नई दिल्ली, 12 नवंबर | एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ)ने
बिहार के स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर कृमिमुक्त कार्यक्रम के तहत वहां
के छह से 14 वर्ष की उम्र के स्कूली बच्चों को कृमिमुक्त किया है। यह
कार्यक्रम देश के सर्वाधिक बड़े कार्यक्रमों में से एक है। एनजीओ
'डीवॉर्म द वर्ल्ड' की तकनीकी परामर्शदाता योगिता कुमार ने कहा, "इस वर्ष
बिहार के 38 जिलों में तीन चरणों में कार्यक्रम चलाया गया। हमने इस पहल
से न केवल 1.7 करोड़ बच्चों को कृमिमुक्त किया बल्कि शिक्षकों को
कृमिमुक्त की आवश्यकता से अवगत भी कराया।"
बिहार के स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर कृमिमुक्त कार्यक्रम के तहत वहां
के छह से 14 वर्ष की उम्र के स्कूली बच्चों को कृमिमुक्त किया है। यह
कार्यक्रम देश के सर्वाधिक बड़े कार्यक्रमों में से एक है। एनजीओ
'डीवॉर्म द वर्ल्ड' की तकनीकी परामर्शदाता योगिता कुमार ने कहा, "इस वर्ष
बिहार के 38 जिलों में तीन चरणों में कार्यक्रम चलाया गया। हमने इस पहल
से न केवल 1.7 करोड़ बच्चों को कृमिमुक्त किया बल्कि शिक्षकों को
कृमिमुक्त की आवश्यकता से अवगत भी कराया।"
पूरे बिहार के स्कूलों में फरवरी से अप्रैल के बीच पहली बार इतना बड़ा
कार्यक्रम चलाया गया। जिन बच्चों में कृमि पाए जाते हैं वे कुपोषण और
अल्परक्तता के ज्यादा शिकार होते हैं और उनका संज्ञानात्मक विकास अवरुद्ध
हो जाता है। ऐसे बच्चों को वर्ष में एक बार या दो बार दवा दी गई।
इस एनजीओ के कार्यक्रम संयोजक स्टैलिन चक्रबर्ती ने कहा, "यह कार्यक्रम
स्वास्थ्य तथा शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयासों से चलाया गया। बिहार में
स्वच्छ दशाएं ठीक नहीं होने के कारण बच्चों में कृमि की शिकायत पाई गई।"