नई स्थानांतरण नीति से सुदृढ़ होंगे शिक्षण संस्थान

नई स्थानांतरण नीति से सुदृढ़ होंगे शिक्षण संस्थान

हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के आधारभूत ढ़ांचे को सुदृढ़ बनाने के लिए गत तीन वर्षों में कई कारगर कदम उठाए गए हैं। इसी के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने अध्यापकों के लिए नई स्थानांतरण नीति तैयार की है। यह नीति शैक्षणिक सत्र के दौरान तथा ग्रामीण, कठिन व जनजातीय क्षेत्रो में अध्यापकों की उपलब्धता के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थानों में अध्यापकों की पर्याप्त नियुक्ति सुनिश्चित बनाने पर केंद्रित की गई है। इस नीति के लागू होने के बाद अध्यापक मध्य सत्र में होने वाले स्थानांतरणों से पेश आने वाली परेशानियों से बचेंगे तथा तीन वर्ष तक एक स्थान पर अपना कार्यकाल पूरा कर सकेंगे।

अध्यापकों के लिए नई तबादला नीति में अध्यापकों का सामान्य तैनाती कार्यकाल तीन वर्ष का होगा, लेकिन इसके लिए निरंतर श्रेष्ठ प्रदर्शन और प्रशासनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाएगा। प्रथम नियुक्ति पर जनजातीय, दुर्गम, कठिन और ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य ठहराव (स्टे)े अवधि पांच की वर्ष होगी। नीति के अंतर्गत यह प्रावधान भी किया गया है कि प्रथम नियुक्ति/तैनाती प्राथमिकता के आधार पर प्रदेश के जनजातीय अथवा कठिन क्षेत्रों में संबंधित जिले में की जाए। यह भी सुनिश्चित बनाया जाएगा कि जो कर्मचारी जनजातीय अथवा कठिन क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं, उन्हें पुनः इन क्षेत्रों में न भेजा जाए तथा एक निरंतर प्रक्रिया के अंतर्गत सभी कर्मचारी जनजातीय व कठिन क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दें। यह भी सुनिश्चित बनाया जाएगा कि जो कर्मचारी शहरी क्षेत्रों अथवा शहरों में ही सेवाएं देते आ रहे हैं, उन्हें ग्रामीण, दुर्गम, जनजातीय व कठिन क्षेत्रों में भेजा जाए।

अध्यापकों के स्थानांतरण के लिए शहरी क्षेत्रों में 25 कि.मी. और ग्रामीण क्षेत्रों में 15 कि.मी. के दायरे में एक स्थान पर उनके निरंतर ठहराव को गिना जाएगा। सामान्य तबादले अप्रैल माह में किए जाएंगे तथा 30 अप्रैल के बाद स्थानांतरण पर प्रतिबंध रहोगा। 30 अप्रैल के बाद पदोन्नति, सेवानिवृत्ति, प्रतिनियुक्ति, त्यागपत्र, मृत्यु, निलम्बन, दीर्घावधि अवकाश पर जाने, युक्तिकरण के कारण पद सृजन या रिक्त होने, तथ्यों के सत्यापन के बाद शिकायत पर,खराब शैक्षणिक प्रदर्शन और गलत आचरण की स्थिति में केवल मुख्यमंत्री की स्वीकृति पर ही तबादले किए जाएंगे।

नई स्थानांतरण नीति के अनुसार नियंत्रण अधिकारी यह सुनिश्चित बनाएगा कि किसी अध्यापक का स्थानांतरण होने पर स्थानांतरित अध्यापक तभी अपना कार्यभार ग्रहण कर सकेगा, जब उसके स्थान पर स्थानांतरित अध्यापक भारमुक्त हो जाएगा। इससे पूर्व, उसकी ज्वाइंनिंग स्वीकृत नहीं होगी। जबकि स्वयं नियंत्रण अधिकारी का स्थानांतरण होने पर उसे तभी भारमुक्त किया जाएगा जब उसके स्थान पर आने वाला अधिकारी अपना कार्यभार संभाल लेगा। नियंत्रण अधिकारी अगर इस प्रक्रिया की अनुपालना नहीं करता है तो उसके वेतन से सरप्लस अधिकारी को वेतन दिया जाएगा।

इस नीति के अनुसार प्रदेश सरकार में सेवारत दम्पत्तियों को विभाग केवल ग्रामीण क्षेत्रों में एक स्थान/समीप के स्थान पर नियुक्ति देने का प्रयास करेगा, बशर्ते उपयुक्त रिक्ति उपलब्ध हो। विभाग उन विधवाओं को भी उपयुक्त स्थान पर समायोजित करने के प्रयास करेगा, जिनके बच्चे छोटे हों, बशर्ते रिक्त स्थान उपलब्ध हो। इसी प्रकार विभाग सैन्य बलों, केन्द्रीय पैरा मिलिट्री बलों के अधिकारियों व कर्मचारियों की पत्नियों को भी रिक्त स्थान की उपलब्धता पर सुविधाजनक स्थानों पर तैनात/नियुक्त करने के प्रयास करेगा। 70 प्रतिशत या इससे अधिक शारीरिक अक्षमता वाले अध्यापकों को भी रिक्त स्थान की उपलब्धता पर सड़क की सुविधा वाले स्थानों पर तैनात करेगा। जो अध्यापक दो वर्ष की समयावधि में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उन्हें रिक्त स्थान की उपलब्धता पर उनके पैतृक स्थान पर तैनात करने के प्रयास किए जाएंगे। यह प्रावधान प्रथम श्रेणी व द्वितीय श्रेणी और प्रशासनिक पदों पर कार्यरत शिक्षकों के लिए मान्य नहीं होगा। यह नीति निश्चित रूप से प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में गुणवता लाने में सहायक होगी।

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