इजरायली हमलों में 110 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत
नई दिल्ली। फिलिस्तीन के गाजा पट्टी पर सातवें दिन भी इजरायली ड्रोन और लड़ाकू विमानों ने बम बरसाए। पिछले एक हफ्ते में इजरायली हमलों में 110 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। पहले ही इजरायली प्रतिबंधों के साए में किल्लतों के साथ जी रहे गाजा के लोगों की दिक्कत ताजा हमलों से और बढ़ गई हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इजरायल के ताजा हमलों से अरब जगत में इजरायल और अमेरिका के खिलाफ गुस्सा और बढ़ेगा। दरअसल फिलिस्तीन के गाजा पट्टी में पिछले एक हफ्ते से इजरायली फौजों का हमला जारी है। इजरायल का कहना है कि वो हमास को निशाना बना रहा है लेकिन इन हमलों में ज्यादातर आम लोग मारे गए हैं। मंगलवार तड़के 3 बजे गाजा सिटी पर इजरायल ने फिर हमला किया। इस्लामिक नेश्नल बैंक और एक रिहायशी इमारत पर इजरायल के एफ-16 लड़ाकू विमानों और ड्रोन ने हमला बोला। लेकिन लोगों के उस जगह को वक्त रहते खाली कर देने की वजह से किसी की मौत नहीं हुई।
इससे पहले सोमवार को गाजा मीडिया सेंटर पर हुए रॉकेट हमले में हमास के एक बड़े नेता रमीज हार्ब की मौत हो गई। मीडिया सेंटर पर दो दिन के भीतर ये दूसरा हवाई हमला था। गाजा में सरकार चला रहे चरमपंथी संगठन हमास के खिलाफ बीते बुधवार से इजरायली हमले हो रहे हैं। 14 नवंबर को हुए हमले में हमास सैन्य प्रमुख अहमद जबारी की मौत हो गई थी। गाजा पर 7 दिन से जारी इजरायली हमले में अब तक 110 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मरने वालों में बड़ी तादाद में बच्चे भी शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक अब तक 700 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं, जिनमें से 200 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। हालांकि इजरायल का दावा है कि वो उन्हीं जगहों को निशाना बना रहा है जहां हमास का ठिकाना है लेकिन गाजा में मची तबाही की तस्वीरें कुछ और ही हकीकत बयान कर रही हैं। इजरायली फौजें अब तक करीब 1000 ठिकानों पर हमला कर चुकी हैं। रॉकेट हमले में रिहाइशी इमारतों के साथ साथ मीडिया के दफ्तरों को भी जमकर निशाना बनाया गया है। गुरुवार को हुए ऐसे ही हमले में बीबीसी संवाददाता जिहाद मिशारवी के 11 महीने के बेटे की मौत हो गई थी, जबकि रविवार को हुए हमले में फिलिस्तीन टीवी अल कुदस के 3 पत्रकार जख्मी हो गए थे।
इजरायल ने गाजा पर हवाई हमलों को ऑपरेशन पिलर ऑफ डिफेंस का नाम दिया है। ऐसा नहीं है कि हमास की फौज इस हमले का जवाब नहीं दे रही है। हमास के लड़ाके लगातार इजरायल के पवित्र शहर येरूशलम को निशाना बनाकर रॉकेट दाग रहे हैं लेकिन इजरायल का एंटी रॉकेट सिस्टम आयरन डोम उन्हें बीच रास्ते में ही बेकार कर दे रहा है।
माहौल दिसंबर 2008 में हुए गाजा वॉर की दिशा में बढ़ता देख जिसमें 1400 फिलिस्तीनी मारे गए थे। मिस्र की अगुवाई में अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी ने शांति की पहल की। मंगलवार को काहिरा में संयुक्त राष्ट्र सचिव ने संघर्ष विराम के लिए इजरायली और फिलिस्तीनी पक्षों से बात की। वो दोनों देशों के राष्ट्रपति से भी बात करने वाले हैं। लेकिन इजरायल का कहना है कि अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है।
यूरोप और अरब के तमाम देशों की शांति बहाली की अपील का ये असर हुआ है कि फिलहाल इजरायल ने गाजा पट्टी पर जमीनी आक्रमण को टाल दिया है। लेकिन ये सच है कि गाजा पर ताजा इजरायली हमले की वजह से इजरायल और अमेरिका के खिलाफ इस्लामी देशों का गुस्सा थमने की बजाय और बढ़ने वाला है।
फेसबुक कमेंट पर बवाल, 10 शिवसैनिक गिरफ्तार
मुंबई। मुंबई बंदी पर कमेंट करनेवाली शाहीन दाढा के चाचा के क्लीनिक पर हमला करने वाले शिवसैनिकों में से 10 को पालघर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनके नाम जफर शेख, हेमंत भोसले, गणेश हरिजन, मुटकर शेख, इमरान खान, मोहनकुमार, उस्मान खान, संतोष पुजारी, रमेश गोवड़ी है। मुंबई पुलिस ने फेसबुक पर कमेंट करने पर दो लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद सवाल उठने लगा था कि पुलिस लड़कियों को गिरफ्तार कर सकती है तो फिर क्लीनिक पर हमला करने वालों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया। जिन्होंने दाढा के क्लीनिक में घुसकर तोड़फोड़ की, मरीजों को पीटा।
इस मामले में बीती देर रात को महाराष्ट्र के डीजी संजीव दयाल ने पूरे मामले के जांच के आदेश दिए। इसके बाद पुलिस हरकत में आई और अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि जब अस्पताल में हंगामा हुआ था तो करीब दो हजार लोग थे।
मालूम हो कि दो लड़कियों को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया था क्योंकि उन्होंने फेसबुक पर बाला साहेब के निधन के बाद मुंबई बंद को लेकर टिप्पणी की थी। इन लड़कियों को अदालत से जमानत मिल गई लेकिन मीडिया में हल्ला मचने के बाद पुलिस ने अब इस गिरफ्तारी पर जांच बैठा दी है। दो लड़कियों को आईटी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया। उन पर धारा 505 (2) के तहत भावनाएं भड़कानें और नफरत फैलानें का आरोप लगाया गया। लड़कियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया। जहां से उन्हें जमानत मिल गई। लड़कियों के परिवार वालों का कहना है कि उन्होंने सिर्फ अपनी राय रखी थी। उनका मकसद किसी की भावनाएं भड़काना नहीं था।
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