जिलाधीश की जांच नौ महीने का लंबा सफर सिविल काम की जांच रेवन्यू अफसर से करायी। फिर भी क्लीन चिट

जिलाधीश की जांच नौ महीने का लंबा सफर सिविल काम की जांच रेवन्यू अफसर से करायी। फिर भी क्लीन चिट
ज्वालामुखी 27 नवम्बर (बिजेन्दर शर्मा) ।  कांगडा के जिलाधीश के पास नगर पंचायत ज्वालामुखी में फैले भ्रष्टïाचार की जाचं कराने की मांग नौ महीने पहले कराई गई। जांच का जिम्मा देहरा के एस डीएम को सौंपा गया लेकिन उन्होंने क्लीन चिट दे दी। हैरानी का विषय है कि देहरा के एस डी एम एक दिन भी जांच के लिये ज्वालामुखी नहीं आये उन्होंने जांच का जिम्मा ज्वालामुखी के तहसीलदार को सौंप दिया। हांलाकि सब जानते हैं कि तहसीलदार के निर्माण कार्यों की जांच करने का कोई भी साधन मौजूद नहीं होता है। काबिलेगौर है कि ज्वालामुखी नगर पंचायत के एक पूर्व पार्षद ने ई समाधान के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व कांगडा के जिलाधीश आर एस गुप्ता को नगर पंचायत में चल रहे गोलमाल की जांच कराने के लिये एक शिकायती पत्र 12 मार्च 2010 को सौपा था। लेकिन सात आठ महीने प्रदेश के विभिन्न दफतरों में इस मामले पर पत्राचार ही होता रहा अब अचानक इसी माह 19 नवंबर को देहरा के एस डी एम राकेश शर्मा ने अपनी जांच रिार्पेाट कांगडा के जिलाधीश आर एस गुप्ता को सौंपी जिसमें साफ तौर पर उन्होंने लगाये गये तमाम आरोपेां पर नगर पंचायत को क्लीन चिट दे दी।जिससे लोग हैरान हैं।दरअसल पूर्व पार्षद वी के उपमन्यु ने अपनी शिकायत में सिनियर सैकेंडरी स्कूल के साथ लगते नाले के बीच दीवार बनाने पर आपत्ति जताई थी। आरेाप लगाया जा रहा है कि इस दीवार को बना एक पार्षद के घर को रास्ता बनाया जा रहा है । हैरानी का विषय है कि इस दीवार को जल्द बाजी में बना लाखों रूपया नगर पंचायत का फूंक दिया गया। जिसका उस पार्षद के सिवा किसी को भी कोई फायदा नहीं होगा। अब नगर पंचायत विरोध के चलते यहां कुछ भी नहीं बनाने का ईरादा जाहिर कर दिया है। लेकिन इसी जगह अब नाले को चैन्लाईज करने की बात की जा रही है। यहां पर खुद ही कांगडा के वर्तमान  जिलाधीश ने नये सिरे से दो लाख रूपये मंजूर कर दिये हैं। व इसके लिये टैंडर अलाट किया जा रहा है। यही नहीं नगर पंचायत में पिछले अरसे में बडे पैमाने पर फर्जी बिल बनाये गये। इस मामले में दोषी ईंजिनियर ने अपने आपको बचाने के लिये अपना तबादला कांगडा करा लिया। ज्वालामुखी कांग्रेस के पूर्व मंडल अध्यक्ष अशौक गौतम ने आज यहां जांच पर सवाल उठाते हुये हैरानी जतायी है कि आखिर सिविल काम की जांच रेवन्यू अफसर कैसे कर सकता है। उन्होंने कहा कि तमाम लोग आपस में जब मिल  बांट कर खा रहे हों तो जांच के नतीजे ऐसे ही आयेंगे। लेकिन कांगडा के जिलाधीश व देहरा के एस डी एम के खिलाफ प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे। चूंकि सरकारी संपति के यही लोग कस्टोडियन हैं। लेकिन यह लोग कुछ नहीं कर रहे।
BIJENDER SHARMA

