नई दिल्ली, 25 नवंबर | केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को बहु
प्रतीक्षित बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में 51 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी
निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद वाल-मार्ट, केयरफोर और
7-इलेवन जैसी विख्यात अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियां देश में बहु ब्रांड खुदरा
कारोबार में निवेश कर सकेंगी। मंत्रिमंडल ने गुरुवार को ही एकल ब्रांड
खुदरा कारोबार में भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 100 फीसदी
कर दी। मंत्रिमंडल ने यह फैसला गुरुवार शाम दो घंटे तक चली बैठक में
लिया। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की।
बैठक के बाद केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने सिर्फ इतना
कहा, "हम संसद में ही कोई घोषणा करेंगे।" जानकार सूत्रों ने हालांकि
बताया कि मंजूरी दे दी गई है।
जानकारों ने बताया कि नीति में कुछ शर्तो को भी जोड़ा गया है, ताकि देश
भर में फैले छोटे दुकानदारों और छोटे-मझोले कारोबारियों के हितों की
रक्षा हो सके। इस तरह के कारोबार में लगभग चार करोड़ लोगों को रोजगार
मिला हुआ है।
भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष बी. मुथुरमन ने कहा, "इससे देश में
व्यवस्थित खुदरा कारोबार का काफी विस्तार होगा। इससे अन्य कारोबारों जैसे
शीत भंडार, गोदाम, माल ढुलाई और ठेकेदारी पर कृषि का तेजी से विस्तार
होगा।"
जानकारों के मुताबिक नीति में छोटे कारोबारियों के हितों की रक्षा के लिए
जो शर्त जोड़े गए हैं, उनमें शामिल हैं न्यूनतम 10 करोड़ डॉलर का निवेश,
महानगरों और प्रथम श्रेणी के शहरों में ही स्टोर का खुलना और स्थानीय
छोटे कारोबारियों की भी सेवा लेना।
ब्राजील, अर्जेटीना, सिंगापुर, इंडोनेशिया, चीन और थाईलैंड में खुदरा
कारोबार में विदेश निवेश पर कोई सीमा नहीं है।
बहुब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का पक्ष और विपक्ष
के कई खेमों द्वारा विरोध किया गया था।
प्रमुख विपक्षी समूह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और वामपंथी
पार्टियों ने जहां बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
को अनुमति दिए जाने के प्रति विरोध जताया, वहीं केंद्र सरकार की एक
प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि वह बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति को पूरे दिल से स्वीकार नहीं कर पा रही
है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष
विदेशी निवेश का विरोध किया। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने
मंत्रिमंडल की बैठक से पहले कहा, "इसके कारण कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
हम ऐसा नहीं होने देंगे।"
वामपंथी पार्टियों ने भी इसका विरोध किया है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट
पार्टी के नेता बासुदेव आचार्य ने कहा कि पार्टी संसद और देश भर में इसका
विरोध करेगी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि इससे
करोड़ों छोटे कारोबारियों का रोजगार छिन जाएगा और खुदरा वस्तुओं के दाम
बढ़ेंगे।
तृणमूल कांग्रेस पार्टी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता
बनर्जी ने बुधवार को एक समाचार चैनल से कहा था, "मैं इसे पूरे दिल से
स्वीकार नहीं कर पा रही हूं। विवरण जब हमारे सामने आएगा, तब हम अपनी राय
जाहिर करेंगे।"
बनर्जी ने कहा, "हम इसके पक्ष में नहीं हैं। हम पेंशन विधेयक के भी पक्ष
में नहीं हैं।"
पार्टी के सांसद और रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने भी गुरुवार को पार्टी
के रुख को दोहराया था।