ज्वालामुखी: नगर पंचायत चुनावों के लिये इन दिनों विभिन्न वार्डो में दावेदार सामने आने लगे हैं । सरकार का प्रयास है कि चुनाव जल्द करा लिये जायें । यही बजह है कि इन दिनों नगर में चुनावी माहौल गरमा गया है । भाजपा की सरकार बनने के बाद नगर पंचायत में भी तख्ता पलट हुआ व मनीषा शर्मा अध्यक्ष बन गईं। आज उनका पति ज्योति शंकर भी नगर पंचायत में मनोनित पार्षद है। यही वजह है कि इन दिनों खासी उठापटक चल रही है।
सबसे बडी चिन्ता रोटेशन प्रणाली के तहत अगली बार नगर पंचायत के अध्यक्ष का पद रिजर्व होना है । सरकार जिस तरीके से नये सिरे से आरक्षण प्रणाली को पंचायती राज संस्थाओं में लाने जा रही है। उससे विरोध के स्वर अभी से उठने लगे हैं। सरकार द्घारा लाये गये संशोधन के तहत इस बार अध्यक्ष पद के लिये सीधे चुनाव होंगे। व लोग अध्यक्ष व पार्षदों के लिये अलग अलग मतदान करेंगे।
यही वजह है , भाजपा व कांग्रेस पार्टी के नेता इस पद को लेकर गोटियां अभी से बिठाने लगे हैं । नगर में सात वार्ड हैं । वर्तमान दौर में यहां कांग्रेस का भले ही बहुमत है । लेकिन गुटबाजी के चलते षार्षदों में विकास के मामले में आम राय का अभाव रहा है, जिससे विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं । जो कल तक कांग्रेसी थे आज भाजपा के संग ताल ठोंक रहे हैं।
नगर पंचायत की आर्थिक हालत भी इन दिनों सुखद नहीं है । गृह कर न वसूल पाने की वजह से सरकार ने ग्रांट एन एड रोक दी है । बस अडडे व पार्किंग से जो राजस्व वसूली हो रही है उससे कर्मचारियों का वेतन भुगतान बमुशिकल हो रहा है । यही नहीं धूमल शासनकाल में प्रदेश में चुंगी वसूली खत्म हुई तो यहां तैनात 12 टोल गार्ड बेकार हो गये । अब उन्हें भी नगर पंचायत को वेतन देना पड़ रहा है । जबकि इनकी जरूरत नहीं है । दफतर में कलर्क,माली ,पलंबर तक सरप्लस हैं । तमाम लोग नगर पंचायत की माली हालत बिगाडऩे में सहायक सिद्घ हो रहे हैं । हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि नगर को साफ-सुथरा रखने के लिये तैनात सफाई कर्मी व उनके लिये साजो समान नहीं मिल पा रहा है । सात वार्डों में दो दर्जन सफाई कर्मी सफाई को दुरूस्त रखने में नाकाफी हैं । जिससे जहां तहां कूढ़े के ढ़ेर दिखाई देते हैं ।
नगर पंचायत अध्यक्ष मनीषा शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में बेहतर कार्य कर हालात पटरी पर लाने का प्रयत्न किया । टोल टैक्स वसूली खत्म होने से नगर पंचायत को नुकसान हुआ है । सरकार की मदद के बिना इसकी भरपाई नहीं हो पायेगी ।
नगर के तीन वार्डों से युवाओं को लड़ाने की तैयारी कर रहे युवा कांग्रेस नेता नीरज शर्मा जौंटी का मानना है कि तमाम नाकामी के पीछे षार्षदों का रवैया है जो कि बेहतर कार्य करने में नाकाम रहे हैं । व्यक्तिगत स्वार्थों में जनहित की सोच को बल नहीं मिल सकता ।
सबसे बडी चिन्ता रोटेशन प्रणाली के तहत अगली बार नगर पंचायत के अध्यक्ष का पद रिजर्व होना है । सरकार जिस तरीके से नये सिरे से आरक्षण प्रणाली को पंचायती राज संस्थाओं में लाने जा रही है। उससे विरोध के स्वर अभी से उठने लगे हैं। सरकार द्घारा लाये गये संशोधन के तहत इस बार अध्यक्ष पद के लिये सीधे चुनाव होंगे। व लोग अध्यक्ष व पार्षदों के लिये अलग अलग मतदान करेंगे।
यही वजह है , भाजपा व कांग्रेस पार्टी के नेता इस पद को लेकर गोटियां अभी से बिठाने लगे हैं । नगर में सात वार्ड हैं । वर्तमान दौर में यहां कांग्रेस का भले ही बहुमत है । लेकिन गुटबाजी के चलते षार्षदों में विकास के मामले में आम राय का अभाव रहा है, जिससे विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं । जो कल तक कांग्रेसी थे आज भाजपा के संग ताल ठोंक रहे हैं।
नगर पंचायत की आर्थिक हालत भी इन दिनों सुखद नहीं है । गृह कर न वसूल पाने की वजह से सरकार ने ग्रांट एन एड रोक दी है । बस अडडे व पार्किंग से जो राजस्व वसूली हो रही है उससे कर्मचारियों का वेतन भुगतान बमुशिकल हो रहा है । यही नहीं धूमल शासनकाल में प्रदेश में चुंगी वसूली खत्म हुई तो यहां तैनात 12 टोल गार्ड बेकार हो गये । अब उन्हें भी नगर पंचायत को वेतन देना पड़ रहा है । जबकि इनकी जरूरत नहीं है । दफतर में कलर्क,माली ,पलंबर तक सरप्लस हैं । तमाम लोग नगर पंचायत की माली हालत बिगाडऩे में सहायक सिद्घ हो रहे हैं । हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि नगर को साफ-सुथरा रखने के लिये तैनात सफाई कर्मी व उनके लिये साजो समान नहीं मिल पा रहा है । सात वार्डों में दो दर्जन सफाई कर्मी सफाई को दुरूस्त रखने में नाकाफी हैं । जिससे जहां तहां कूढ़े के ढ़ेर दिखाई देते हैं ।
नगर पंचायत अध्यक्ष मनीषा शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में बेहतर कार्य कर हालात पटरी पर लाने का प्रयत्न किया । टोल टैक्स वसूली खत्म होने से नगर पंचायत को नुकसान हुआ है । सरकार की मदद के बिना इसकी भरपाई नहीं हो पायेगी ।
नगर के तीन वार्डों से युवाओं को लड़ाने की तैयारी कर रहे युवा कांग्रेस नेता नीरज शर्मा जौंटी का मानना है कि तमाम नाकामी के पीछे षार्षदों का रवैया है जो कि बेहतर कार्य करने में नाकाम रहे हैं । व्यक्तिगत स्वार्थों में जनहित की सोच को बल नहीं मिल सकता ।