार्टी ने इस बार प्रदेश के सबसे बडे जिला कांगड़ा से ताल्लुक रखने वाले जय राम सरकार के तीन मंत्रियों को नये चुनाव क्षेत्रों में भेजने की तैयारी में है। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष के साथ संपन्न बैठक में टिकट के लिये कुछ मापदंड तय किये गये हैं।
फिलहाल, प्रदेश के वन मंत्री राकेश पठानिया को इस बार फतेहपुर भेजा जा रहा है। इस समय पठानिया नुरपूर से विधायक हैं। लेकिन उनका यहां विरोध हो रहा है। और रणवीर निक्का ने उनकी जबरदस्त घेराबंदी कर रखी है। पिछली बार भी निक्का ने यहां से टिकट की दावेदारी जताई थी। लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था। लेकिन इस बार पठानिया के लिये यहां माहौल ठीक नहीं है। पार्टी को लगता है कि पठानिया को साथ लगते चुनाव क्षेत्र फतेहपुर में भेज दिया जाये, तो दोनों ही सीटों पर आसानी से भाजपा चुनाव जीत सकती है। विधानसभा उपचुनावों में यहां से भाजपा को करारी हार मिली थी। और कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया ने जीत दर्ज की थी। यही वजह है कि भाजपा की इस राजपूत बहुल्य सीट पर नजर है।
वहीं, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी को इस बार पार्टी शहपुर के बजाये साथ लगते कांगडा से चुनाव लडाना चाहती है। हालांकि शाहपुर में उनका खासा जनाधार रहा है। लेकिन हाल ही में उन पर जमीनों की खरीदो फरोख्त में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। और शिकायत पीएमओ तक पहुंच गई थी। जिसके चलते स्थानीय स्तर पर उनका विरोध हो रहा है। पार्टी की ओर से कराये गये सर्वे के आधार पर अब उन्हें कांगडा भेजा जा रहा है। कांगडा बोबीसी बहुल्य चुनाव क्षेत्र है। और यहां से पिछली बार कांग्रेस चुनाव जीती थी। हालांकि हाल ही में कांग्रेस विधायक पवन काजल पार्टी छोड भाजपा ज्वाईन कर चुके हैं। लेकिन मंडल भाजपा ने उनके इस कदम का विरोध किया है। इसी विरोध को शांत करने के लिये यह फार्मूला तैयार किया गया है।
इसी तरह परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर का चुनाव क्षेत्र भी बदलने के लिये सहमति हो गई है। बिक्रम ठाकुर पिछली बार जसवां परागपुर से चुनाव जीत कर आये थे। लेकिन बीते साल कोरोना काल के दौरान एकाएक समाज सेवा से राजनीति में उतरे संजय पराशर ने बिक्रम के लिये मुश्किलें खडी कर दी हैं। पराशर संघ परिवार से नजदीकी के चलते टिकट मांग रहे हैं। और उन्हें इलाके में व्यापक जन समर्थन भी मिल रहा है। पार्टी को लगता है कि पराशर की नाराजगी बिक्रम ठाकुर पर भारी पड सकती है। यही वजह है कि अब बिक्रम ठाकुर को साथ लगते देहरा चुनाव क्षेत्र में भेजा जा रहा है। देहरा में भी भाजपा पिछली बार चुनाव हारी थी। यहां से होशियार सिंह निर्दलीय तौर पर चुनाव जीते थे। जो पिछले दिनों भाजपा में शामिल हो चुके हैं। लेकिन देहरा भाजपा को होशिर सिंह की एंटरी रास नहीं आई है। अगर बिक्रम ठाकुर देहरा आते हैं, तो दोनों ही चुनाव क्षेत्रों में विवाद न केवल खत्म होगा, बल्कि चुनावी जीत की संभावना भी बढ जायेगी। वहीं, तीनों चुनाव क्षेत्रों में नये चेहरों को मौका मिला तो भाजपा वहां भी लाभ में ही रहेगी।
इस बीच , भाजपा के राष्टरीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष ने आज शिमला में बैठक कर चुनावी तैयारियों का जायजा लिया। इससे पहले उन्होंने कांगड़ा, मंडी और हमीरपुर की बैठकों में भाग लिया। बीएल संतोष जमीनी स्तर से फीडबैक लेकर दिल्ली जा रहे हैं।
सत्ता विरोधी लहर से डरी भाजपा बड़े बदलाव लाने की तैयारी में
धर्मशाला, 10 सितंबर ( विजयेन्दर शर्मा ) । दो माह बाद होने वाले चुनावों के लिये हिमाचल भाजपा का इस बार टिकट पाना आसान काम नहीं रहा है। कल तक जो पार्टी टिकट देने के लिये लाबिंग करते थे, मौजूदा दौर में वह असुरक्षित हो गये हैं। शिमला से लेकर धर्मशाला तक एक ही चर्चा इन दिनों सत्ता के गलियारों में सुनाई देती है कि किसका पत्ता कटा या किसे इस बार भाजपा चुनाव में उतारने जा रही हैं। पूरी भाजपा इन दिनों चुनावी मोड में आ गई है। और टिकटों को लेकर मापदंड तय किये जा रहे हैं। जिससे नेताओं में बेचैनी बढ़ती जा रही हैं।
