ज्वालामुखी में सफाई व्यवस्था के नाम पर अनोखा खेल
नये वित्तीय साल का अभी एक सप्ताह ही नहीं बीता कि ज्वालामुखी नगर परिषद की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। हालांकि नगर परिषद ने नये साल के लिये बाकायदा टेंडर लगाकर तीन फर्मों को नगर की सफाई व्यवस्था का ठेका दिया। लेकिन नगर के हालात मेला के दौरान देखकर नहीं लगते कि शहर साफ सुंदर हो।
पिछले दिनों नगर परिषद ज्वालामुखी नगर परिषद ने चार पांच छह और सात नंबर वार्डों में सफाई का ठेका उना की एक फर्म को दिया था, जबकि एक दो तीन वार्ड का ठेका कांगड़ा की फर्म को मिला। इसके साथ ही सुरानी में डम्प की देखरेख का जिम्मा एक अलग कंपनी को मिला।
टेंडर की शर्तों के तहत चार पांच छह और सात नंबर वार्डों में सफाई के लिये एक सुपरवाईजर के साथ 22 लोग और एक वाहन ठेकेदार को तैनात करना था। वहीं, एक,दो और तीन वार्ड में सुपरवाइजर के अलावा 20 लोग और कूड़ा उठाने के लिये एक वाहन तैनात होना था। वहीं, सुरानी डम्प में 12 लोग और एक सुपरवाईजर तैनात किया जाना था। टेंडर की शर्तों में बाकायदा इसका उल्लेख है।
लेकिन दिलचस्प मामला यह है कि तीनों ही फर्में काम शुरू होने से पहले ही काम छोड़ गईं। और पूरी व्यवस्था को राम भरोसे छोड दिया गया। जिससे शहर के हालात बिगड़ने लगे हैं।
यही नहीं, मेला के दौरान मंदिर न्यास ने मंदिर जाने वाले पांच गेट के अंदर की सफाई के लिये अलग ठेका दिया है। लेकिन इसके बावजूद सफाई कहां हो रही हैं कोई नहीं जानता। हालांकि मेला के दौरान नगर परिषद के करीब चालीस लोग सरप्लस होने चाहिये थे।
यहां रोचक मामला यह है कि नगर परिषद टेंडर शर्तों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाये गुपचुप तरीके से एक नई फर्म को ठेका दे दिया। हालांकि कानूनी तौर पर इसका टेंडर नये सिरे से लगाया जाना था। लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। सवाल उठ रहा है कि नगर परिषद आखिर दोषी ठेकेदारों पर इतनी रहम दिली क्यों दिखा रही है।
नये वित्तीय साल का अभी एक सप्ताह ही नहीं बीता कि ज्वालामुखी नगर परिषद की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। हालांकि नगर परिषद ने नये साल के लिये बाकायदा टेंडर लगाकर तीन फर्मों को नगर की सफाई व्यवस्था का ठेका दिया। लेकिन नगर के हालात मेला के दौरान देखकर नहीं लगते कि शहर साफ सुंदर हो।
पिछले दिनों नगर परिषद ज्वालामुखी नगर परिषद ने चार पांच छह और सात नंबर वार्डों में सफाई का ठेका उना की एक फर्म को दिया था, जबकि एक दो तीन वार्ड का ठेका कांगड़ा की फर्म को मिला। इसके साथ ही सुरानी में डम्प की देखरेख का जिम्मा एक अलग कंपनी को मिला।
टेंडर की शर्तों के तहत चार पांच छह और सात नंबर वार्डों में सफाई के लिये एक सुपरवाईजर के साथ 22 लोग और एक वाहन ठेकेदार को तैनात करना था। वहीं, एक,दो और तीन वार्ड में सुपरवाइजर के अलावा 20 लोग और कूड़ा उठाने के लिये एक वाहन तैनात होना था। वहीं, सुरानी डम्प में 12 लोग और एक सुपरवाईजर तैनात किया जाना था। टेंडर की शर्तों में बाकायदा इसका उल्लेख है।
लेकिन दिलचस्प मामला यह है कि तीनों ही फर्में काम शुरू होने से पहले ही काम छोड़ गईं। और पूरी व्यवस्था को राम भरोसे छोड दिया गया। जिससे शहर के हालात बिगड़ने लगे हैं।
यही नहीं, मेला के दौरान मंदिर न्यास ने मंदिर जाने वाले पांच गेट के अंदर की सफाई के लिये अलग ठेका दिया है। लेकिन इसके बावजूद सफाई कहां हो रही हैं कोई नहीं जानता। हालांकि मेला के दौरान नगर परिषद के करीब चालीस लोग सरप्लस होने चाहिये थे।
यहां रोचक मामला यह है कि नगर परिषद टेंडर शर्तों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाये गुपचुप तरीके से एक नई फर्म को ठेका दे दिया। हालांकि कानूनी तौर पर इसका टेंडर नये सिरे से लगाया जाना था। लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। सवाल उठ रहा है कि नगर परिषद आखिर दोषी ठेकेदारों पर इतनी रहम दिली क्यों दिखा रही है।
Bijender Sharma*, Press Correspondent Bohan Dehra Road JAWALAMUKHI-176031, Kangra HP(INDIA)*
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