काँगड़ा लघु चित्रकला का दिया जा रहा प्रशिक्षण

काँगड़ा लघु चित्रकला का दिया जा रहा प्रशिक्षण
गुलेर में आज से हुई कार्यशाला प्रारम्भ
देहरा 12 फ़रवरी ( विजयेन्दर शर्मा) ।  भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला कांगड़ा एवं इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेंनिंग सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में  कांगड़ा लघु चित्रकला (गुलेर शैली) पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ पहाड़ी चित्रकला की जन्म स्थली गुलेर में हुआ।
ज़िला भाषा अधिकारी सुरेश राणा ने बताया कि कांगड़ा लघु चित्रकला जो आपने लयात्मक रेखाओं एवं स्वच्छ सुंदर रंगों के लिए विश्व विख्यात है, के चित्र भारत  मैं ही नहीं पूरी दुनिया के सभी संग्रहालय में सराय जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास साक्षी है कि 'राग रागिनी', 'गीत गोविंद', 'राग माला' विषयों पर कृष्ण और राधा पर प्रेम प्रसंगों को दर्शाते इन चित्रों को गुलेर की राजा दलीप चंद एवं उनके पुत्र राजा गोवर्धन चंद ने भरपूर संरक्षण दिया।
उन्होंने बताया कालांतर में कांगड़ा के राजा संसार चंद ने इसे आगे बढ़ाया। गुलेर के विख्यात चित्रकार पंडित सेऊ व उसके विश्वविख्यात चितेरे पुत्रों मानक व नैनसुख अपनी चित्रकला की बारीकियों के लिए जो विश्व के कला प्रेमियों  के लिए शोध का विषय हैं। इस कार्यशाला में लगभग 25 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। शिक्षक के रूप में जिला कांगड़ा के सुप्रसिद्ध चित्रकार श्री धनीराम, मोनू कुमार व पूनम देवी ने प्रशिक्षकों को कांगड़ा चित्रकला की बारीकियां सिखाई जिसमें फाइन आर्ट्स के प्रशिक्षकों ने अपनी चित्रकला को ध्यान पूर्वक सिखा।
अपने संबोधन में जिला भाषा अधिकारी सुरेश राणा ने कहा कि विभाग साहित्य एवं कला को सहेजने के लिए  इस तरह के कार्यक्रम  समय-समय पर भिन्न-भिन्न स्थानों पर  आयोजित करवाता रहता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी कला के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु  यह कार्यक्रम जिला कांगड़ा में आयोजित कर  करवाए जाएंगे। अंत में इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग सोसाइटी के अध्यक्ष राघव गुलेरिया ने गुलेर कलम के इतिहास के बारे में विस्तार  पूर्वक चर्चा की और सभी प्रबुद्ध जनों शिक्षकों एवं प्रशिक्षकों का धन्यवाद किया।
BIJENDER SHARMA

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