हि‍माचल प्रदेश का समाचार पोर्टल

1 टिप्पणियाँ

Thanks For Your Visit

  1. ज्वालामुखी नगर पंचायत में भ्रष्टाचार
    सेवा में

    माननीय मुख्यमंत्री

    हिमाचल प्रदेश

    शिमला

    विषय़: ज्वालामुखी नगर पंचायत में भ्रष्टाचार की विजिलेंस जांच बारे |

    मान्यवर,

    विनम्र अनुरोध है कि नगर पंचायत ज्वालामुखी में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार फल फूल रहा है; अवैध तौर पर सरकारी जमीनों पर कब्जे कराये जा रहे हैं | जाली बिलों से भुगतान हो रहें हैं; कर्मचारियों व पार्षदों की आपसी मिलिभगत से सरकारी खजाने को चपत लगायी जा रही है; लेकिन अपराधी बेलगाम हैं |

    1. ज्वालामुखी के सिनियर सैकेंडरी स्कूल की ईमारत से साथ लगते नाले के बीच एक डंगा सरकारी पैसे से बना दिया गया ताकि व्यक्ति विशेष को फायदा मिल सके; इसे नगर पंचायत ने क्यों बनाया किसी के समझ नहीं आ रहा नाले के पानी का प्रवाह रुक गया है; जिससे पर्यावरण को खतरा पैदा हो गया है|

    यहां जो पैसा खर्च किया गया व सांसद निधि किसी ओर काम के लिये जारी थी |

    2. नगर के बस अडृडे से स्कूल की ओर वार्ड पांच में जाने वाली गली में घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल की गई जिससे मार्ग बनने से पहले ही उखड गया है इसके साथ ही कुछ एक बिल ऐसा बनाया गया जहां काम ही नहीं हुआ है |

    3. मान्यवर हैरानी का विषय है कि नगर पंचायत ने करीब 120 ऐसे प्रस्ताव पास किये हैं जिन पर किसी भी मेंम्बर के दस्तखत नहीं हैं; जाहिर है यह प्रस्ताव फर्जी तौर पर डाले गये हैं ताकि अपने चहेतों को फायदा मिल सके | इसकी जांच के लिये प्रस्ताव रजिस्टर जब्त किया जाये |

    4.नगर पंचायत ने पिछले दिनों फर्जी तौर पर 128 टराली मिटृटी ढुलान का बिल बनाकर एक ठेकेदार रामलोक धनोटिया को भुगतान कर दिया वास्तव में यह काम हुआ ही नहीं था | मिटृटी कहां से उठायी गई कहां फैंकी गई इसकी जांच होनी चाहिये

    5. नगर पंचायत ने लाखों रूपये का बिजली का सामान फर्जी तौर पर खरीदा है | यही नहीं कुछ मजदूरों को फरजी तौर पर दीहाडी पर रखा उन्हें भुगतान कर दिया |

    6;नगर पंचायत अध्यक्ष की सहमति के बिना दो बार बैंक खाते से रकम निकलवा ली गई; जो कि कानूनन धोखाधडी का मामला है;

    7. नगर पंचायत ने कई ऐसे लोगों को प्लाट किराया लगा दिया गया | जिसके वह पात्र ही नहीं थे सरकारी संपति की न केवल बंदरबांट की गई बल्कि पैसा लेकर अवैध कबजे कराये गये | इस मामले में कानून स्पष्ट है प्लाट किराये नहीं लग सकते |

    8. गेट नंबर तीन पर बनी खोखा मार्किट पर कुछ दुकानदार ऐसे हैं जिन्हें मिली एक दुकान थी व वह दो पर काबिज हैं |

    9. यहां सरकारी रिकार्ड में जितनी दुकानें बतायी जा रही हैं उतनी है ही नहीं |

    10. यह तो भ्रष्टाचार की बानगी है |हालात इससे भी खतरनाक होते जा रहे है।

    हालात यही रहे तो यह पार्षद जो कि गिरोह का रूप् धारण कर चुके हैं के हाथों शहर ही बिक जायेगा |

    लिहाजा आपसे अनुरोध है कि समस्त मामले की गंभीरता को देखते हुये इस मामले की जांच विजिलेंस से कराने का आदेश दें ताकि दोषी दंडित हो सकें

    आपका

    बिजेन्दर शर्मा

    ट्रीब्यून संवाददाता

    ज्वालामुखी

    जवाब देंहटाएं
और नया पुराने