'चेतना' की संस्थापक अध्यक्षाडॉ. मलिका नड्डा को अक्षम बच्चों के कल्याण
के लिए वर्ष 2010 का 'राजीव
गांधी मानव सेवा पुरस्कार' प्रदान किया गया। आज यहा विज्ञान भवन नई
दिल्ली में केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती कृष्णा
तीरथ ने डॉ. मलिका नड्डा को प्रशंसी पत्र तथा एक लाख रुपये के पुरस्कार
से सम्मानित किया डॉ. मलिका नड्डा के सम्मान में केन्द्रीय महिला एवं
बाल कल्याण के प्रशंसी पत्र में कहा गया है कि वह हिमाचल प्रदेश में
खेल-कूद के माध्यम से विविध क्षमता वाले बच्चों को समाज की मुख्य धारा
में जोड़ने वाली पहली
महिला हैं।
डॉ. मलिका नड्डा अपनी संस्था 'चेतना' के माध्यम से सर्वशिक्षा
अभियान के अंतर्गत बिलासपुर जिला में विभिन्न प्रकार के विकलांग बच्चों
को घर पर शिक्षित करने का अनूठा कार्य कर रही हैं। उन्होंने अपने संगठन
'चेतना' के माध्यम से विकलांग बच्चों का विशेष मूल्यांकन, विशेष शिक्षा,
वाक-उपचार तथा व्यवसायिक शिक्षा जैसी विशेषीकृत सेवाएं प्रदान कर रही
हैं। उन्होंने विकलांग बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए
'चेतना' के माध्यम से विभिन्न सामाजिक, आर्थिक कार्यक्रम शुरू किए जिससे
इस समाज के बच्चों में नई चेतना एवं स्फूति का संचार हुआ तथा उन्हें समाज
में सम्मानजनक स्थान प्राप्त हुआ।
उनके सानिध्य में 'चेतना' के अंतर्गत प्रशिक्षित विकलांग छात्र
विक्रम ने वर्ष 2007 में शंघाई में आयोजित 'वर्ल्ड समर गेम्स' में 'गोल्ड
मेडल' जीता। उनकी संस्था की एक अन्य छात्रा गीता देवी ने आयरलैंड में
आयोजित विश्व खेलों में वर्ष 2003 में स्वर्ण पदक जीता था।
डॉ. मलिका नड्डा की संस्था 'चेतना' ने महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक
रूप से सुदृढ़ करने के लिए क्षेत्र में 50 स्वयं सहायता समूहों का गठन
किया है जिन्हें बैंकों ने अचार, चिप्स, बैग तथा जूस आदि के कारोबार के
लिए 11,00,000/- रुपये का ऋण प्रदान किया।
वह विकलांग बच्चों के लिए बिलासपुर, घुमारवी तथा झंडूता में
डे-केयर केन्द्रों का संचालन कर रही हैं जिसके अंतर्गत बच्चों को विभिन्न
विशेषज्ञा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।