भाजपा हर सूरत में चुनाव जीतने के लिए हर वो कोशिश कर रही है। जिससे उसे कामयाबी हासिल हो। सत्तारूढ दल को सत्ता विरोधी लहर का डर सता रहा है। जिससे अब तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तर्ज पर इस बार नये चेहरों को मौका दिया जाये। इसी के चलते पार्टी ने इस बार प्रदेश के सबसे बडे जिला कांगड़ा से ताल्लुक रखने वाले जय राम सरकार के तीन मंत्रियों को नये चुनाव क्षेत्रों में भेजने की तैयारी में है। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष के साथ संपन्न बैठक में टिकट के लिये कुछ मापदंड तय किये गये हैं।
फिलहाल, प्रदेश के वन मंत्री राकेश पठानिया को इस बार फतेहपुर भेजा जा रहा है। इस समय पठानिया नुरपूर से विधायक हैं। लेकिन उनका यहां विरोध हो रहा है। और रणवीर निक्का ने उनकी जबरदस्त घेराबंदी कर रखी है। पिछली बार भी निक्का ने यहां से टिकट की दावेदारी जताई थी। लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था। लेकिन इस बार पठानिया के लिये यहां माहौल ठीक नहीं है। पार्टी को लगता है कि पठानिया को साथ लगते चुनाव क्षेत्र फतेहपुर में भेज दिया जाये, तो दोनों ही सीटों पर आसानी से भाजपा चुनाव जीत सकती है। विधानसभा उपचुनावों में यहां से भाजपा को करारी हार मिली थी। और कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया ने जीत दर्ज की थी। यही वजह है कि भाजपा की इस राजपूत बहुल्य सीट पर नजर है।
वहीं, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी को इस बार पार्टी शहपुर के बजाये साथ लगते कांगडा से चुनाव लडाना चाहती है। हालांकि शाहपुर में उनका खासा जनाधार रहा है। लेकिन हाल ही में उन पर जमीनों की खरीदो फरोख्त में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। और शिकायत पीएमओ तक पहुंच गई थी। जिसके चलते स्थानीय स्तर पर उनका विरोध हो रहा है। पार्टी की ओर से कराये गये सर्वे के आधार पर अब उन्हें कांगडा भेजा जा रहा है। कांगडा बोबीसी बहुल्य चुनाव क्षेत्र है। और यहां से पिछली बार कांग्रेस चुनाव जीती थी। हालांकि हाल ही में कांग्रेस विधायक पवन काजल पार्टी छोड भाजपा ज्वाईन कर चुके हैं। लेकिन मंडल भाजपा ने उनके इस कदम का विरोध किया है। इसी विरोध को शांत करने के लिये यह फार्मूला तैयार किया गया है।
इसी तरह परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर का चुनाव क्षेत्र भी बदलने के लिये सहमति हो गई है। बिक्रम ठाकुर पिछली बार जसवां परागपुर से चुनाव जीत कर आये थे। लेकिन बीते साल कोरोना काल के दौरान एकाएक समाज सेवा से राजनीति में उतरे संजय पराशर ने बिक्रम के लिये मुश्किलें खडी कर दी हैं। पराशर संघ परिवार से नजदीकी के चलते टिकट मांग रहे हैं। और उन्हें इलाके में व्यापक जन समर्थन भी मिल रहा है। पार्टी को लगता है कि पराशर की नाराजगी बिक्रम ठाकुर पर भारी पड सकती है। यही वजह है कि अब बिक्रम ठाकुर को साथ लगते देहरा चुनाव क्षेत्र में भेजा जा रहा है। देहरा में भी भाजपा पिछली बार चुनाव हारी थी। यहां से होशियार सिंह निर्दलीय तौर पर चुनाव जीते थे। जो पिछले दिनों भाजपा में शामिल हो चुके हैं। लेकिन देहरा भाजपा को होशिर सिंह की एंटरी रास नहीं आई है। अगर बिक्रम ठाकुर देहरा आते हैं, तो दोनों ही चुनाव क्षेत्रों में विवाद न केवल खत्म होगा, बल्कि चुनावी जीत की संभावना भी बढ जायेगी। वहीं, तीनों चुनाव क्षेत्रों में नये चेहरों को मौका मिला तो भाजपा वहां भी लाभ में ही रहेगी।
इस बीच , भाजपा के राष्टरीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष ने आज शिमला में बैठक कर चुनावी तैयारियों का जायजा लिया। इससे पहले उन्होंने कांगड़ा, मंडी और हमीरपुर की बैठकों में भाग लिया। बीएल संतोष जमीनी स्तर से फीडबैक लेकर दिल्ली जा रहे हैं।