कांगड़ा के मंदिरों में निर्माण प्रभाग के औचित्य पर सवाल उठने लगे
जिला कांगडा में सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों में निर्माण कार्य की देखरेख के लिये बनाया गया निर्माण प्रभाग सफेद हाथी बन गया है। अब इसके औचित्य पर सवाल उठने लगे हैं। यहां बिना काम के ही कागजो में घोडे दौडाये जा रहे हैं।
जिला कांगडा के ब्रजेशवरी देवी कांगडा, ज्वाला देवी और चामुंडा नंदिकेशवर धाम और डमटाल मंदिरों की व्यवस्था सरकारी हाथों में है। और यहां मंदिरों का रखरखाव जिलाधीश कांगडा की निगरानी में मंदिर न्यास करते हैं। इसके साथ ही इन मंदिरों में निर्माण कार्य की देखरेख के लिये बाकायदा निर्माण प्रभाग बनाया गया था। और यहां सिविल इंजिनियर तैनात किये गये थे।
लेकिन पिछले कुछ सालों से इन मंदिरों में कोई भी निर्माण कार्य नहीं चल रहा है। लिहाजा निर्माण प्रभाग में तैनात लोग बिना काम के ही वेतन ले रहे है। ज्वालामुखी मंदिर में जूनियर इंजिनियर तैनात है। लेकिन उसके पास न तो किसी प्रकार की कोई मशीनरी है, न ही कोई मैनपावर इस हालात में वह क्या यहां कर रहा होगा कोई नहीं जानता।
हालांकि जिला स्तर पर एक एसडीओ भी तैनात है। वह भी बाकायदा जिला के मंदिरों का हर माह दौरा करता है। और उसे बाकायदा यात्रा भत्ता और दूसरे भत्ते मिलते है। निर्माण प्रभाग में तैनातियों से लेकर प्रमोशन तक पहले ही घालमेल होने की आशंका जताई जाती रही है। निर्माण प्रभाग में प्रमोशन के लिये क्या मापदंड अपनाये गये और कब डीपीसी हुई, कोई नहीं जानता।
बताया जा रहा है कि जिला के चामुडा नन्दिकेशर धाम में मास्टर प्लान के तहत निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। वहां इस समय कोई भी निर्माण कार्य करने की गुजाईंश नहीं है। लेकिन वहां एक सिविल इंजिनियर तैनात है। भले ही उसके साप न तो मैनपावर न ही कोई मशीनरीनहीं है।
वहीं, प्रदेश सरकार ने हाल ही में ज्वालादेवी मंदिर और कांगडा ब्रजेशवरी मंदिरों के लिये मास्टर प्लान के तहत सौ करोड से अधिक धन देने की घोषणा की है। लिहाजा सवाल उठ रहा है। कि अब यहां डीपीआर से लेकर निर्माण कार्य को अंजात कैसे दिया जायेगा। सर्वविदित है कि मंदिर के निर्माण प्रभाग में तैनात सिविल इंजिनियर के पास अनुभव की कमी है। और वह इतने बडे निर्माण कार्यां को अंजाम नहीं दे सकते। चूंकि मंदिरों के पास न तो पर्याप्त मशीनरी है, न ही मैनपावर।
दलील दी जा रही है कि सरकार को मंदिर के निर्माण प्रभाग को भंग कर भविष्य की जरूरतों को देखते हुये मंदिर में होने वाले निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग से ही करवाने चाहिये।
जिला कांगडा में सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों में निर्माण कार्य की देखरेख के लिये बनाया गया निर्माण प्रभाग सफेद हाथी बन गया है। अब इसके औचित्य पर सवाल उठने लगे हैं। यहां बिना काम के ही कागजो में घोडे दौडाये जा रहे हैं।
जिला कांगडा के ब्रजेशवरी देवी कांगडा, ज्वाला देवी और चामुंडा नंदिकेशवर धाम और डमटाल मंदिरों की व्यवस्था सरकारी हाथों में है। और यहां मंदिरों का रखरखाव जिलाधीश कांगडा की निगरानी में मंदिर न्यास करते हैं। इसके साथ ही इन मंदिरों में निर्माण कार्य की देखरेख के लिये बाकायदा निर्माण प्रभाग बनाया गया था। और यहां सिविल इंजिनियर तैनात किये गये थे।
लेकिन पिछले कुछ सालों से इन मंदिरों में कोई भी निर्माण कार्य नहीं चल रहा है। लिहाजा निर्माण प्रभाग में तैनात लोग बिना काम के ही वेतन ले रहे है। ज्वालामुखी मंदिर में जूनियर इंजिनियर तैनात है। लेकिन उसके पास न तो किसी प्रकार की कोई मशीनरी है, न ही कोई मैनपावर इस हालात में वह क्या यहां कर रहा होगा कोई नहीं जानता।
हालांकि जिला स्तर पर एक एसडीओ भी तैनात है। वह भी बाकायदा जिला के मंदिरों का हर माह दौरा करता है। और उसे बाकायदा यात्रा भत्ता और दूसरे भत्ते मिलते है। निर्माण प्रभाग में तैनातियों से लेकर प्रमोशन तक पहले ही घालमेल होने की आशंका जताई जाती रही है। निर्माण प्रभाग में प्रमोशन के लिये क्या मापदंड अपनाये गये और कब डीपीसी हुई, कोई नहीं जानता।
बताया जा रहा है कि जिला के चामुडा नन्दिकेशर धाम में मास्टर प्लान के तहत निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। वहां इस समय कोई भी निर्माण कार्य करने की गुजाईंश नहीं है। लेकिन वहां एक सिविल इंजिनियर तैनात है। भले ही उसके साप न तो मैनपावर न ही कोई मशीनरीनहीं है।
वहीं, प्रदेश सरकार ने हाल ही में ज्वालादेवी मंदिर और कांगडा ब्रजेशवरी मंदिरों के लिये मास्टर प्लान के तहत सौ करोड से अधिक धन देने की घोषणा की है। लिहाजा सवाल उठ रहा है। कि अब यहां डीपीआर से लेकर निर्माण कार्य को अंजात कैसे दिया जायेगा। सर्वविदित है कि मंदिर के निर्माण प्रभाग में तैनात सिविल इंजिनियर के पास अनुभव की कमी है। और वह इतने बडे निर्माण कार्यां को अंजाम नहीं दे सकते। चूंकि मंदिरों के पास न तो पर्याप्त मशीनरी है, न ही मैनपावर।
दलील दी जा रही है कि सरकार को मंदिर के निर्माण प्रभाग को भंग कर भविष्य की जरूरतों को देखते हुये मंदिर में होने वाले निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग से ही करवाने चाहिये।
Bijender Sharma*, Press Correspondent Bohan Dehra Road JAWALAMUKHI-176031, Kangra HP(INDIA)*
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