ज्वालामुखी में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार आयोजित

ज्वालामुखी में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार आयोजित
आस्था एवं संस्कार केन्द्र ज्वालामुखी की ओर से आज निरंजनी अखाडा में
सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार आयोजित किया गया।  इस अवसर पर वैदिक मंत्रोचारण के बीच धार्मिक रिति रिवाज के तहत यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न हुआ।
यज्ञोपवीत संस्कार से पूर्व बच्चों का मुंडन करवाया गया। बाद में विधि-विधान से भगवान गणेश सहित देवताओं का पूजन, यज्ञवेदी एवम बटुकों को अधोवस्त्र के साथ माला पहनाकर बैठाया गया। इसके बाद विनियोग मंत्र ब्रह्मचर्य के पालन की शिक्षा के साथ विभिन्न धार्मिक आयोजन संपन्न हुए। गायत्री मंत्र की दीक्षा देने के बाद बटुकों ने भिक्षा लेकर गुरु को अर्पण की। इसके बाद गुरु ने उनके कानों में गुरु मंत्र दिया।
इस अवसर पर बच्चों के अभिभावकों ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस अवसर पर बांसल धर्मशाला में भंडारे का भी आयोजन किया और हलवे का प्रसाद भी बांटा गया।
आयोजक समिति के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि आस्था एवं संस्कार ज्वालामुखी की ओर से इसका आयोजन किया गया।  इसमें बच्चों को यज्ञोपवीत संस्कार दिलवाए गये, ताकि वे अपनी प्राचीन संस्कृति से रू-ब-रू हो सकें और पाश्चात्य संस्कृति को दूर रख कर अपनी संस्कृति के प्रति उनके अंदर आदर भाव पैदा हो। उन्होंने बताया कि ज्वालामुखी में आवासीय केन्द्र की स्थापना की गई है। जहां बच्चों को वैदिक संस्कार में प्रशिक्षित किया जा रहा है।

क्या है यज्ञोपवीत संस्कार

हिन्दू धर्म में यज्ञोपवीत दशम संस्कार है। इस संस्कार में बटुक को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। यज्ञोपवीत का अर्थ है यज्ञ के समीप या गुरु के समीप आना। यज्ञोपवीत एक तरह से बालक को यज्ञ करने का अधिकार देता है। शिक्षा ग्रहण करने के पहले यानी, गुरु के आश्रम में भेजने से पहले बच्चे का यज्ञोपवीत किया जाता था। भगवान रामचंद्र तथा कृष्ण का भी गुरुकुल भेजने से पहले यज्ञोपवीत संस्कार हुआ था।
BIJENDER SHARMA

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