विकसित भारत के सपने को पूरा करने के AI कार्यशाला का शुभारंभ" - डॉ रन सिंह
लॉरिएट इंस्टीट्यूट में AI के फायदे और नुकसान पर तीन दिन की कार्यशाला का हुआ शुभारंभ, विकसित भारत 2047 के लिए जिम्मेदार AI पर जोर दिया गया।
ज्वालामुखी (बिजेन्दर शर्मा)। लॉरिएट इंस्टीट्यूट में आज तीन दिवसीय कार्यशाला "कृत्रिम बुद्धि (AI) की संभावनाएं और जोखिम तलाशना" का उद्घाटन हुआ। इस कार्यशाला में भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के सपने को साकार करने में कृत्रिम बुद्धि (AI) की भूमिका और इसके साथ आने वाली नैतिक जिम्मेदारियों पर गहन विचार-विमर्श होगा।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए डॉ विश्व मोहन ने कहा, "एआई तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है और मानव जीवन के हर क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता रखती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग - हर जगह एआई के अनुप्रयोग की संभावनाएं अनंत हैं। हालांकि, यह आवश्यक है कि हम इस शक्तिशाली तकनीक का उपयोग जिम्मेदारी से करें।"
कार्यशाला के संरक्षक, डॉ महिंदर सिंह आशावत ने भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को हासिल करने में एआई की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "विकसित भारत के निर्माण में एआई एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है। यह शिक्षा की पहुंच बढ़ाने, गरीबी उन्मूलन में मदद करने, और सतत विकास को बढ़ावा देने में हमारी सहायता कर सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब हम एआई का नैतिक रूप से उपयोग करें।"
कार्यशाला के सचिव प्रोफेसर जसबीर सिंह ने कहा 3 दिन की कार्यशाला में विशेषज्ञ पैनल चर्चाएं, इंटरैक्टिव सत्र और केस स्टडी के माध्यम से एआई की क्षमताओं और चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा होगी। इसमें एआई के विकास, इसके अनुप्रयोगों और नैतिक मुद्दों जैसे विषयों पर भी ध्यान दिया जाएगा। जिसमे सहायक प्रोफेसर ज्योति बंसल, श्रेया शर्मा, भुवनेश कुमार ऐ आई का भविष्य में कृषि, स्वास्थ्य व डाटा सिक्योरिटी में चर्चा करेंगे।
यह कार्यशाला लॉरिएट इंस्टीट्यूट की बच्चों के कौशल को बढ़ाने की पहल का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भविष्य की कार्यबल को कौशल से लैस करना है। एआई तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है, और इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को एआई के क्षेत्र में ज्ञान और कौशल विकसित करने का अवसर प्रदान करना है।
लॉरिएट इंस्टीट्यूट के प्रबंध निदेशक श्री रन सिंह ने कहा, "हम इस कार्यशाला के माध्यम से एआई के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जिम्मेदार एआई के विकास को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि यह कार्यशाला प्रतिभागियों को एआई की संभावनाओं और जोखिमों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी और एक नैतिक और समावेशी भविष्य के निर्माण में योगदान देगी।"
तीन दिवसीय कार्यशाला में शिक्षाविदों, उद्योग जगत के विशेषज्ञों और छात्रों की एक विविध समूह भाग ले रहा है। यह कार्यशाला निस्संदेह एआई के क्षेत्र में भारत के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
कार्यशाला के संयोयक प्रोफेसर राजेश वालिया ने बच्चों से आह्वाहन किया कि इस कार्यशाला में बढ़चढ कर भाग लें। इस कार्यशाला के शुभारंभ में BCA व BBA के 170 बच्चों ने हिस्सा लिया। इस अबसर पर कार्यशाला की आयोग समिति के सदस्य सहायक प्रोफेसर विजय धीमान, देवरूप दत्त, अक्षु धीमान बंदना धीमान व रिंपी राणा ओर अंकुश गुलेरिया उपस्थित रहे।
