कार्ला ब्रूनी ने

फ्रांस की पहली महिला नागरिक कार्ला ब्रूनी ने आज एचआईवी ग्रस्त माताओं, बच्चों और समलैंगिक कार्यकर्ताओं को उनके अधिकार के मुद्दे उठाने का भरोसा दिलाया। उन्होंनें यह भरोसा भी दिलाया कि अधिकारों और कुशलता से जुड़े मुद्दों को वह यूरोपीय आयोग समेत वैश्विक मंचों पर रखेंगी।
ब्रूनी के भाई की मौत 2006 में एचआईवी से संबंधित समस्या के कारण हो गई थी। वह जिनेवा की ग्लोबल फंड नामक संस्था की अंबेसेडर भी हैं जो एड्स, टीबी और मलेरिया के खिलाफ अभियान चलाता है। एचआईवी ग्रस्त लोगों और समलैंगिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले संगठन नाज फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं नेे ब्रूनी से मुलाकात की और वे चाहते थे कि एचआईवी के उपचार के लिए भारत से जेनेरिक दवाओं को उनके देशों में निर्यात नहीं करने देने के उनके रुख को फ्रांसीसी राष्ट्रपति की पत्नी यूरोपीय आयोग (ईसी) के समक्ष उठाएं। ब्रूनी ने कार्यकर्ताओं से कहा, ‘मैं समझती हूं। मैं करुंगी।’ नाज फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक अंजलि गोपालन ने ब्रूनी के ध्यान में यह बात लाई और ब्रूनी के साथ आए ग्लोबल फंड के कार्यकारी निदेशक प्रो. माइकल कजाशकिने ने भी उनकी चिंता रखी। एचआईवी एड्स की रोकथाम के अभियान के तहत और इससे संबंधित कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए ब्रूनी राजधानी के सफदरजंग अस्पताल गईं जहां एचआईवी ग्रस्त गर्भवती महिलाओं के लिए एक कार्यक्रम चलाया जाता है। उत्तराखंड के एक मजदूर की पत्नी, जिसे प्रसवपूर्व एचआईवी से ग्रस्त पाया गया, से बातचीत के बाद उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों से कहा, ‘वह बहुत साहसी है।
उसका स्वस्थ बच्चा होगा। वह इसके लिए काफी हिम्मत रखती है।’ ब्रूनी को राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की संयुक्त सचिव अराधना जौहरी और अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ एनके मोहंती ने वार्डों का भ्रमण कराया। बाद में फ्रांस की प्रथम महिला नागरिक ने संवाददाताओं से कहा, ‘मानवता के सामने एड्स के संक्रमण की रोकथाम की सबसे अहम चुनौती है। मैं खासतौर पर माताओं से बच्चों में संक्रमण की रोकथाम की दिशा में काम कर रही हूं
BIJENDER SHARMA

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