बाल हित धारकों को बाल सुरक्षा अधिनियमों व नियमों की पूर्ण जानकारी होना अनिवार्य - वंदना योगी


बाल हित धारकों को बाल सुरक्षा अधिनियमों व नियमों की पूर्ण जानकारी होना अनिवार्य - वंदना योगी
ऊना. 18 अगस्त   (विजयेन्दर शर्मा)  । : महिला एवं बाल विकास विभाग, ऊना के सौजन्य से आज बाल अधिकार संरक्षण को लेकर एक कार्यशाला एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा वंदना योगी ने की। कार्यशाला में जिला के समस्त बाल विकास अधिकारियों सहित समस्त समन्वयकों और अन्य स्टाफ सदस्यों ने भाग लिया।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा वंदना योगी ने बताया कि बाल हित रक्षकों को बाल अधिकारो के संरक्षण के लिए लागू किए गए विभिन्न अधिनियमों एवं नियमों के प्रति पूर्ण रुप से जागरुक करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि बाल अधिकारों की रक्षा के लिए पोक्सो एक्ट एवं नियम, 2012, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, चाईल्ड लेबर एक्ट और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 लागू किए गए हैं। बाल अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य कर रहे विभाग व बाल हित रक्षकों द्वारा इन अधिनियमों व नियमों के सफल कार्यान्वयन के लिए इनकी पूर्ण व स्टीक जानकारी होना अति अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि बाल अधिकारों की सुरक्षा सभी हितधारकों की आपसी सामंजस्य व समन्वय से ही संभव है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में हितधारकों की जिज्ञासाओं व प्रश्नों पर चर्चा भी की गई और अधिनियमो एवं नियमों को लेकर आशंकाओं का समाधान किया गया।
कार्यशाला में वंदना योगी ने चाईल्ड लाईन 1098 के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मुसीबत में फंसे बच्चों की मदद के लिए यह सेवा 24 घंटे निशुल्क उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए टाॅल फ्री नंबर 1098 पर काॅल करके सहायता के लिए संपर्क किया जा सकता हैं। उन्होंने बताया कि यदि कोई बच्चा अनाथ या अर्धअनाथ हो, शारीरिक या मानसिक रुप से अक्षम हो, बच्चे भीख मांग रहे हों, बच्चा लापता हो या उसे कोई उसे गलत तरीके से बहला-फुसला के ले गया हो, 14 वर्ष से कम आयु का बच्चा घर, दुकान, ढाबे, फैक्टरी या अन्य जगह पर काम कर रहा हो और 14 वर्ष से ऊपर व 18 वर्ष से कम आयु का बच्चा जिसे काम की उचित मजदूरी ने दी जा रही हो तो सहायता के लिए 1098 पर संपर्क किया जा सकता है।
इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी सतनाम सिंह ने विभागीय योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि बेसहारा व अनाथ बच्चों, जिन्हें देख-रेख व संरक्षण की आवश्यकता हो, उन्हें बाल गृहों में प्रवेश देकर निशुल्क रहने, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पुनर्वास इत्यादि सुविधाएं प्रदान करके आत्मनिर्भर बनाने के उद्दंेश्य से मुख्यमंत्री बाल उद्धार योजना, 2016 चलाई गई हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 6 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे, जिनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी हो, जिनके माता-पिता का पता न हो, या जिनके माता-पिता कारावास में हों या जिनके पिता की मृत्यु हो चुकी हो और माता ने दूसरी शादी कर ली हो, उन्हें इस योजना का लाभ प्रदान किया जाता है। इसके अलावा उन्होंने बाल-बालिका सुरक्षा योजना, पूरक पोषाहार योजना, राष्ट्रीय पोषण अभियान सहित अन्य विभागीय योजनाओं की भी जानकारी सांझा की। इसके अलावा उन्होंने किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और पोक्सो एक्ट, 2012 के विभिन्न पहलुओं पर भी जानकारी दी।
कार्यशाला मंे श्रम निरीक्षक नवीन शर्मा ने बाल श्रम अधिनियम और जिला विज्ञान पर्यवेक्षक संजीव लट्ठ ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम बारे प्रतिभागियों को विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर सीडीपीओ ऊना कुलदीप सिंह दयाल, सीडीपीओ धुदला हरीश मिश्रा, सीडीपीओ अंब अनिल कुमार व सीडीपीओ गगरेट रवि शंकर सहित अन्य उपस्थित रहे।
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