लॉरिएट इंस्टीट्यूट में AI के फायदे और नुकसान पर तीन दिन की कार्यशाला का हुआ शुभारंभ, विकसित भारत 2047 के लिए जिम्मेदार AI पर जोर दिया गया।
ज्वालामुखी (बिजेन्दर शर्मा)। लॉरिएट इंस्टीट्यूट में आज तीन दिवसीय कार्यशाला "कृत्रिम बुद्धि (AI) की संभावनाएं और जोखिम तलाशना" का उद्घाटन हुआ। इस कार्यशाला में भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के सपने को साकार करने में कृत्रिम बुद्धि (AI) की भूमिका और इसके साथ आने वाली नैतिक जिम्मेदारियों पर गहन विचार-विमर्श होगा।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए डॉ विश्व मोहन ने कहा, "एआई तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है और मानव जीवन के हर क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता रखती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग - हर जगह एआई के अनुप्रयोग की संभावनाएं अनंत हैं। हालांकि, यह आवश्यक है कि हम इस शक्तिशाली तकनीक का उपयोग जिम्मेदारी से करें।"
कार्यशाला के संरक्षक, डॉ महिंदर सिंह आशावत ने भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को हासिल करने में एआई की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "विकसित भारत के निर्माण में एआई एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है। यह शिक्षा की पहुंच बढ़ाने, गरीबी उन्मूलन में मदद करने, और सतत विकास को बढ़ावा देने में हमारी सहायता कर सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब हम एआई का नैतिक रूप से उपयोग करें।"
कार्यशाला के सचिव प्रोफेसर जसबीर सिंह ने कहा 3 दिन की कार्यशाला में विशेषज्ञ पैनल चर्चाएं, इंटरैक्टिव सत्र और केस स्टडी के माध्यम से एआई की क्षमताओं और चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा होगी। इसमें एआई के विकास, इसके अनुप्रयोगों और नैतिक मुद्दों जैसे विषयों पर भी ध्यान दिया जाएगा। जिसमे सहायक प्रोफेसर ज्योति बंसल, श्रेया शर्मा, भुवनेश कुमार ऐ आई का भविष्य में कृषि, स्वास्थ्य व डाटा सिक्योरिटी में चर्चा करेंगे।
यह कार्यशाला लॉरिएट इंस्टीट्यूट की बच्चों के कौशल को बढ़ाने की पहल का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भविष्य की कार्यबल को कौशल से लैस करना है। एआई तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है, और इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को एआई के क्षेत्र में ज्ञान और कौशल विकसित करने का अवसर प्रदान करना है।
लॉरिएट इंस्टीट्यूट के प्रबंध निदेशक श्री रन सिंह ने कहा, "हम इस कार्यशाला के माध्यम से एआई के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जिम्मेदार एआई के विकास को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि यह कार्यशाला प्रतिभागियों को एआई की संभावनाओं और जोखिमों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी और एक नैतिक और समावेशी भविष्य के निर्माण में योगदान देगी।"
तीन दिवसीय कार्यशाला में शिक्षाविदों, उद्योग जगत के विशेषज्ञों और छात्रों की एक विविध समूह भाग ले रहा है। यह कार्यशाला निस्संदेह एआई के क्षेत्र में भारत के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
कार्यशाला के संयोयक प्रोफेसर राजेश वालिया ने बच्चों से आह्वाहन किया कि इस कार्यशाला में बढ़चढ कर भाग लें। इस कार्यशाला के शुभारंभ में BCA व BBA के 170 बच्चों ने हिस्सा लिया। इस अबसर पर कार्यशाला की आयोग समिति के सदस्य सहायक प्रोफेसर विजय धीमान, देवरूप दत्त, अक्षु धीमान बंदना धीमान व रिंपी राणा ओर अंकुश गुलेरिया उपस्थित रहे।
Bijender Sharma*, Press Correspondent Bohan Dehra Road JAWALAMUKHI-176031, Kangra HP(INDIA)*
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