ज्वालामुखी में पत्रकार की धुनाई
ज्वालामुखी के एक हिन्दी दैनिक के पत्रकार की उस समय धुनाई हो गई, जब वह एक खबर के मामले में दूसरे पक्ष के सामने आ गया। दरअसल नगर के एक इलाके में सराय में बिजली कुनैक्षन के मामले में इस पत्रकार के हवाले से खबर छपी थी कि बिजली बोर्ड कुछ नहीं कर रहा। लेकिन ऐसा कोई मामला था ही नहीं , यही वजह थी कि इस पत्रकार को मोटरसाईकल पर जाते समय बोहण चौक पर खबर से प्रभावित परिवार ने घेर लिया। अपने आपको अकेला देख पत्रकार ने पहले अपनी गल्ती मान ली। लेकिन इतने में ही महौल बिगड़ गया, व परिवार के छह सात लोग पत्रकार पर टूट पड़े। उसकी जूतों से पिटाई की गई। व उसका मोटरसाईकल भी टूट गया, करीब एक घंटा भर यह तमाशा चलता रहा। बाद में बीच बचाव कर आस पास के लोगों ने दोनों पक्षों को छुड़वाया। फिर थाने तक मामला पहुंच गया। व पत्रकार ने माफी मांग कर जान छुड़वाई। पत्रकार का कहना था कि उसके खिलाफ आर टी आई का अवेदन किया गया था। लिहाजा उसने भी खबर छाप दी। बताया जाता है कि इस पत्रकार ने ज्वालामुखी मंदिर न्यास से लंगर चलाने का ठेका लिया था। शर्तों के मुताबिक उसे चार रसोईये व दस मजदूर रखने थे। लेकिन इलाके के ही आर टी आई कार्यकर्ता ने मंदिर से जानकारी ली तो उसके कारनामों का भंडाभेड़ हो गया। उसे काम पर इतने लोग रखे ही नहीे थे।
ज्वालामुखी के एक हिन्दी दैनिक के पत्रकार की उस समय धुनाई हो गई, जब वह एक खबर के मामले में दूसरे पक्ष के सामने आ गया। दरअसल नगर के एक इलाके में सराय में बिजली कुनैक्षन के मामले में इस पत्रकार के हवाले से खबर छपी थी कि बिजली बोर्ड कुछ नहीं कर रहा। लेकिन ऐसा कोई मामला था ही नहीं , यही वजह थी कि इस पत्रकार को मोटरसाईकल पर जाते समय बोहण चौक पर खबर से प्रभावित परिवार ने घेर लिया। अपने आपको अकेला देख पत्रकार ने पहले अपनी गल्ती मान ली। लेकिन इतने में ही महौल बिगड़ गया, व परिवार के छह सात लोग पत्रकार पर टूट पड़े। उसकी जूतों से पिटाई की गई। व उसका मोटरसाईकल भी टूट गया, करीब एक घंटा भर यह तमाशा चलता रहा। बाद में बीच बचाव कर आस पास के लोगों ने दोनों पक्षों को छुड़वाया। फिर थाने तक मामला पहुंच गया। व पत्रकार ने माफी मांग कर जान छुड़वाई। पत्रकार का कहना था कि उसके खिलाफ आर टी आई का अवेदन किया गया था। लिहाजा उसने भी खबर छाप दी। बताया जाता है कि इस पत्रकार ने ज्वालामुखी मंदिर न्यास से लंगर चलाने का ठेका लिया था। शर्तों के मुताबिक उसे चार रसोईये व दस मजदूर रखने थे। लेकिन इलाके के ही आर टी आई कार्यकर्ता ने मंदिर से जानकारी ली तो उसके कारनामों का भंडाभेड़ हो गया। उसे काम पर इतने लोग रखे ही नहीे थे।